भारत छोड़कर अमरीकी नागरिकता लेने वालों को प्यार

Written by Ravish Kumar | Published on: September 21, 2018
2017 के साल 50,802 भारतीय अमरीका को प्यारे हो गए। चुपचाप वहां की नागरिकता ले ली। एक ऐसे समय में जब कुछ ठगों के गिरोह ने भारत को विश्व गुरु बना देने का एलान कर दिया है तब पचास हज़ार से ज्यादा भारतीयों को अमरीका प्रेमी हो जाना सुखद आश्चर्य लगता है। अच्छी ज़िंदगी की तलाश में निकला इंसान टीवी पर चल रहे बकवास बहसों में बहुत देर नहीं उलझता है। 2016 में 46,188 और 2015 में 42, 213 भारतीयों ने अमरीका की नागरिकता ली थी। 2016 की तुलना में 2017 में 10 फीसदी ज्यादा भारतीय अमरीका को प्यारे हो गए। यह आंकड़ा अमरीका के होमलैंड सिक्योरिटी का है। ख़बर 20 सितंबर 2018 केे टाइम्स आफ इंडिया में छपी है।



तीन साल में 1 लाख 30 हज़ार से ज़्यादा भारतीय केवल अमरीका को प्यारे हो गए। भारत में इतना कुछ बदलने का विज्ञापन छपा फिर भी इन्हें भरोसा नहीं हुआ। भारत के पास इन लोगों का एग्ज़िट इंटरव्यू होना चाहिए ताकि हम जैसे लोग कुछ समय बाद शोध कर सकें कि क्यों एक लाख से अधिक लोगों ने भारत को छोड़ अमरीका को अपना लिया। कम से कम बीस पेज का लेख तो लिखवाना ही चाहिए था। बट एनिवे।

मुझे इसमें कोई बुराई नहीं लगती है। सदियों से लोग देश और वेष बदलते रहे हैं। यहां से वहां जाकर बसते रहते हैं। बस बुरा लगता है उनके लिए जो ब्रेन ड्रेन रोकने के नाम पर भोली जनता को बेवकूफ बनाते हैं। इन लोगों ने व्यावहारिकता के आधार पर दो मुल्कों के बीच चुनाव किया होगा। देश बदलना आसान नहीं होता होगा। पीड़ा तो हुई होगी। किस भारी मन से उन्होंने ऐसा किया होगा, हम समझ सकते हैं।

हम उन्हें यहां से प्यार भेजते हैं। वो यहां के कुछ बकवास से मुक्त हो गए। वैसे अमरीका की भी काफी आलोचना हो रही है। तब भी भारतीयों में अमरीका के प्रति प्रेम है तो कुछ बात होगी। यूं ही किसी देश से खार नहीं खाना चाहिए। वर्ना वो खार खा जाएगा। अमरीका अमरीका है। सोचिए वहां से पचास हज़ार नागरिक भारत की नागरिकता के लिए आवेदन कर दें तो यहां लोगों की हालत ख़राब हो जाएगी। घुसपैठिये बताकर हर जगह से निकलवाने का फार्म छपने लगेगा।

हम सिर्फ दूसरे देशों में भारतीयों के मंत्री, जज बनने की ख़बरों को छापते रहेंगे। कभी नहीं चाहेंगे कि दूसरे मुल्कों से यहां आकर कोई यहां के जीवन में रच बस जाए। भारत को बताना चाहिए कि पिछले तीन साल में कितने लोगों ने भारत से नागरिकता मांगी, कितने लोगों को दी गई। हम भी देखें कि जिस भारत का नाम दुनिया भर में हो गया है, दुनिया भर के लोग उस भारत को कितना अपनाना चाह रहे हैं। कमी नहीं होगी लेकिन आंकड़ा होता तो अच्छा रहता।

बहरहाल, मुल्क बदलने वाले आप सभी को ख़ूब प्यार। आप वहां जाकर कम भारतीय कम नहीं हो सकते। आपकी ज़रूतर तब भी रहेगी। वहां के स्टेडियम में नेताओं को नेता बनाने के लिए जमा होते रहिएगा। ताली बजाते रहिएगा।

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