नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि नोटबंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि घटा दी। उन्होंने कहा कि ऐसे समय जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था वृद्धि दर्ज कर रही है, भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर नोटबंदी की वजह से काफी बड़ा असर पड़ा।
राजन ने कहा कि उन्होंने ऐसे अध्ययन देखे हैं जिनसे पता चलता है कि नवंबर, 2016 में ऊंचे मूल्य के नोटों को बंद करने से भारत की वृद्धि दर पर काफी असर पड़ा। उन्होंने कहा, ‘पक्के तौर पर मेरी राय है कि नोटबंदी ने हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। अब मैंने ऐसे अध्ययन देखे हैं जिनसे इसकी पुष्टि होती है। हमारी वृद्धि दर सुस्त पड़ी है।’
राजन ने सोमवार को एनडीटीवी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था 2017 में अधिक तेज रफ्तार से बढ़ी, लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ी।’ उन्होंने कहा कि सिर्फ नोटबंदी ही नहीं माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने से भी हमारी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा। वित्त वर्ष 2017-18 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6।7 प्रतिशत रही।
राजन ने कहा, ‘नोटबंदी और जीएसटी के दोहरे प्रभाव से हमारी वृद्धि दर प्रभावित हुई। कोई मुझे जीएसटी विरोधी करार दे उससे पहले मैं कहना चाहूंगा कि दीर्घावधि में यह अच्छा विचार है। लघु अवधि में इसका असर पड़ा है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या रिजर्व बैंक गवर्नर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उनसे नोटबंदी को लागू करने को कहा गया था, पूर्व गवर्नर ने कहा कि उनसे ऊंचे मूल्य की करेंसी को प्रतिबंधित करने पर राय पूछी गई थी। उन्होंने कहा कि उनकी सोच में नोटबंदी ‘खराब विचार’ था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को टेलीविजन पर दिए अपने संबोधन में 500 और 1,000 रुपये के नोट को बंद करने की घोषणा की थी। उस समय सरकार ने दावा किया था कि नोटबंदी से कालेधन, जाली मुद्रा और आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम कसी जा सकेगी।
जीएसटी पर विस्तार से अपनी राय रखते हुए राजन ने कहा कि इस सुधारात्मक कर प्रणाली को अधिक बेहतर तरीके से लागू किया जाना चाहिए था। यह पूछे जाने पर कि क्या जीएसटी में पांच अलग स्लैब के बजाय एक कर होना चाहिए थी, राजन ने कहा कि यह बहस का विषय है। ‘मेरे विचार में, जो एक वैकल्पिक विचार है, आप एक बार जो काम करते हैं तो आपको समस्याओं का पता लगता है। उसके बाद उसे एक-एक करके ठीक करते हैं। इसलिए यह (प्रारंभिक समस्या) होनी ही थी।’
बैंकों के साथ घपलेबाजी करने वालों की सूची के बारे में राजन ने कहा कि एक सूची थी जिसमें बड़े-बड़े घोटालेबाजों के नाम थे। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सौंपी गई बड़े कर्ज धोखेबाजी की सूची के बारे में राजन ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि ये मामले अब कहां हैं। एक बात को लेकर मैं चिंतित हूं कि यदि एक को छूट मिलती है तो और दूसरे भी उसी राह पर चल सकते हैं।’
राजन ने कहा कि उन्होंने ऐसे अध्ययन देखे हैं जिनसे पता चलता है कि नवंबर, 2016 में ऊंचे मूल्य के नोटों को बंद करने से भारत की वृद्धि दर पर काफी असर पड़ा। उन्होंने कहा, ‘पक्के तौर पर मेरी राय है कि नोटबंदी ने हमारी अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है। अब मैंने ऐसे अध्ययन देखे हैं जिनसे इसकी पुष्टि होती है। हमारी वृद्धि दर सुस्त पड़ी है।’
राजन ने सोमवार को एनडीटीवी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘वैश्विक अर्थव्यवस्था 2017 में अधिक तेज रफ्तार से बढ़ी, लेकिन हमारी अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ी।’ उन्होंने कहा कि सिर्फ नोटबंदी ही नहीं माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लागू करने से भी हमारी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा। वित्त वर्ष 2017-18 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6।7 प्रतिशत रही।
राजन ने कहा, ‘नोटबंदी और जीएसटी के दोहरे प्रभाव से हमारी वृद्धि दर प्रभावित हुई। कोई मुझे जीएसटी विरोधी करार दे उससे पहले मैं कहना चाहूंगा कि दीर्घावधि में यह अच्छा विचार है। लघु अवधि में इसका असर पड़ा है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या रिजर्व बैंक गवर्नर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उनसे नोटबंदी को लागू करने को कहा गया था, पूर्व गवर्नर ने कहा कि उनसे ऊंचे मूल्य की करेंसी को प्रतिबंधित करने पर राय पूछी गई थी। उन्होंने कहा कि उनकी सोच में नोटबंदी ‘खराब विचार’ था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को टेलीविजन पर दिए अपने संबोधन में 500 और 1,000 रुपये के नोट को बंद करने की घोषणा की थी। उस समय सरकार ने दावा किया था कि नोटबंदी से कालेधन, जाली मुद्रा और आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम कसी जा सकेगी।
जीएसटी पर विस्तार से अपनी राय रखते हुए राजन ने कहा कि इस सुधारात्मक कर प्रणाली को अधिक बेहतर तरीके से लागू किया जाना चाहिए था। यह पूछे जाने पर कि क्या जीएसटी में पांच अलग स्लैब के बजाय एक कर होना चाहिए थी, राजन ने कहा कि यह बहस का विषय है। ‘मेरे विचार में, जो एक वैकल्पिक विचार है, आप एक बार जो काम करते हैं तो आपको समस्याओं का पता लगता है। उसके बाद उसे एक-एक करके ठीक करते हैं। इसलिए यह (प्रारंभिक समस्या) होनी ही थी।’
बैंकों के साथ घपलेबाजी करने वालों की सूची के बारे में राजन ने कहा कि एक सूची थी जिसमें बड़े-बड़े घोटालेबाजों के नाम थे। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सौंपी गई बड़े कर्ज धोखेबाजी की सूची के बारे में राजन ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि ये मामले अब कहां हैं। एक बात को लेकर मैं चिंतित हूं कि यदि एक को छूट मिलती है तो और दूसरे भी उसी राह पर चल सकते हैं।’