अलवर की अपर जिला अदालत द्वारा पहलू खान हत्या मामले में सभी आरोपियों को बरी कर देने पर पीयूसीएल राजस्थान की तरफ से प्रतिक्रिया आई है। पीयूसीएल ने इस फैसले को अफसोसजनक बताते हुए न्याय को आघात बताया है। पीयूसीएल के कविता श्रीवास्तव, अनन्त भटनागर, अरूणा रॉय, निखिल डे, प्रेमकृष्ण शर्मा, अखिल चैधरी, नेसार अहमद, डॉ. मीता सिंह, भँवर लाल कुमावत, नूर मोहम्मद, शुभा जिन्दल व अन्य लोगों ने इस मामले पर आए फैसले पर सवाल उठाए हैं।
संगठन की तरफ से कहा गया है कि इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व गृहमंत्री गुलाब चन्द कटारिया के नेतृत्व में राजस्थान पुलिस ने जो दो चालान 31 मई 2017 व दूसरा 28 अक्टूबर 2017 को दायर किए थे वह बहुत ही बहुत कमजोर थे, जिसकी हम पूरजोर शब्दों में पुनः निन्दा करते हैं। हमारा मानना है कि जांच अधिकारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कोटपुतली राम स्वरूप शर्मा ने सही जांच न कर व राजनैतिक दबाव में आकर कमजोर चालान दायर किया जिसमें उच्च पुलिस अधिकारी भी पूर्णरूप से शामिल थे।
मिसाल के तौर पर, जो चालान दायर किया गया उसमें राजस्थान पुलिस ने जान बूझ कर मुख्य साक्ष्य के रुप में उपलब्ध दोनों वीडियो की फोरेंसिक जांच नहीं कराई जिसमें पहलू खान को बेहरमी से पटक पटक कर मारा जा रहा था। मोबाईल बनाने वाले को साक्ष्य के रूप में पेश नही किया और तो और ना ही मुल्जिमों की पहचान परेड करवाई गई।
इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि इस देश में गाय के नाम पर जो मारा जायेगा उसको न्याय नहीं मिलेगा। एक तरीके से अदालत के इस फैसले से गौरक्षा के नाम पर कानून को हाथ में लेकर मुसलमानों को निशाना बना कर मार रहे गौ गुण्डों के हौसले ही बढेंगे। यह बहुत अफसोसजनक है कि जिस पहलू खान की हत्या को लेकर देशभर से लोग खड़े हुए थे, उसका साक्ष्य वीडियो में भी उपलब्ध था, उस मसले में सभी आरोपी बरी हो जायें तो आम व्यक्ति न्याय के लिए कहां जायेगा।
पीयूसीएल राजस्थान अभियोजन को राय देगा कि वह राजस्थान उच्च न्यायालय में जल्द से जल्द अपील दायर करे व उच्च न्यायालय की मॉनीटरिंग में पुनः जांच व ट्रायल करवाया जाये। PUCL पहलु खान के परिवार वालों व साथियों से अपील करना चाहता है कि वे निराश नहीं हों, न्याय ज़रूर मिलेगा।
ज्ञात हो कि पहलू खान को 1 अप्रैल 2017 को बहरोड़ में गाय के नाम पर गुण्डागर्दी कर रहे अनेक लोगों ने पकड़ कर बुरी तरह पीटा। इस वारदात को उस वक्त अंजाम दिया गया जब पहलू खान हटवाड़ा रामगढ़, जयपुर जिला से 45 हजार रूपये में दो गाय खरीदकर अपने बेटे व अन्य साथियों के साथ गांव जयसिंहपुर, तहसील नूह, जिला मेवात, हरियाणा लौट रहे थे। उनके साथ अजमत भी था जिसने 70 हजार में दो गाय खरीदी थी, सभी को रोका गया था। भीड़ ने पहलू खान, अजमत, रफीक, इर्शाद व आरिफ व पहलू खान पांचों को मारा था। सभी को बहुत गंभीर चोटें आई थीं। अजमत की रीढ की हड्डी व दोनों आंख व सिर पर चोट आई थी और रफीक के कान व नाक में गंभीर चोटें आई थीं। पहलू खान की मौत 4 अप्रैल 2017 को कैलाश अस्पताल में हुई थी, राजस्थान पुलिस ने उन्हें जयपुर तक रैफर नहीं किया। पहलू खान ने मौत से पहले जो नाम अपने पर्चा बयान में दिये थे उन्हें पुलिस ने जांच के बाहर ही कर दिया था। ट्रायल, सुनवाई अलवर की अपर जिला अदालत में सिर्फ 6 वयस्क मुल्जिमों की हुई, अन्य 3 नाबालिग की सुनवाई बाल अपराध न्यायालय अलवर में हो रही है।
संगठन की तरफ से कहा गया है कि इस मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व गृहमंत्री गुलाब चन्द कटारिया के नेतृत्व में राजस्थान पुलिस ने जो दो चालान 31 मई 2017 व दूसरा 28 अक्टूबर 2017 को दायर किए थे वह बहुत ही बहुत कमजोर थे, जिसकी हम पूरजोर शब्दों में पुनः निन्दा करते हैं। हमारा मानना है कि जांच अधिकारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कोटपुतली राम स्वरूप शर्मा ने सही जांच न कर व राजनैतिक दबाव में आकर कमजोर चालान दायर किया जिसमें उच्च पुलिस अधिकारी भी पूर्णरूप से शामिल थे।
मिसाल के तौर पर, जो चालान दायर किया गया उसमें राजस्थान पुलिस ने जान बूझ कर मुख्य साक्ष्य के रुप में उपलब्ध दोनों वीडियो की फोरेंसिक जांच नहीं कराई जिसमें पहलू खान को बेहरमी से पटक पटक कर मारा जा रहा था। मोबाईल बनाने वाले को साक्ष्य के रूप में पेश नही किया और तो और ना ही मुल्जिमों की पहचान परेड करवाई गई।
इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि इस देश में गाय के नाम पर जो मारा जायेगा उसको न्याय नहीं मिलेगा। एक तरीके से अदालत के इस फैसले से गौरक्षा के नाम पर कानून को हाथ में लेकर मुसलमानों को निशाना बना कर मार रहे गौ गुण्डों के हौसले ही बढेंगे। यह बहुत अफसोसजनक है कि जिस पहलू खान की हत्या को लेकर देशभर से लोग खड़े हुए थे, उसका साक्ष्य वीडियो में भी उपलब्ध था, उस मसले में सभी आरोपी बरी हो जायें तो आम व्यक्ति न्याय के लिए कहां जायेगा।
पीयूसीएल राजस्थान अभियोजन को राय देगा कि वह राजस्थान उच्च न्यायालय में जल्द से जल्द अपील दायर करे व उच्च न्यायालय की मॉनीटरिंग में पुनः जांच व ट्रायल करवाया जाये। PUCL पहलु खान के परिवार वालों व साथियों से अपील करना चाहता है कि वे निराश नहीं हों, न्याय ज़रूर मिलेगा।
ज्ञात हो कि पहलू खान को 1 अप्रैल 2017 को बहरोड़ में गाय के नाम पर गुण्डागर्दी कर रहे अनेक लोगों ने पकड़ कर बुरी तरह पीटा। इस वारदात को उस वक्त अंजाम दिया गया जब पहलू खान हटवाड़ा रामगढ़, जयपुर जिला से 45 हजार रूपये में दो गाय खरीदकर अपने बेटे व अन्य साथियों के साथ गांव जयसिंहपुर, तहसील नूह, जिला मेवात, हरियाणा लौट रहे थे। उनके साथ अजमत भी था जिसने 70 हजार में दो गाय खरीदी थी, सभी को रोका गया था। भीड़ ने पहलू खान, अजमत, रफीक, इर्शाद व आरिफ व पहलू खान पांचों को मारा था। सभी को बहुत गंभीर चोटें आई थीं। अजमत की रीढ की हड्डी व दोनों आंख व सिर पर चोट आई थी और रफीक के कान व नाक में गंभीर चोटें आई थीं। पहलू खान की मौत 4 अप्रैल 2017 को कैलाश अस्पताल में हुई थी, राजस्थान पुलिस ने उन्हें जयपुर तक रैफर नहीं किया। पहलू खान ने मौत से पहले जो नाम अपने पर्चा बयान में दिये थे उन्हें पुलिस ने जांच के बाहर ही कर दिया था। ट्रायल, सुनवाई अलवर की अपर जिला अदालत में सिर्फ 6 वयस्क मुल्जिमों की हुई, अन्य 3 नाबालिग की सुनवाई बाल अपराध न्यायालय अलवर में हो रही है।