वंचित बहुजन अघाड़ी संगठन ने चुनाव आयोग से अपील की है कि ईवीएम टैंपरिंग मामलों की जांच कराई जाए। संगठन ने कहा कि अगर संभव हो तो 2019 लोकसभा चुनाव फिर से आयोजित कराए जाएं।
हाल में संपन्न हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में कई तरह की घटना और विवाद देखने को मिले। पूरे चुनाव के दौरान ईवीएम सबसे ज्यादा चर्चा में रही। देशभर के कई हिस्सों से ईवीएम फेल होने की खबरें सामने आईँ। ऐसे में कई जगह पर ईवीएम के विरोध में प्रदर्शन भी देखने को मिले।
देशभर से ईवीएम टैंपरिंग के आरोप लगने के क्रम में वंचित अघाड़ी संगठन के नेता प्रकाश अंबेडकर ने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में 48 निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज वोटों और गिने गए वोटों में विसंगतियां हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री अंबेडकर ने कहा कि 26 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में, 23 मई 2019 को मतों की गिनती वोटों की घोषित संख्या से कम पाई गई और इन निर्वाचन क्षेत्रों में रायगढ़ में आंकड़ों में सबसे कम अंतर (16) था। जबकि, परभणी क्षेत्र में अंतर सबसे ज्यादा था। यह अंतर था 2,101 वोटों का। महाराष्ट्र के बाकी 22 निर्वाचन क्षेत्रों में मतों की संख्या वोटों की तुलना में अधिक थी जिसमें वर्धा में सबसे अधिक अंतर (1,380) है, जबकि रावेर में सबसे कम वोटों (8) का अंतर था।
चुनाव प्रक्रिया के लिए चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एक रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया था। इनका काम था कि कुल डाले गए वोटों की गिनती की जानकारी इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को देना। यह पहली बार है कि इतनी अधिक संख्या में निर्वाचन क्षेत्रों में इस विसंगति को पाया गया है। ईवीएम से छेड़छाड़ और देश में निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्रों में वीवीपीएटी मशीन द्वारा उत्पन्न सभी पेपर पर्चियों को गिनने की आवश्यकता के संबंध में कई राजनीतिक दल लंबे समय से भारत के चुनाव आयोग से अपील कर रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने उनकी मांगों को ठुकरा दिया था। इस मुद्दे पर राजनीतिक दल न्याय मांगने के लिए सर्वोच्च न्यायालय गए। निर्णय यह था कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्रों के पांच बूथों को गिना जाएगा जो फिर से संतोषजनक नहीं था। इस संदर्भ में प्रकाश अंबेडकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो तथ्य जारी किए हैं, उनमें ईवीएम से छेड़छाड़ और के मामले शामिल हैं। अम्बेडकर ने सभी नागरिकों से इस मुद्दे पर एक कदम उठाने की अपील की है क्योंकि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो पूरी भारतीय आबादी को चिंतित करती है और यह वह है जो यह तय करे कि उन्हें अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए अब ईवीएम मशीनों की आवश्यकता है या नहीं। इस पृष्ठभूमि में वंचित बहुजन अघाड़ी संगठन की मांग है कि अन्य लोकतांत्रिक देशों की तरह भारत में भी बैलेट पेपर से चुनाव होना चाहिए।
वंचित बहुजन अघाड़ी संगठन ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वह इस विसंगति का स्पष्टीकरण मांगे कि इतने बड़े पैमाने पर इस तरह की गलती क्यों हुई है। संगठन ने राष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों से भी अपील की है कि यदि ऐसे मामले उनके क्षेत्र में आए हैं तो वे इनकी जाँच करें। यदि उऩके क्षेत्र में ऐसी विसंगतियां पाई जाती हैं तो वे संबंधित राज्यों के उच्च न्यायालयों में मामले दायर करें। अब जब चुनाव समाप्त हो गया है, श्री प्रकाश अंबेडकर का मानना है कि अगर यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में उल्लिखित आधार पर अवैध पाया जाता है तो न्यायपालिका ही चुनाव को अमान्य करने की ताकत रखता है।
यह समय आ गया है कि भारत का चुनाव आयोग इस मामले की जांच करे और अपने स्वयं के बयान पर भरोसा दिलाए कि ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। उनके संगठन का मानना है कि संवैधानिक और स्वतंत्र निकाय होने के नाते, भारत का चुनाव आयोग खुद इस मामले को ईवीएम से छेड़छाड़ पर बढ़ती चिंताओं के आधार पर उच्चतम न्यायालय में ले जा सकता है जिसने उनके बयान को गलत साबित किया है। यह भी कि वे सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध कर सकते हैं कि इस तरह की चिंताओं के लिए चुनावों को फिर से आयोजित करने के लिए वर्तमान सरकार की वैधता पर सवाल उठाए और भारत के नागरिकों को निष्पक्ष चुनाव और केंद्र में निष्पक्ष रूप से निर्वाचित सरकार होनी चाहिए।
हाल में संपन्न हुए 2019 के लोकसभा चुनाव में कई तरह की घटना और विवाद देखने को मिले। पूरे चुनाव के दौरान ईवीएम सबसे ज्यादा चर्चा में रही। देशभर के कई हिस्सों से ईवीएम फेल होने की खबरें सामने आईँ। ऐसे में कई जगह पर ईवीएम के विरोध में प्रदर्शन भी देखने को मिले।
देशभर से ईवीएम टैंपरिंग के आरोप लगने के क्रम में वंचित अघाड़ी संगठन के नेता प्रकाश अंबेडकर ने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में 48 निर्वाचन क्षेत्रों में दर्ज वोटों और गिने गए वोटों में विसंगतियां हैं। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री अंबेडकर ने कहा कि 26 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों में, 23 मई 2019 को मतों की गिनती वोटों की घोषित संख्या से कम पाई गई और इन निर्वाचन क्षेत्रों में रायगढ़ में आंकड़ों में सबसे कम अंतर (16) था। जबकि, परभणी क्षेत्र में अंतर सबसे ज्यादा था। यह अंतर था 2,101 वोटों का। महाराष्ट्र के बाकी 22 निर्वाचन क्षेत्रों में मतों की संख्या वोटों की तुलना में अधिक थी जिसमें वर्धा में सबसे अधिक अंतर (1,380) है, जबकि रावेर में सबसे कम वोटों (8) का अंतर था।
चुनाव प्रक्रिया के लिए चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एक रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया था। इनका काम था कि कुल डाले गए वोटों की गिनती की जानकारी इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को देना। यह पहली बार है कि इतनी अधिक संख्या में निर्वाचन क्षेत्रों में इस विसंगति को पाया गया है। ईवीएम से छेड़छाड़ और देश में निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्रों में वीवीपीएटी मशीन द्वारा उत्पन्न सभी पेपर पर्चियों को गिनने की आवश्यकता के संबंध में कई राजनीतिक दल लंबे समय से भारत के चुनाव आयोग से अपील कर रहे हैं। लेकिन चुनाव आयोग ने उनकी मांगों को ठुकरा दिया था। इस मुद्दे पर राजनीतिक दल न्याय मांगने के लिए सर्वोच्च न्यायालय गए। निर्णय यह था कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्रों के पांच बूथों को गिना जाएगा जो फिर से संतोषजनक नहीं था। इस संदर्भ में प्रकाश अंबेडकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो तथ्य जारी किए हैं, उनमें ईवीएम से छेड़छाड़ और के मामले शामिल हैं। अम्बेडकर ने सभी नागरिकों से इस मुद्दे पर एक कदम उठाने की अपील की है क्योंकि यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो पूरी भारतीय आबादी को चिंतित करती है और यह वह है जो यह तय करे कि उन्हें अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए अब ईवीएम मशीनों की आवश्यकता है या नहीं। इस पृष्ठभूमि में वंचित बहुजन अघाड़ी संगठन की मांग है कि अन्य लोकतांत्रिक देशों की तरह भारत में भी बैलेट पेपर से चुनाव होना चाहिए।
वंचित बहुजन अघाड़ी संगठन ने चुनाव आयोग से अपील की है कि वह इस विसंगति का स्पष्टीकरण मांगे कि इतने बड़े पैमाने पर इस तरह की गलती क्यों हुई है। संगठन ने राष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों से भी अपील की है कि यदि ऐसे मामले उनके क्षेत्र में आए हैं तो वे इनकी जाँच करें। यदि उऩके क्षेत्र में ऐसी विसंगतियां पाई जाती हैं तो वे संबंधित राज्यों के उच्च न्यायालयों में मामले दायर करें। अब जब चुनाव समाप्त हो गया है, श्री प्रकाश अंबेडकर का मानना है कि अगर यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में उल्लिखित आधार पर अवैध पाया जाता है तो न्यायपालिका ही चुनाव को अमान्य करने की ताकत रखता है।
यह समय आ गया है कि भारत का चुनाव आयोग इस मामले की जांच करे और अपने स्वयं के बयान पर भरोसा दिलाए कि ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। उनके संगठन का मानना है कि संवैधानिक और स्वतंत्र निकाय होने के नाते, भारत का चुनाव आयोग खुद इस मामले को ईवीएम से छेड़छाड़ पर बढ़ती चिंताओं के आधार पर उच्चतम न्यायालय में ले जा सकता है जिसने उनके बयान को गलत साबित किया है। यह भी कि वे सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध कर सकते हैं कि इस तरह की चिंताओं के लिए चुनावों को फिर से आयोजित करने के लिए वर्तमान सरकार की वैधता पर सवाल उठाए और भारत के नागरिकों को निष्पक्ष चुनाव और केंद्र में निष्पक्ष रूप से निर्वाचित सरकार होनी चाहिए।