वाराणसी: PM मोदी के संसदीय क्षेत्र में लोगों ने थाली बजाकर बताया- हम भूखे हैं

Written by Sabrangindia Staff | Published on: April 12, 2020
लॉकडाउन के कारण वाराणसी में गरीबों की हालत लगातार बिगड़ रही है। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, इलाके में बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्हें एक टाइम का भी भोजन नसीब नहीं हो रहा है। कुछ लोगों को एक टाइम का मिल भी रहा है तो किसी तरह पेट भर पा रहा है। पहले कई स्वयंसेवी संस्थाएं भोजन पहुंचाती रहीं लेकिन जिला प्रशासन की रोक के बाद स्थिति बिगड़ गई है। प्रशासन ने अब पुलिस थानों और चौकियों की मदद से ही खाना बांटने की इजाजत दी है। साथ ही खाना बांटने से पहले अधिकारियों से अनुमति भी अनिवार्य कर दी गई है। इससे लोगों को लॉकडाउन में भोजन के लिए भी तरसना पड़ रहा है। हिन्दुस्तान ने चार स्थानों का जायजा लिया, हम इस रिपोर्ट को साभार आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं....



सेवा बस्ती दुर्गाकुंड: दो बार नाम लिखा, पर आया कोई नहीं
भोजन वितरण की नई व्यवस्था लागू होने के बाद से दुर्गाकुंड स्थित सेवा बस्ती में न तो भोजन पहुंचा है और न ही किसी ने राशन पहुंचाया। शनिवार तीसरे पहर करीब तीन बजे बस्ती में संवाददाता पहुंचा तो कई महिलाएं और पुरुष अपने घरों से निकल आए। किसी ने कहा कि महाजन से कर्ज लेकर दोनों समय चावल भूज कर खा रहे हैं। किसी ने कहा, जैसे-तैसे गुजारा चल रहा है। दानो देवी ने बताया कि दो-दो बार लोग नाम पता और मोबाइल नंबर लिख कर ले गए हैं लेकिन अब तक कोई राशन पहुंचाने नहीं आया। लोगों ने भाजपा के एक स्थानीय नेता का नाम लेते हुए कहा कि वह हमारी बस्ती में आए और वीडियो बनवा कर चले गए। बताया कि एक हजार लोगों को रोज भोजन बांट रहा हूं जबकि अपने जानने वालों को ही उन्होंने कुछ पैकेट बांटा है।


हिंदुस्तान न्यूज पेपर की कटिंग

काशी विश्वनाथ कुष्ठ आश्रमः दिन में खिचड़ी आयी पर रात में कुछ नहीं
कुष्ठ आश्रम में 26 रोगी रहते हैं। लॉकडाउन के बाद से कोई न कोई संस्था इन्हें कम से कम एक समय का खाना खिलाती थी। कुछ पैकेट कच्चा राशन भी मिलता था। लेकिन तीन दिन से काफी परेशानी हो रही है। शुक्रवार को दिन में पुलिस की ओर से खिचड़ी आई थी, लेकिन रात में कुछ नहीं मिला। शनिवार को तो खाना ही नहीं आया। यहां रह रहे लोगों ने बचे खुचे आटे से रोटियां बनाईं और अचार के साथ खाकर पेट भरा। आश्रम के प्रधान अजय शर्मा ने बताया कि खाने पीने की दिक्कत है। थोड़ा बहुत रूखा सूखा हमलोगों ने खाया है। अब ये नहीं पता कि कल क्या मिलेगा। रमेश शर्मा ने बताया कि जब से प्रशासन ने संस्थाओं की आईडी बंद की है तब से दिक्कत हो रही है। फुलेसर राय, विनोद, अर्जुन, उदय, सरस्वती, कौशल्या, मंदोदरी ने बताया कि हमें खाना चाहिए। हमलोग एक रोटी कम खाते हैं कि न जाने कल खाना आएगा कि नहीं। 



रोहित नगरः तीन दिन से लाई वाला चाउर खाकर पेट भर रहे
बस्ती में आठ झोपड़ी हैं, जिसमें बड़े और बच्चे मिलाकर 16 लोग रहते हैं। लॉकडाउन के बाद से संस्थाओं की ओर से भोजन मिलता था। जिससे दोनों टाइम का काम चला लेते थे, लेकिन तीन दिन से परेशानी बढ़ गई है। शनिवार को दो किलो लाई वाला चाउर उधार लेकर ये लोग आए हैं। बच्चों को दूध तो छोड़िये भरपेट खाना भी नहीं मिल रहा है। 62 वर्षीय बुधनी ने बताया संस्था वालों को फोन करते हैं तो जवाब मिलता है माई पुलिस मना कर रही है। पुलिस वाले खाना लेकर आएंगे, लेकिन तीन दिन से खाना नहीं आया। हमलोग लाई वाला चाउर खरीदे हैं, वहीं खाकर पानी पी लेते हैं। यही हाल नुमिता, ओभी, बसंती, दूधनाथ, शामुली, गीता, नयन का भी है।

मुमुक्षु भवन: अन्नक्षेत्र से आ रहा हमारा भोजन
मुमुक्षु भवन में रहने वाले दंडी संन्यासियों को भदैनी स्थित एक अन्नक्षेत्र से नाश्ता और भोजन का आसरा है। संन्यासियों ने बताया कि सामान्य स्थिति में हम लोग अन्नक्षेत्र जाकर भोजन कर लेते थे। लॉकडाउन के बाद अन्नक्षेत्र वालों ने यहां भोजन पहुंचाने की जिम्मेदारी उठा ली है। वे सुबह की चाय और नाश्ता भी भेज देते हैं। अन्नक्षेत्र के प्रबंधक ने कहा कि आप लोगों को बाहर निकलने की जरूरत नहीं है। हम लोग समय पर भोजन करते हैं और बाकी समय पूजा-पाठ में बिताते हैं। उन्होंने बताया, प्रशासन की तरफ से आज तक कोई पूछने भी नहीं आया कि हम लोगों को भोजन मिलता है या नहीं। कहने को तो स्मार्ट सिटी के तहत कोविड-19 वार रूम से शिकायतें ली जा रही हैं। नोडल अधिकारी व एडीएम वित्त सतीश पाल ने बताया कि शनिवार को 243 शिकायतें मिली हैं। इसमें सबसे अधिक खाद्य सामाग्री के लिए 129 कॉल आयीं। जिसे भिजवाया गया। यदि किसी को खाद्य सामाग्री में दिक्कत आ रही है तो वह 1077 पर फोन करें। तत्काल राहत उपलब्ध कराया जाएगा।

 

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