मोदी जी ने भावुक भाषण के नीचे जिम्मेदाराना और बुनियादी सवालों को छोड़ दिया। जैसे कि...
1.) भारत में सेनिटाइजर्स की आपूर्ति के लिए सरकार ने क्या कदम उठाये ?
2.) देश मे कितने फ्री टेस्टिंग सेंटर्स बनाये? 3.) कोरोना की थर्मल विधि से टेस्टिंग की मशीन करीब 15 हज़ार की हैँ, इसे हर नगर पंचायत, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आंगनवाड़ी केंद्र, प्राइमरी स्कूल में पोलियो की तरह स्थापित किया जा सकता हैँ पर क्यों नहीं किया?
4.) देशबन्दी के बाद उपजने वाली कालाबाज़ारी और खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए सरकार ने लिए क्या कदम उठाये ?
5.) यदि कोई डाक्टर, नर्स इत्यादि स्वास्थ्य कर्मी कोरोना इलाज करते हुए चपेट में आके मर जाता हैँ तो उसके लिए कोई आर्थिक मदद की क्या व्यवस्था हैँ (ध्यान रहे ये सबसे जरूरी था, ताकी उनका मनोबल ना टूटे)
6.) 25 फरवरी तक सरकार कह रही थी की कोरोना से निपटने के लिए पूरा इंतेज़ाम हैँ और 1 लाख लोग काम पे लगे हैँ तो उन्होंने क्या किया?
7.) विकसित देशों में 60 लोगों पे एक स्वास्थ्य कर्मी हैँ, विकास शील देशों में 250-300 पे एक और भारत में 5000 पे एक, हम कोरोना से लड़ने की दशा में कहाँ खड़े हैँ?
इन सवालों पर मोदी जी बोल देते तो इस मुश्किल वक्त में देश को थोड़ा ढांढस बंधता। खैर छोड़ो ये जिम्मेदार नेताओं के काम हैँ। आप बस 22 मार्च शाम 5 बजे थाली-प्लेट लेके जिंगाला ला हु करने को तैयार रहो।
सोशल मीडिया से साभार
1.) भारत में सेनिटाइजर्स की आपूर्ति के लिए सरकार ने क्या कदम उठाये ?
2.) देश मे कितने फ्री टेस्टिंग सेंटर्स बनाये? 3.) कोरोना की थर्मल विधि से टेस्टिंग की मशीन करीब 15 हज़ार की हैँ, इसे हर नगर पंचायत, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आंगनवाड़ी केंद्र, प्राइमरी स्कूल में पोलियो की तरह स्थापित किया जा सकता हैँ पर क्यों नहीं किया?
4.) देशबन्दी के बाद उपजने वाली कालाबाज़ारी और खाद्यान्न की आपूर्ति के लिए सरकार ने लिए क्या कदम उठाये ?
5.) यदि कोई डाक्टर, नर्स इत्यादि स्वास्थ्य कर्मी कोरोना इलाज करते हुए चपेट में आके मर जाता हैँ तो उसके लिए कोई आर्थिक मदद की क्या व्यवस्था हैँ (ध्यान रहे ये सबसे जरूरी था, ताकी उनका मनोबल ना टूटे)
6.) 25 फरवरी तक सरकार कह रही थी की कोरोना से निपटने के लिए पूरा इंतेज़ाम हैँ और 1 लाख लोग काम पे लगे हैँ तो उन्होंने क्या किया?
7.) विकसित देशों में 60 लोगों पे एक स्वास्थ्य कर्मी हैँ, विकास शील देशों में 250-300 पे एक और भारत में 5000 पे एक, हम कोरोना से लड़ने की दशा में कहाँ खड़े हैँ?
इन सवालों पर मोदी जी बोल देते तो इस मुश्किल वक्त में देश को थोड़ा ढांढस बंधता। खैर छोड़ो ये जिम्मेदार नेताओं के काम हैँ। आप बस 22 मार्च शाम 5 बजे थाली-प्लेट लेके जिंगाला ला हु करने को तैयार रहो।
सोशल मीडिया से साभार