नफ़रती बयान पर लंबित याचिका की कड़ी में एक और याचिका दायर की गई है जिसमें कोर्ट से ऐसी रैलियों पर रोक लगाने की मांग की गई है– “जो देश में सांप्रदायिक भेदभाव और हिंसा को निश्चित तौर पर बड़े पैमाने पर बढ़ा सकती हैं.”
2 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में शाहीन अब्दुल्लाह ने नफ़रती बयानों पर पहले से दायर याचिका की कड़ी में अंतर्वती आवेदन (Interlocutory Application- IA) किया था. हरियाणा, नूह में 31 जुलाई की सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनज़र इसे सुप्रीम कोर्ट ने फ़ौरन संज्ञान में लिया है. इस दाख़िल याचिका में सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली NCR की विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की रैलियों की पड़ताल करने की मांग की गई है.
ग़ौरतलब है कि 31 जुलाई को हरियाणा के नूंह में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद् की अगुवाई में एक जलूस का आयोजन किया गया था जिसमें हिंदू और मुसलमान समुदायों के बीच हिंसक झड़प की घटना हुई थी. इस जलूस में हिंदू भीड़ ने मुसलमान समुदाय के लोगों को जानबूझ कर निशाने पर लिया था. इस दौरान मुसलमानों की दुकानों और मस्जिदों को भी जलाने और धव्स्त करने की ख़बर है.
सोशल मीडिया पर ऐसे अनेक वीडियो जारी किए गए हैं जिनमें हरियाणा के ज़िलों में बजरंग दल और VHP के जलूसों को आपत्तिजनक स्लोगन और नारों के साथ हिंदू आबादी को मुसलमान समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा के लिए उकसाते हुए देखा जा सकता है.
आवेदन में निम्नलिखित घटनाओं पर प्रकाश डाला गया – “ग़ौरतलब है कि VHP के युवा मोर्चे बजरंग दल की अगुवाई में हरियाणा के भिवानी में 01.08.2023 को एक रैली आयोजित की गई जिसमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा उकसाने के लिए नारे लगाए गए. (जब मुल्ले काटे जाएंगे, हम राम राम चिल्लाएंगें). जबकि 01.08.2023 को दिल्ली के नांगलोई में मुहर्रम जुलूस के दौरान मुठभेड़ के बाद फिर दिल्ली के नजाफ़गढ़ में बजरंग दल ने एक दूसरी रैली का भी आयोजन किया जिसमें मुसलमान तबक़े के ख़िलाफ़ नारे लगाए गए.(देश के ग़द्दारों को, गोली मारो सालों को.)”
VHP की योजना के मुताबिक़ 2 अगस्त की सुबह दिल्ली NCR में रैलियों की एक लिस्ट सोशल मीडिया पर वायरल थी जिसे दायर एप्लीकेशन में दर्ज किया गया है. सूची के मुताबिक़ 2 अगस्त को इन रैलियों का आयोजन तय किया गया था.
- दिल्ली हरियाणा बार्डर
- नोएडा ( सेक्टर 21 ए से रजनीगंधा चौक), उत्तर प्रदेश
- मनेसर, हरियाणा
- दिल्ली के कुल 23 इलाक़े जिसमें करोल बाग़, पटेल नगर, लाजपत नगर, मयूर विहार, मुखर्जी नगर, नारेला, मोती नगर, तिलक नगर, नांगलोई, अंबेड़कर नगर, नजफ़गढ़ आदि शामिल किए गए थे.
इस आवेदन में रैली से पैदा हालत में सख़्त क़ानून और व्यवस्था की ज़रूरत की तरफ़ ध्यान खींचते हुए कहा गया कि –
“ये साफ़ है कि नूह और गुड़गांव में हालात काफ़ी तनावपूर्ण हैं, थोड़ा सा भी उकसाने पर जान और संपत्ति का नुक़सान हो सकता है, ऐसे में सांप्रदायिक आग को भड़काने और लोगों को हिंसा के लिए उकसाने वाली रैलियों की इजाज़त नहीं होनी चाहिए.”
आवेदन में कहा गया कि इस तरह की रैलियों का असर सिर्फ़ दंगा प्रभावित इलाक़ों तक महदूद नहीं होता है बल्कि पूरे मुल्क में
इससे कहीं भी सांप्रदायिक हिंसा पनप सकती है. आवेदन में अपील की गई कि –
“DGP दिल्ली, DGP उत्तर प्रदेश, DGP हरियाणा और अन्य अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए माननीय कोर्ट को उचित कारवाई करनी चाहिए जिससे ये तय होता हो कि 2 अगस्त के लिए तय रैलियो की इजाज़त नहीं मिलेगी.” इसमें यह भी कहा गया कि अगर ये रैलियां आयोजित की जाती हैं तो इनकी फ़ुटेज रिकार्ड करके, ट्रांसक्रिप्ट और ट्रांसलेशन सहित सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया जाना चाहिए.
पूरा आवेदन यहां पढ़ा जा सकता है-
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश और निरीक्षण यहां पढ़ा जा सकता है.
शाहीन अब्दुल्लाह केस में पिछले आदेश-
17 मई को जस्टिस के.एम. जोसेफ़ (हाल ही में सेवानिवृत्त) की बेंच ने नफ़रती बयानों और अपराधों पर दर्ज याचिका पर सुनवाई की थी. इस दौरान के.एम. जोसेफ़ ने ऐसे अपराधों में मज़हब देखे बिना फ़ौरन कारवाई की निर्देश दिया था. लाईव लॉ के रिपोर्ट के मुताबिक़ इस मामले में न्यायमूर्ति ने कहा कि -
“मुझे नहीं लगता कि किसी के लिए भी देश की भलाई से बढ़कर कुछ हो सकता है. फ़र्क़ बस इतना है कि जब आप बिना धर्म देखे या किसी भी दूसरे ऐसे बिंदु का संज्ञान लिए बिना फ़ौरन कारवाई करते हैं और देश में क़ानून के शासन के लिए काम करते हैं तो कोई समस्या नहीं होती है.”
इससे पहले फ़रवरी 2023 में शाहीन अब्दुल्लाह ने महाराष्ट्र में सकल हिंदू समाज की एक बैठक पर प्रतिबंध के लिए यचिका दायर की थी. उन्होंने इस याचिका में पिछली रैलियों में दक्षिणपंथी समूहों के मुसलमान विरोधी रूप की तस्वीर सामने रखते हुए मीटिंग रिकार्ड करने और इलाक़े में पुलिस तैनात करने की मांग की थी. जिसे बेंच ने स्वीकार कर लिया था.
बेंच ने कहा था अगर सकल हिंदू समाज को मुंबई में बैठक की इजाज़त दी जाती है तो उनके लिए आवश्यक है कि वो नफ़रती बयान के ज़रिए क़ानून और व्यवस्था को भंग करने की कोशिश न करें वरना कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसिजर के सेक्शन 15 के तहत पुलिस को निवारक गिरफ़्तारियां करने का हक़ होगा.
अक्टूबर 2022 में जस्टिस के. एम. जोसेफ़ ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली NCT को नफ़रती बयान का स्वत: संज्ञान लेकर फ़ौरन कारवाई करने का निर्देश जारी किया. कोर्ट ने ये चेतावनी भी दी कि किसी भी धर्म के लोगों के नफ़रती बयान जारी करने पर कार्रवाई न करना कोर्ट की अवमानना में शुमार होगा. कोर्ट ने कहा कि – “अगर अलग अलग मज़हबी समुदाय सद्भावना से रहने के लिए तैयार नहीं हैं तो किसी भी क़िस्म के भाईचारे की गुंजाइश नहीं हो सकती है.”
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2 अगस्त, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में शाहीन अब्दुल्लाह ने नफ़रती बयानों पर पहले से दायर याचिका की कड़ी में अंतर्वती आवेदन (Interlocutory Application- IA) किया था. हरियाणा, नूह में 31 जुलाई की सांप्रदायिक हिंसा के मद्देनज़र इसे सुप्रीम कोर्ट ने फ़ौरन संज्ञान में लिया है. इस दाख़िल याचिका में सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली NCR की विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की रैलियों की पड़ताल करने की मांग की गई है.
ग़ौरतलब है कि 31 जुलाई को हरियाणा के नूंह में बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद् की अगुवाई में एक जलूस का आयोजन किया गया था जिसमें हिंदू और मुसलमान समुदायों के बीच हिंसक झड़प की घटना हुई थी. इस जलूस में हिंदू भीड़ ने मुसलमान समुदाय के लोगों को जानबूझ कर निशाने पर लिया था. इस दौरान मुसलमानों की दुकानों और मस्जिदों को भी जलाने और धव्स्त करने की ख़बर है.
सोशल मीडिया पर ऐसे अनेक वीडियो जारी किए गए हैं जिनमें हरियाणा के ज़िलों में बजरंग दल और VHP के जलूसों को आपत्तिजनक स्लोगन और नारों के साथ हिंदू आबादी को मुसलमान समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसा के लिए उकसाते हुए देखा जा सकता है.
आवेदन में निम्नलिखित घटनाओं पर प्रकाश डाला गया – “ग़ौरतलब है कि VHP के युवा मोर्चे बजरंग दल की अगुवाई में हरियाणा के भिवानी में 01.08.2023 को एक रैली आयोजित की गई जिसमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा उकसाने के लिए नारे लगाए गए. (जब मुल्ले काटे जाएंगे, हम राम राम चिल्लाएंगें). जबकि 01.08.2023 को दिल्ली के नांगलोई में मुहर्रम जुलूस के दौरान मुठभेड़ के बाद फिर दिल्ली के नजाफ़गढ़ में बजरंग दल ने एक दूसरी रैली का भी आयोजन किया जिसमें मुसलमान तबक़े के ख़िलाफ़ नारे लगाए गए.(देश के ग़द्दारों को, गोली मारो सालों को.)”
VHP की योजना के मुताबिक़ 2 अगस्त की सुबह दिल्ली NCR में रैलियों की एक लिस्ट सोशल मीडिया पर वायरल थी जिसे दायर एप्लीकेशन में दर्ज किया गया है. सूची के मुताबिक़ 2 अगस्त को इन रैलियों का आयोजन तय किया गया था.
- दिल्ली हरियाणा बार्डर
- नोएडा ( सेक्टर 21 ए से रजनीगंधा चौक), उत्तर प्रदेश
- मनेसर, हरियाणा
- दिल्ली के कुल 23 इलाक़े जिसमें करोल बाग़, पटेल नगर, लाजपत नगर, मयूर विहार, मुखर्जी नगर, नारेला, मोती नगर, तिलक नगर, नांगलोई, अंबेड़कर नगर, नजफ़गढ़ आदि शामिल किए गए थे.
इस आवेदन में रैली से पैदा हालत में सख़्त क़ानून और व्यवस्था की ज़रूरत की तरफ़ ध्यान खींचते हुए कहा गया कि –
“ये साफ़ है कि नूह और गुड़गांव में हालात काफ़ी तनावपूर्ण हैं, थोड़ा सा भी उकसाने पर जान और संपत्ति का नुक़सान हो सकता है, ऐसे में सांप्रदायिक आग को भड़काने और लोगों को हिंसा के लिए उकसाने वाली रैलियों की इजाज़त नहीं होनी चाहिए.”
आवेदन में कहा गया कि इस तरह की रैलियों का असर सिर्फ़ दंगा प्रभावित इलाक़ों तक महदूद नहीं होता है बल्कि पूरे मुल्क में
इससे कहीं भी सांप्रदायिक हिंसा पनप सकती है. आवेदन में अपील की गई कि –
“DGP दिल्ली, DGP उत्तर प्रदेश, DGP हरियाणा और अन्य अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए माननीय कोर्ट को उचित कारवाई करनी चाहिए जिससे ये तय होता हो कि 2 अगस्त के लिए तय रैलियो की इजाज़त नहीं मिलेगी.” इसमें यह भी कहा गया कि अगर ये रैलियां आयोजित की जाती हैं तो इनकी फ़ुटेज रिकार्ड करके, ट्रांसक्रिप्ट और ट्रांसलेशन सहित सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश किया जाना चाहिए.
पूरा आवेदन यहां पढ़ा जा सकता है-
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश और निरीक्षण यहां पढ़ा जा सकता है.
शाहीन अब्दुल्लाह केस में पिछले आदेश-
17 मई को जस्टिस के.एम. जोसेफ़ (हाल ही में सेवानिवृत्त) की बेंच ने नफ़रती बयानों और अपराधों पर दर्ज याचिका पर सुनवाई की थी. इस दौरान के.एम. जोसेफ़ ने ऐसे अपराधों में मज़हब देखे बिना फ़ौरन कारवाई की निर्देश दिया था. लाईव लॉ के रिपोर्ट के मुताबिक़ इस मामले में न्यायमूर्ति ने कहा कि -
“मुझे नहीं लगता कि किसी के लिए भी देश की भलाई से बढ़कर कुछ हो सकता है. फ़र्क़ बस इतना है कि जब आप बिना धर्म देखे या किसी भी दूसरे ऐसे बिंदु का संज्ञान लिए बिना फ़ौरन कारवाई करते हैं और देश में क़ानून के शासन के लिए काम करते हैं तो कोई समस्या नहीं होती है.”
इससे पहले फ़रवरी 2023 में शाहीन अब्दुल्लाह ने महाराष्ट्र में सकल हिंदू समाज की एक बैठक पर प्रतिबंध के लिए यचिका दायर की थी. उन्होंने इस याचिका में पिछली रैलियों में दक्षिणपंथी समूहों के मुसलमान विरोधी रूप की तस्वीर सामने रखते हुए मीटिंग रिकार्ड करने और इलाक़े में पुलिस तैनात करने की मांग की थी. जिसे बेंच ने स्वीकार कर लिया था.
बेंच ने कहा था अगर सकल हिंदू समाज को मुंबई में बैठक की इजाज़त दी जाती है तो उनके लिए आवश्यक है कि वो नफ़रती बयान के ज़रिए क़ानून और व्यवस्था को भंग करने की कोशिश न करें वरना कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसिजर के सेक्शन 15 के तहत पुलिस को निवारक गिरफ़्तारियां करने का हक़ होगा.
अक्टूबर 2022 में जस्टिस के. एम. जोसेफ़ ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली NCT को नफ़रती बयान का स्वत: संज्ञान लेकर फ़ौरन कारवाई करने का निर्देश जारी किया. कोर्ट ने ये चेतावनी भी दी कि किसी भी धर्म के लोगों के नफ़रती बयान जारी करने पर कार्रवाई न करना कोर्ट की अवमानना में शुमार होगा. कोर्ट ने कहा कि – “अगर अलग अलग मज़हबी समुदाय सद्भावना से रहने के लिए तैयार नहीं हैं तो किसी भी क़िस्म के भाईचारे की गुंजाइश नहीं हो सकती है.”
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