मध्यप्रदेश में गौवंश की बदहाली पर जनहित याचिका

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: November 3, 2018
भारतीय जनता पार्टी ने गायों और गौवंश के नाम पर मतदाताओं का भी दोहन किया और कानून-व्यवस्था को हाथ में लेने वालों को भी बढ़ावा दिया, लेकिन सचाई यही है कि उसके शासन वाले राज्यों में गायों और गौशालाओं की बदहाली रही।

Cow Shelter
 
मध्यप्रदेश में तो गौवंश और गौशालाओं की बदहाली को लेकर एक युवती के हाईकोर्ट को लिखे पत्र को जनहित याचिका के तौर पर ही स्वीकार कर लिया है। अदालत ने इस मामले में राज्य सरकार और जबलपुर नगर निगम से 2 सप्ताह में जवाब मांगा है।
 
जबलपुर की एक युवती पूर्णिमा शर्मा ने 24 अक्टूबर को मध्यप्रदेश के चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखा था। पत्र में लिखा था कि स्थानीय निकाय के कर्मचारी मूक पशुओं को क्रूरता करते हैं और जिन कांजी हाउस में रखा जाता है, उनमें किसी तरह की सुविधा नहीं है।
 
पूर्णिमा ने अपने पत्र में लिखा कि जबलपुर में कांजीहाउस के मवेशियों के खाने-पीने और इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है। भूख-प्यास और बीमारी के कारण तिलवारा के गौसेवा केंद्र में 5 से 10 जानवर असमय मौत के शिकार हो रहे हैं। नगर निगम के पास इन जानवरों के लिए डॉक्टर भी न होने की बात पत्र में लिखी है। तिलवारा के गोसेवा केंद्र में भी लगभग 100 जानवर हैं जिनके लिए जगह कम पड़ रही है।
 
पूर्णिमा ने पत्र में लिखा था कि इसकी शिकायत नगर निगम, सीएम हेल्प लाइन व अन्य आला अधिकारियों से की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शुरुआती सुनवाई के बाद कोर्ट ने राज्य सरकार और जबलपुर नगर निगम से जवाब-तलब किया। 
 
नईदुनिया के मुताबिक, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने पूर्णिमा के पत्र का संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर कर ली है, और कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और नगर निगम जबलपुर से 2 सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा है।


 

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