पाटन। गुजरात के पाटन में हुए सांप्रदायिक हमले के बाद एक मुस्लिम युवक ने बड़ा खुलासा किया है। 19 साल के मुस्लिम युवक अमजद बेलिम ने बताया कि भीड़ हमले के लिए तीन बार आई थी। जब वह 25 मार्च को अपने भाई इमरान के साथ लंच के लिए खेत से लौट रहा था तो पहली बार पड़ोस के सुनसार के ठाकुरों के लड़कों को गांव की ओर आते देखा।
Image: Gujarat Today
जनसत्ता की खबर के अनुसार, अमजद ने बताया, "वे कह रहे थे कि हम तुम सभी मुसलमानों को मार देंगे। लेकिन हमारे बुजुर्गों के समझाने के बाद वे शांत हो गए और चले गए।” इसके बाद दो बार और गुस्साई भीड़ वागजीपाड़ा पहुंची थी। आपको बता दें कि गुजरात के पाटन जिले दो छात्रों के बीच कहासुनी के बाद साम्प्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में भीड़ ने मुस्लिम घरों पर हमला बोल दिया था। जिसके बाद दो लोगों की मौत हो गई थी। भीड़ ने कई घरों में आग भी लगा दी थी।
हिंसा में अमजद के पिता इब्राहिम खान लाल खान बेलिम को जान गंवानी पड़ी। वहीं 20 अन्य घायल हो गए जिनमें से पांच गंभीर हैं। हिंसा में 25 वाहनों को आग लगा दी गई और घरों को फूंक दिया गया। साथ ही हमला करने वाले लोग पालतू जानवरों को भी साथ ले गए।
अमजद के अनुसार, पहले ग्रुप के लौटने के लगभग आधे घंटे बाद करीब 100 युवक लाठियां और धारदार हथियार लेकर पहुंचे। उसके पिता और गांव के अन्य बड़ों ने समझाने की कोशिश की। अमजद के बड़े भाई इमरान ने बताया, ”लेकिन ग्रुप ने उन्हें हथियारों से मारना शुरू कर दिया।” थोड़ी देर में पुलिस की गाड़ी गांव पहुंची तो भीड़ भाग गई। लेकिन जाने से उन्होंने वापस आने की धमकी दी।
इमरान ने आगे बताया, 'आधा घंटा भी नहीं हुआ होगा कि सुनसार से करीब 5000 लोग आए। हमने महिलाओं और बच्चों को मस्जिद में भेजा। पीछे केवल 15-16 लोग रहे।' भीड़ के तीसरी बार आने से पहले इब्राहिम खान ने दोनों बेटों और भतीजों को भाई के घर छुपा दिया और ताला लगा दिया।
अमजद ने बताया, 'उस समय आखिरी बार हमने अब्बू को देखा था।' घर के अंदर बंद अमजद ने चार या पांच बार गोली चलने की आवाज सुनी। उसने बताया कि हमने लोगों के चिल्लाने और गेट को खोलने की आवाजें सुनीं। हमने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया। कुछ देर में पुलिस आ गई और भीड़ भाग गई नहीं तो हम भी मारे जाते।
25 मार्च की रात को पुलिस ने घरवालों को बताया कि इब्राहिम खान की मौत हो गई। उनकी पत्नी ने बताया, ”मेरे पति ने अपने हाथ जोड़ लिए थे और उनसे वापस जाने को कहा था। उनकी क्या गलती थी?”
संपादन- भवेंद्र प्रकाश
Courtesy: National Dastak
Image: Gujarat Today
जनसत्ता की खबर के अनुसार, अमजद ने बताया, "वे कह रहे थे कि हम तुम सभी मुसलमानों को मार देंगे। लेकिन हमारे बुजुर्गों के समझाने के बाद वे शांत हो गए और चले गए।” इसके बाद दो बार और गुस्साई भीड़ वागजीपाड़ा पहुंची थी। आपको बता दें कि गुजरात के पाटन जिले दो छात्रों के बीच कहासुनी के बाद साम्प्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। हिंसा में भीड़ ने मुस्लिम घरों पर हमला बोल दिया था। जिसके बाद दो लोगों की मौत हो गई थी। भीड़ ने कई घरों में आग भी लगा दी थी।
हिंसा में अमजद के पिता इब्राहिम खान लाल खान बेलिम को जान गंवानी पड़ी। वहीं 20 अन्य घायल हो गए जिनमें से पांच गंभीर हैं। हिंसा में 25 वाहनों को आग लगा दी गई और घरों को फूंक दिया गया। साथ ही हमला करने वाले लोग पालतू जानवरों को भी साथ ले गए।
अमजद के अनुसार, पहले ग्रुप के लौटने के लगभग आधे घंटे बाद करीब 100 युवक लाठियां और धारदार हथियार लेकर पहुंचे। उसके पिता और गांव के अन्य बड़ों ने समझाने की कोशिश की। अमजद के बड़े भाई इमरान ने बताया, ”लेकिन ग्रुप ने उन्हें हथियारों से मारना शुरू कर दिया।” थोड़ी देर में पुलिस की गाड़ी गांव पहुंची तो भीड़ भाग गई। लेकिन जाने से उन्होंने वापस आने की धमकी दी।
इमरान ने आगे बताया, 'आधा घंटा भी नहीं हुआ होगा कि सुनसार से करीब 5000 लोग आए। हमने महिलाओं और बच्चों को मस्जिद में भेजा। पीछे केवल 15-16 लोग रहे।' भीड़ के तीसरी बार आने से पहले इब्राहिम खान ने दोनों बेटों और भतीजों को भाई के घर छुपा दिया और ताला लगा दिया।
अमजद ने बताया, 'उस समय आखिरी बार हमने अब्बू को देखा था।' घर के अंदर बंद अमजद ने चार या पांच बार गोली चलने की आवाज सुनी। उसने बताया कि हमने लोगों के चिल्लाने और गेट को खोलने की आवाजें सुनीं। हमने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया। कुछ देर में पुलिस आ गई और भीड़ भाग गई नहीं तो हम भी मारे जाते।
25 मार्च की रात को पुलिस ने घरवालों को बताया कि इब्राहिम खान की मौत हो गई। उनकी पत्नी ने बताया, ”मेरे पति ने अपने हाथ जोड़ लिए थे और उनसे वापस जाने को कहा था। उनकी क्या गलती थी?”
संपादन- भवेंद्र प्रकाश
Courtesy: National Dastak