दिल्ली हिंसा: ये दंगा नहीं सुनियोजित हमला है- पछास

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 2, 2020
दिल्ली में पिछले दिनों हुए सांप्रदायिक दंगों के मुद्दे को सोमवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्षी दलों ने राज्यसभा में जोरशोर से उठाने की तैयारी कर ली है। माकपा और आप के सदस्यों ने राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू से उच्च सदन की कार्यवाही स्थगित कर दिल्ली के दंगों के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की है। इस मुद्दे पर माकपा के के.के रागेश, टीके रंगराजन और आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने नियम 267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इस बीच परिवर्तनकामी छात्र संगठन पछास ने दंगाग्रस्त इलाकों में घूमकर हालात का जायजा लिया जो Parivartankami Chhatra Sanghtan Pachhas फेसबुक पेज पर शेयर किया है। पढ़िए....



ये दंगा नहीं सुनियोजित हमला है........

पिछले तीन दिनों से हम पछास के साथी दिल्ली के हिंसा प्रभावित इलाकों में घूम रहे हैं। इस दौरान कई लोगों से हमारी बात हुई है। कई लोगों ने दर्दनाक कहानियां हमारे साथ साझा की हैं। हम मुस्तफाबाद, चांदबाग, भजनपुरा, चन्दू नगर, मौजपुर, गौतमपुरी के इलाकों में लोगों से बात करते रहे हैं। अपने अनुभवों के दौरान हमने पाया कि ये पूरा हमला बीजेपी-आरएसएस द्वारा सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया है।

इन हमलों के दौरान मुस्लिमों के घरों और दुकानों को चुन-चुन कर संघ मण्डली द्वारा निशाना बनाया गया। अपनी तीन दिन के अनुभव के दौरान हमें कोई भी हिन्दू का घर जला हुआ नहीं मिला (हो सकता है कुछ घर जलाए गए हो जिन तक हम नहीं पहुंच पाए)। किसी भी मंदिर पर हमला नही किया गया। जबकि हमारी जानकारी में 3-4 मस्जिदों पर हमला किया गया है। मुस्लिमों के घरों और दुकानों को ही निशाना बनाया गया है जबकि मुस्लिम बहुल इलकों में रहने वाले हिन्दूओं के घरों पर कोई आंच नही आई है।

शिव विहार के इलाके में ज्यादा बड़ा हमला किया गया है। उसमें घायल लोग इलाके के ही एक अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं। पर इन सबके बावजूद हम शिव विहार नहीं जा पाए क्योंकि वहां पुलिस ने हर तरफ से बैरिकेड किया हुआ है और वहां लोगों को नहीं जाने दिया जा रहा है। शिव विहार तक अब तक कोई मीडिया भी नहीं पहुचा है।

लाशें मिलने का सिलसिला जारी है। आज ही गोकुलपुरी मैट्रो के नीचे के नाले से पुलिस को एक लाश मिली है। इस तरह मौतों का आंकड़ा लगभग 45 के पास पहुंच चुका है। पुलिस का रवैया इस पूरे मामले में संदेहास्पद है। हमले वाले दिन लोगों द्वारा लगातार बचने के लिए पुलिस को कॉल किया गया परंतु पुलिस की तरफ से कोई रिस्पांश नहीं आया। अब तक कपिल मिश्रा सहित मुख्य दंगाईयों पर कोई मुकदमा दर्ज नही किया गया है जो बताता है कि इन दंगो के भी मास्टर मांइड आराम से बच जाएंगे।

मुख्य धारा की मीडिया या तो सरकार का पक्ष ले रहा है या फिर दोनों पक्षों को बराबर जिम्मेदार ठहरा कर मामले को लूज कर रहा है। हालांकि हमलों में हिंदुओं की भी जान गई है लेकिन जान-माल का सबसे ज्यादा नुकसान मुस्लिम पक्ष का हुआ है। इसलिए सच्चाई को छुपाया नही जा सकता। अगर किसी को शक हो तो मीडिया के नरेटिव को भूलकर सिर्फ एक बार इन इलाकों की गलियों में घूम ले। वास्तविकता खुद बा खुद सामने आ जाएगी।

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