बेरोजगारों का मज़ाक उड़ाने वाले PM साहब, जाते जाते ये कविता सुनते जाओ

Published on: February 6, 2018

Video: cjp.org.in

चलौ पकौड़ा बेंचा जाय 

चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।।
पढै लिखै कै कौन जरूरत
रोजगार कै सुन्दर सूरत 
दुइ सौ रोज कमावा जाय
दिन भर मौज मनावा जाय
कुछौ नही अब सोंचा जाय
चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।।

    लिखब पढब कै एसी तैसी
    छोलबै घास चरऊबै भैसी
    फीस फास कै संकट नाही
    इस्कूलन कै झंझट नाही
    कोऊ कहूँ न गेंछा जाय
    चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।।

चाय बेंचि कै पीएम बनिहौ
पक्का भवा न डीएम बनिहौ
अनपढ रहिहौ मजे मा रहिहौ
ठेलिया लइकै घर घर घुमिहौ
नीक उपाय है सोंचा जाय
चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।। 

      रोजगार कै नया तरीका
      कतना सुंदर भव्य सलीका
      का मतलब है डिगरी डिगरा
      फर्जिन है युह सारा रगरा
      काहे मूड़ खपावा जाय 
      चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।।

मन कै बात सुना खुब भैवा
उनकै बात गुना खुब भैवा 
आजै सच्ची राह देखाइन
रोजगार कै अर्थ बताइन 
ठेला आऊ लगवा जाय
चलौ पकौड़ा बेंचा जाय ।।

~व्हाट्स एप्प पर आई कविता 
कवि को खोजा जा रहा है

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