भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसानों का आज का भारत बंद कामयाब रहा और संयुक्त किसान मोर्चा आगे की रणनीति तय करेगा। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि हम सब कुछ तो बंद नहीं कर सकते क्योंकि हमें लोगों की आवाजाही भी जारी रखनी है। टिकैत ने कहा कि आज का बंद तीन राज्यों का आंदोलन बताने वाले लोगों के मुंह पर भी तमाचा है। कहा कि देश भर में किसानों ने सड़कों पर आकर अपने गुस्से का इजहार किया देश भर में हजारों जगह से भी ज्यादा किसान सड़कों पर बैठे। बंद को किसानों के साथ साथ मजदूर व्यापारियों, कर्मचारियों, ट्रेड यूनियन का भी सहयोग मिला। देश की राजनीतिक पार्टियों ने भी बंद का समर्थन किया। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक किसानों के बंद का पूरा असर रहा। सुबह से लेकर शाम 4 बजे तक कहीं कोई घटना हिंसक झड़प नहीं हुई, इसके लिए देश के किसानों मजदूरों व नागरिकों का भी आभार व्यक्त करते हैं।
राकेश टिकैत ने कहा कि तीन राज्यों का आंदोलन बताने वाले लोग आंख खोल कर देख लें कि पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है। सरकार को किसानों की समस्या का समाधान करना चाहिए। उत्तर प्रदेश में जो गन्ना मूल्य की घोषणा की गई है वह भी किसानों के साथ मजाक है। गन्ना मूल्य वृद्धि के लिए भी जल्द सड़कों पर आंदोलन किया जाएगा। कहा 'बंद' से कुछ लोगों को स्वाभाविक रूप से परेशानी हुई होगी लेकिन एक दिन किसानों के नाम सोच कर भूल जाएं। किसान 10 माह से घर छोड़कर सड़कों पर है लेकिन अंधी और बहरी सरकार को न तो कुछ दिखाई देता है और न ही सुनाई दे रहा है। किसान 10 महीने से झेल रहे हैं, तमाम परेशानियां,किसानों द्वारा आक्समिक वाहनों को निकलवाने व यात्रियों हेतु पानी चाय दूध के बेहतर इंतजाम किए गए हैं।
टिकैत ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। कहा सरकार इस भुलावे में ना रहे किसान खाली हाथ घर लौट जाएंगे। किसान आज भी बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं, की बात पर पूरी तरह से अडिग है। हमारी सरकार से अपील है कि जल्द से जल्द किसानों की समस्याओं का समाधान किया जाए।
उधर संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि बंद का अप्रत्याशित असर हुआ है। मोर्चा नेताओं ने आगे कहा कि हरियाणा, पंजाब, केरल, बिहार जैसे राज्यों से पूरी तरह से बंद होने की सूचना मिली है, जहां सभी तरह के संस्थान, बाजार और परिवहन बंद कर दिए गए हैं। भारत बंद के आह्वान को राजस्थान, यूपी, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में व्यापक समर्थन मिला है। देश के अन्य हिस्सों से रिपोर्ट का इंतजार है। किसान संगठनों को देश के विभिन्न हिस्सों में ट्रेड यूनियनों, युवाओं और छात्रों के संगठनों और राजनीतिक दलों द्वारा जोड़ा गया है। एसकेएम की नीति के अनुसार, किसान संगठन राजनीतिक दलों और उनके प्रतिनिधियों के साथ मंच साझा नहीं कर रहे हैं। देश के अधिकांश हिस्सों में शैक्षणिक संस्थान, सरकारी कार्यालय, निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठान और बाजार आज बंद हैं। प्रमुख राष्ट्रीय और राज्य राजमार्ग बंद होने की खबरें हैं। कई राज्यों में रेलवे ट्रैक भी बाधित कर दिए गए हैं।
किसानों के बंद को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल समेत कई राजनीतिक दलों का समर्थन मिला है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने बंद को अपना समर्थन देते हुए कहा कि किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है लेकिन शोषण-कार सरकार को ये नहीं पसंद है इसलिए आज भारत बंद है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि संयुक्त मोर्चा के 'भारत बंद' को सपा का पूर्ण समर्थन है। देश के अन्नदाता का मान न करनेवाली दंभी भाजपा सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार खो चुकी है। किसान आंदोलन भाजपा के अंदर टूटन का कारण बनने लगा है।
किसान चिंतक प्रीतम चौधरी इसे आम जनता का बंद बताते हुए कहते हैं कि मोदी सरकार ने किसान-मज़दूर का हर किस्म का रास्ता बंद कर दिया है। मोदी सरकार को ऐसा मोतियाबिंद हुआ है, कि उसे ना तो काले कृषि क़ानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर 10 माह से संघर्षरत किसान दिख रहे हैं, ना मज़दूर विरोधी श्रम संहिताओं के खिलाफ मज़दूर और ना ही सुरसा की तरह मुंह फुलाए महंगाई से त्रस्त जनता। उसकी निगाहें महज और ज्यादा मुनाफा निगलने को आतुर कॉरपोरेट मित्रों की भलाई ही देख रही हैं!
खास है कि कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के संगठनों द्वारा सोमवार को बुलाए गए भारत बंद के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सहित कई राज्यों में किसानों ने प्रमुख राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया और रेलवे पटरियों पर बैठ गए। देशव्यापी हड़ताल सुबह छह बजे शुरू हुई और शाम चार बजे खत्म हुई। व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे और कई जगहों पर सार्वजनिक परिवहन की आवाजाही प्रभावित हुई क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने प्रमुख राजमार्गों और रेलवे पटरियों को अवरुद्ध कर दिया। बंद का असर सबसे ज्यादा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आसपास महसूस किया गया, जो किसानों के विरोध का केंद्र था। लेकिन ओडिशा, तमिलनाडु, केरल, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के बड़े इलाकों में भी बंद का व्यापक असर रहा। कुल मिलाकर किसानों का बंद अपने मकसद को पाने में पूरी तरह कामयाब दिखा है।
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राकेश टिकैत ने कहा कि तीन राज्यों का आंदोलन बताने वाले लोग आंख खोल कर देख लें कि पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है। सरकार को किसानों की समस्या का समाधान करना चाहिए। उत्तर प्रदेश में जो गन्ना मूल्य की घोषणा की गई है वह भी किसानों के साथ मजाक है। गन्ना मूल्य वृद्धि के लिए भी जल्द सड़कों पर आंदोलन किया जाएगा। कहा 'बंद' से कुछ लोगों को स्वाभाविक रूप से परेशानी हुई होगी लेकिन एक दिन किसानों के नाम सोच कर भूल जाएं। किसान 10 माह से घर छोड़कर सड़कों पर है लेकिन अंधी और बहरी सरकार को न तो कुछ दिखाई देता है और न ही सुनाई दे रहा है। किसान 10 महीने से झेल रहे हैं, तमाम परेशानियां,किसानों द्वारा आक्समिक वाहनों को निकलवाने व यात्रियों हेतु पानी चाय दूध के बेहतर इंतजाम किए गए हैं।
टिकैत ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। कहा सरकार इस भुलावे में ना रहे किसान खाली हाथ घर लौट जाएंगे। किसान आज भी बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं, की बात पर पूरी तरह से अडिग है। हमारी सरकार से अपील है कि जल्द से जल्द किसानों की समस्याओं का समाधान किया जाए।
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