नई दिल्ली। चुनाव आचार संहित के उलंघन में जागरण डॉट कॉम के संपादक को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही अन्य लोगों पर भी एफआईआर दर्ज की गई है। ऐसे में वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने लिखा है...
आज के इंडियन एक्सप्रेस में जागरण के सम्पादक-मालिक और सीईओ संजय गुप्ता ने कहा है कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के मतदान से पहले जागरण द्वारा शाया किया गया एग्ज़िट पोल उनके विज्ञापन विभाग का काम था, जो वेबसाइट पर शाया हुआ। ("Carried by the advertising department on our website") माने साफ़-साफ़ पेड सर्वे!
दूसरे शब्दों में जागरण ने पैसा लिया (अगर लिया; किससे, यह बस समझने की बात है) और कथित मत-संग्रह किसी अज्ञातकुलशील संस्था से करवा कर शाया कर दिया कि चुनाव में भाजपा की हवा चल रही है। जैसा कि स्वाभाविक था, इस फ़र्ज़ी एग्ज़िट पोल को भाजपा समर्थकों-प्रचारकों ने सोशल मीडिया पर हाथों-हाथ लिया और अगले चरण के चुनाव क्षेत्रों में दूर-दूर तक पहुँचा दिया। सोशल मीडिया पर ही इसकी निंदा और चुनाव आयोग की हेठी न हुई होती तो कौन जाने कल के मतदान से पहले यह बनावटी हवा का हल्ला अख़बार में भी छपा मिलता!
उस सम्पादक से सहानुभूति होती है, जिसे बलि का बकरा बनाया गया है। व्यवहार में विज्ञापन विभाग मालिक/प्रबंधन के मातहत काम करता है। वैसे भी ऐसे सर्वे, एग्ज़िट पोल आदि पर बहुत धन व्यय होता है, "कमाई" भी होती है - इस सबसे सम्पादकीय विभाग का क्या वास्ता? यह वास्तव मालिकों-प्रबंधकों का गोरखधंधा है, जो बचे ही नहीं रहेंगे संसद में भी पहुँच जाएँगे (क्योंकि सच्चरित्र लोगों को संसद में भरने का मोदीजी का वादा है!)। वैसे भी जागरण के प्रधान सम्पादक संजय गुप्ता ख़ुद हैं। उनके पिता मेरे परिचित थे और पड़ोसी भी। उन्हें भाजपा ने राज्यसभा में भेजा था।
पर असल सवाल यह है कि इस पोल की पोल खुल जाने के बाद भाजपा की "हवा" का क्या होगा? रही-सही हवा भी निकल नहीं जाएगी?
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा है....
ऐसा फ़र्ज़ीवाड़ा दिल्ली चुनाव में भी बहुत हुआ था। बिहार में भी। मगर भाजपा को लेने के देने पड़ गए। लोग भोले हो सकते हैं, मूर्ख नहीं बनाए जा सकते। बिरादरी में जागरण ने अपनी नाक ही कटवाई है, एफआइआर वग़ैरह से कुछ बिगड़े न बिगड़े।
आज के इंडियन एक्सप्रेस में जागरण के सम्पादक-मालिक और सीईओ संजय गुप्ता ने कहा है कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के मतदान से पहले जागरण द्वारा शाया किया गया एग्ज़िट पोल उनके विज्ञापन विभाग का काम था, जो वेबसाइट पर शाया हुआ। ("Carried by the advertising department on our website") माने साफ़-साफ़ पेड सर्वे!
दूसरे शब्दों में जागरण ने पैसा लिया (अगर लिया; किससे, यह बस समझने की बात है) और कथित मत-संग्रह किसी अज्ञातकुलशील संस्था से करवा कर शाया कर दिया कि चुनाव में भाजपा की हवा चल रही है। जैसा कि स्वाभाविक था, इस फ़र्ज़ी एग्ज़िट पोल को भाजपा समर्थकों-प्रचारकों ने सोशल मीडिया पर हाथों-हाथ लिया और अगले चरण के चुनाव क्षेत्रों में दूर-दूर तक पहुँचा दिया। सोशल मीडिया पर ही इसकी निंदा और चुनाव आयोग की हेठी न हुई होती तो कौन जाने कल के मतदान से पहले यह बनावटी हवा का हल्ला अख़बार में भी छपा मिलता!
उस सम्पादक से सहानुभूति होती है, जिसे बलि का बकरा बनाया गया है। व्यवहार में विज्ञापन विभाग मालिक/प्रबंधन के मातहत काम करता है। वैसे भी ऐसे सर्वे, एग्ज़िट पोल आदि पर बहुत धन व्यय होता है, "कमाई" भी होती है - इस सबसे सम्पादकीय विभाग का क्या वास्ता? यह वास्तव मालिकों-प्रबंधकों का गोरखधंधा है, जो बचे ही नहीं रहेंगे संसद में भी पहुँच जाएँगे (क्योंकि सच्चरित्र लोगों को संसद में भरने का मोदीजी का वादा है!)। वैसे भी जागरण के प्रधान सम्पादक संजय गुप्ता ख़ुद हैं। उनके पिता मेरे परिचित थे और पड़ोसी भी। उन्हें भाजपा ने राज्यसभा में भेजा था।
पर असल सवाल यह है कि इस पोल की पोल खुल जाने के बाद भाजपा की "हवा" का क्या होगा? रही-सही हवा भी निकल नहीं जाएगी?
एक अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा है....
ऐसा फ़र्ज़ीवाड़ा दिल्ली चुनाव में भी बहुत हुआ था। बिहार में भी। मगर भाजपा को लेने के देने पड़ गए। लोग भोले हो सकते हैं, मूर्ख नहीं बनाए जा सकते। बिरादरी में जागरण ने अपनी नाक ही कटवाई है, एफआइआर वग़ैरह से कुछ बिगड़े न बिगड़े।