लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगने से ठीक पहले 10 मार्च को ही मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार बड़ा दांव चल गई जो भाजपा के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है। मोदी सरकार ने जहां 8 लाख से कम आय वाले सवर्णों को गरीब मानते हुए आनन फानन में 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था कर वाहवाही बटोरी थी उसे मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अधर में लटकाकर सोशल जस्टिस की दिशा में बड़ा दांव चल दिया है।
दरअसल, मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू कर दिया गया है। कैबिनेट से पास होने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी इसे मंजूरी दे दी है। भाजपा राज में मध्य प्रदेश में अभी तक 10 प्रतिशत आरक्षण लागू था। जिसे बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया है।
आपको बता दें कि 6 मार्च को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को पारित किया गया था कि मध्यप्रदेश में ओबीसी के लिए जो 14 फीसदी आरक्षण लागू है उसे बढ़ाकर 27 फीसदी किया जाए। इसे कांग्रेस का बड़ा दांव इसलिए माना जा रहा है क्योंकि मध्यप्रदेश में ओबीसी की आबादी करीब 49 फीसदी है और ऐसे में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिलने की संभावना ज्यादा है।
लटका दिया गरीब सवर्णों का 10% आरक्षण
ओबीसी के लिए आरक्षण को 14 फीसदी से बढाकर 27 फीसदी करने में तो कमलनाथ सरकार ने बेहद चुस्ती दिखाई लेकिन मोदी सरकार के गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण को मध्यप्रदेश में अब तक लागू नहीं किया गया है। कमलनाथ सरकार ने इसके लिए एक समिति बना दी है जो इसका अध्ययन कर इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी लेकिन तब तक आचार संहिता लागू हो जाएगी और मध्यप्रदेश में मोदी सरकार की ओर से गरीब सवर्णों को दिए 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मध्यप्रदेश के गरीब सामान्य वर्ग के लोगों को नहीं मिल पाएगा।
सागर जिले में बीते बुधवार को जय किसान फसल ऋण माफी योजना में किसानों को प्रमाण पत्र देने के बाद सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में सभी वर्गों को आगे बढ़ने के अवसर मिले, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। कमलनाथ ने कहा, "किसानों की खुशहाली और नौजवानों की तरक्की के लिए सरकार लगातार 70 दिनों से काम कर रही है। मुख्यमंत्री का पद संभालते ही किसानों की कर्जमाफी की। साथ ही युवाओं को रोजगार देने के लिए युवा स्वाभिमान जैसी योजनाएं लागू कीं।"
कमलनाथ पूर्व में कह चुके हैं कि सामान्य (सवर्ण) श्रेणी के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मुद्दे पर राज्य सरकार सैद्धांतिक तौर पर सहमत है लेकिन इसे लागू करने के लिए मंत्रिमंडल की उप समिति बनेगी। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने केंद्र सरकार के गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के लिए संविधान में किए गए 103वें संशोधन का जिक्र करते हुए राज्य में इसे लागू करने की मांग की थी। भार्गव ने कहा कि संविधान में संशोधन के बाद देश के कई राज्य इस आरक्षण को लागू कर चुके हैं लेकिन राज्य में यह व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है। भार्गव का कहना था कि केंद्र सरकार ने 10 प्रतिशत पद बढ़ाने के साथ ऐसी व्यवस्था की है, जिससे दूसरे वर्ग के आरक्षण पर कोई असर नहीं होगा। लिहाजा, राज्य सरकार को जल्दी फैसला लेना चाहिए।
दरअसल, मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू कर दिया गया है। कैबिनेट से पास होने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी इसे मंजूरी दे दी है। भाजपा राज में मध्य प्रदेश में अभी तक 10 प्रतिशत आरक्षण लागू था। जिसे बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया है।
आपको बता दें कि 6 मार्च को मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को पारित किया गया था कि मध्यप्रदेश में ओबीसी के लिए जो 14 फीसदी आरक्षण लागू है उसे बढ़ाकर 27 फीसदी किया जाए। इसे कांग्रेस का बड़ा दांव इसलिए माना जा रहा है क्योंकि मध्यप्रदेश में ओबीसी की आबादी करीब 49 फीसदी है और ऐसे में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिलने की संभावना ज्यादा है।
लटका दिया गरीब सवर्णों का 10% आरक्षण
ओबीसी के लिए आरक्षण को 14 फीसदी से बढाकर 27 फीसदी करने में तो कमलनाथ सरकार ने बेहद चुस्ती दिखाई लेकिन मोदी सरकार के गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण को मध्यप्रदेश में अब तक लागू नहीं किया गया है। कमलनाथ सरकार ने इसके लिए एक समिति बना दी है जो इसका अध्ययन कर इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी लेकिन तब तक आचार संहिता लागू हो जाएगी और मध्यप्रदेश में मोदी सरकार की ओर से गरीब सवर्णों को दिए 10 फीसदी आरक्षण का लाभ मध्यप्रदेश के गरीब सामान्य वर्ग के लोगों को नहीं मिल पाएगा।
सागर जिले में बीते बुधवार को जय किसान फसल ऋण माफी योजना में किसानों को प्रमाण पत्र देने के बाद सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज में सभी वर्गों को आगे बढ़ने के अवसर मिले, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। कमलनाथ ने कहा, "किसानों की खुशहाली और नौजवानों की तरक्की के लिए सरकार लगातार 70 दिनों से काम कर रही है। मुख्यमंत्री का पद संभालते ही किसानों की कर्जमाफी की। साथ ही युवाओं को रोजगार देने के लिए युवा स्वाभिमान जैसी योजनाएं लागू कीं।"
कमलनाथ पूर्व में कह चुके हैं कि सामान्य (सवर्ण) श्रेणी के गरीबों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के मुद्दे पर राज्य सरकार सैद्धांतिक तौर पर सहमत है लेकिन इसे लागू करने के लिए मंत्रिमंडल की उप समिति बनेगी। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने केंद्र सरकार के गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के लिए संविधान में किए गए 103वें संशोधन का जिक्र करते हुए राज्य में इसे लागू करने की मांग की थी। भार्गव ने कहा कि संविधान में संशोधन के बाद देश के कई राज्य इस आरक्षण को लागू कर चुके हैं लेकिन राज्य में यह व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है। भार्गव का कहना था कि केंद्र सरकार ने 10 प्रतिशत पद बढ़ाने के साथ ऐसी व्यवस्था की है, जिससे दूसरे वर्ग के आरक्षण पर कोई असर नहीं होगा। लिहाजा, राज्य सरकार को जल्दी फैसला लेना चाहिए।