लॉकडाउन की अवधि का वेतन नहीं देने वाली कंपनियों पर अभी न हो कार्रवाई- सुप्रीम कोर्ट

Written by sabrang india | Published on: May 16, 2020
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को कोविड-19 और लॉकडाउन से संबंधित कई मामलों की सुनवाई हुई। यह मामले लॉकडाउन की अवधि का वेतन देने, प्रवासी मजदूरों को उनका गृह प्रदेश पहुंचाने और कर्ज लौटाने पर मोरटोरियम से जुड़े हैं। 



गृह मंत्रालय ने 29 मार्च को दिशानिर्देश जारी किया था कि कंपनियां लॉकडाउन की अवधि का पूरा वेतन अपने कर्मचारियों को दें। एमएसएमई कंपनियों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो कंपनियां अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन नहीं दे रही हैं उनके खिलाफ अगले हफ्ते तक कोई कार्रवाई ना की जाए। कोर्ट ने कहा कि अनेक छोटी कंपनियां है जिनकी लॉकडाउन के दौरान कोई कमाई नहीं हो रही है। इसलिए हो सकता है वह अपने कर्मचारियों को वेतन ना दे पा रही हों।

कोर्ट के अनुसार, हो सकता है कुछ कंपनियां 15 दिनों तक लॉकडाउन में अपने आप को खड़ी रख सकें लेकिन अगर लॉकडाउन ज्यादा रहा तो वे अपने कर्मचारियों को वेतन कैसे देंगी। कोर्ट अगले हफ्ते इस मामले की फिर सुनवाई करेगा।

मुंबई से प्रवासी मजदूरों को उनके घर सुरक्षित पहुंचाने से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों से जवाब मांगा है। कोर्ट ने इनसे पूछा है कि प्रवासी मजदूरों के लिए सरकारें क्या कर रही हैं। 

वकील सगीर अहमद खान ने अपनी याचिका में कहा है कि मुंबई से उत्तर प्रदेश जाने के लिए प्रवासी मजदूरों के पास कोई साधन नहीं है। सरकार ने जिले में एक नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिया है लेकिन उससे काम नहीं हो रहा है। यह मजदूर सरकार द्वारा तय किए की गई व्यवस्थाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। मजदूरों की बात सुनने के लिए निचले स्तर पर अधिकारी नियुक्त किए जाने चाहिए।

 याचिकाकर्ता ने कहा कि उन्होंने संत कबीर नगर के रहने वाले प्रवासी मजदूरों को ले जाने के लिए 25 लाख रुपए देने की पहल की है। इसके लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश के नोडल अधिकारी से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन टेलीफोन लाइन लगातार व्यस्त रहने के कारण बात नहीं हो सकी।

रियल्टी डेवलपर्स की संस्था क्रेडाई ने अपनी याचिका में आरोप लगाया कि यह बात स्पष्ट नहीं है कि रिजर्व बैंक ने कर्ज लौटाने पर मोरटोरियम की जो सुविधा दी है उसका लाभ रियल एस्टेट डेवलपर्स को मिलेगा या नहीं। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र और रिजर्व बैंक से जवाब मांगा है।

 क्रेडाई की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि रिजर्व बैंक की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों के मुताबिक रियल एस्टेट कंपनियों को भी मोरटोरियम का फायदा मिलना चाहिए लेकिन कई बैंक इससे इनकार कर रहे हैं। रिजर्व बैंक को इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। 

केंद्र सरकार की तरफ से मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह मंत्रालय और अन्य अथॉरिटी से इस बारे में बात करके कोर्ट को जानकारी देंगे। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को जारी दिशा निर्देशों में कहा था कि 1 मार्च से 31 मई तक कर्ज की ईएमआई के लिए बैंक ग्राहकों को मोरटोरियम की सुविधा दे सकते हैं। मोरटोरियम का मामला इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट में आया था और तब भी कोर्ट ने रिजर्व बैंक से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि उसके सर्कुलर का पालन किया जाए।

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