नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे पर जहां एक ओर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) किसानों को समझाने में जुटी है, तो वहीं दूसरी ओर उसके ही सहयोगी दल ने इन कानूनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) ने भी किसानों के समर्थन में एनडीए का साथ छोड़ने का फैसला कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित लगभग सारा मंत्रीमंडल किसानों को वह बात समझाने की कोशिश में जुटा है जो उन्हें सही लग रही है किसानों को नहीं। सरकार के रवैये से आहत अब एनडीए को झटका लगना शुरू हो गया है।

आरएलपी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने ऐलान किया है कि किसान आंदोलन के समर्थन में 26 दिसंबर को उनकी पार्टी दो लाख किसानों को लेकर राजस्थान से दिल्ली मार्च करेगी। यही नहीं, बेनीवाल ने यह भी कहा कि उसी दिन यह भी फैसला लिया जाएगा कि अब NDA में रहना है या नहीं।
हनुमान बेनीवाल ने इससे पहले किसान आंदोलन के समर्थन में संसद की तीन समितियों की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। बेनीवाल ने अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजा है, जिसमें बेनीवाल ने संसद की उद्योग संबंधी स्थायी समिति, याचिका समिति व पेट्रोलियम व गैस मंत्रालय की परामर्श समिति से इस्तीफा दिया है।
मालूम हो कि बेनीवाल केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का लगातार विरोध कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि किसानों के लिए बने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होनी चाहिए। लेकिन शनिवार को बेनीवाल ने ऐलान कर दिया कि वो 2 लाख किसानों के साथ राजस्थान से दिल्ली तक मार्च करेंगे और उसी दिन एनडीए में रहने या नहीं रहने पर फैसला लेंगे।
बेनीवाल का कहना है कि अगर केंद्र सरकार इन कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है तो वे NDA को अपने समर्थन जारी रखने पर विचार करेंगे। कृषि कानूनों को लेकर उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र भी लिखा था।
सर छोटू राम के पोते ने भी किया किसानों का समर्थन
देश की आजादी से पहले कृषि सुधारों की वकालत करने वाले सर छोटू राम के धेवते (पोते) और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरियाणा के दिग्गज भाजपा नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने किसान आंदोलन के समर्थन का ऐलान किया है। जहां भाजपा खेमे में इसे बड़ी बगावत के तौर पर देखा जा रहा है वहीं किसान आंदोलन को इससे ताकत मिलती दिख रही है।

आरएलपी के संयोजक और नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल ने ऐलान किया है कि किसान आंदोलन के समर्थन में 26 दिसंबर को उनकी पार्टी दो लाख किसानों को लेकर राजस्थान से दिल्ली मार्च करेगी। यही नहीं, बेनीवाल ने यह भी कहा कि उसी दिन यह भी फैसला लिया जाएगा कि अब NDA में रहना है या नहीं।
हनुमान बेनीवाल ने इससे पहले किसान आंदोलन के समर्थन में संसद की तीन समितियों की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। बेनीवाल ने अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजा है, जिसमें बेनीवाल ने संसद की उद्योग संबंधी स्थायी समिति, याचिका समिति व पेट्रोलियम व गैस मंत्रालय की परामर्श समिति से इस्तीफा दिया है।
मालूम हो कि बेनीवाल केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों का लगातार विरोध कर रहे हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि किसानों के लिए बने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होनी चाहिए। लेकिन शनिवार को बेनीवाल ने ऐलान कर दिया कि वो 2 लाख किसानों के साथ राजस्थान से दिल्ली तक मार्च करेंगे और उसी दिन एनडीए में रहने या नहीं रहने पर फैसला लेंगे।
बेनीवाल का कहना है कि अगर केंद्र सरकार इन कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है तो वे NDA को अपने समर्थन जारी रखने पर विचार करेंगे। कृषि कानूनों को लेकर उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को एक पत्र भी लिखा था।
सर छोटू राम के पोते ने भी किया किसानों का समर्थन
देश की आजादी से पहले कृषि सुधारों की वकालत करने वाले सर छोटू राम के धेवते (पोते) और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरियाणा के दिग्गज भाजपा नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह ने किसान आंदोलन के समर्थन का ऐलान किया है। जहां भाजपा खेमे में इसे बड़ी बगावत के तौर पर देखा जा रहा है वहीं किसान आंदोलन को इससे ताकत मिलती दिख रही है।