माह-ए-रमजान के दौरान जहां विदेशी मीडिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विभजनकर्ताओं का चीफ बता रहा है वहीं देश के पूर्वी राज्य असम से इंसानियत को राहत देने वाली खबर आ रही है। असम के एक मुस्लिम नौजवान ने साबित कर दिया कि इंसानियत हर धर्म से बढ़कर है। उसने दिखाया कि धर्म, जाति, संप्रदाय से परे इंसान का इंसान के लिए क्या फर्ज होता है।
दरअसल, असम के एक मुस्लिम युवक ने रोजा तोड़कर रक्तदान किया और एक हिंदू युवक की जान बचाने में डॉक्टरों की मदद की। उसने एक फोन कॉल पर इंसानियत को बचाने के लिए रमजान के कायदे-कानून की परवाह नहीं की।
असम के मंगलदोई के पानुल्लाह अहमद और तापश भगवती फेसबुक पेज 'टीम ह्यूमैनिटी - ब्लड डोनर्स एंड सोशल एक्टिविस्ट इन इंडिया' के सदस्य हैं। दोनों को गुवाहाटी के एक निजी अस्पताल में ट्यूमर का ऑपरेशन करा रहे मरीज के बारे में फोन कॉल आई। उन्हें बताया गया कि असम के धीमाजी के रंजन गोगोई को ब्लड की जरूरत है। इसके बाद पानुल्लाह ने रक्तदान करने के लिए पहले खाना खाकर रोजा तोड़ा। फिर रक्तदान कर रंजन गोगाई की जान बचाने में डॉक्टरों की मदद की।
दरअसल, 8 मई को पानुल्लाह और तापश को पता चला कि रंजन को B+ ग्रुप के ब्लड की दरकार है तो उन्होंने कई डोनर्स से संपर्क किया, लेकिन कोई उपलब्ध नहीं हो पाया। इसके बाद उन्होंने खुद रक्तदान करने का फैसला किया। अहमद और तापश गुवाहाटी में एक निजी अस्पताल में काम करते हैं। दोनों दोस्त रेग्युलर ब्लड डोनर्स हैं।
पानुल्लाह ने बताया कि पहले उन्होंने कई बुजुर्गों और इस्लाम के जानकार लोगों से रोजा रखते हुए रक्तदान करने की इजाजत के बारे में पूछा। इस पर उन्होंने बताया कि वह रक्दान तो कर सकते हैं, लेकिन इससे वह खुद बीमार पड़ सकते हैं। इसके बाद पानुल्लाह अहमद ने रोजा तोड़कर रक्तदान करने का फैसला किया।
दरअसल, असम के एक मुस्लिम युवक ने रोजा तोड़कर रक्तदान किया और एक हिंदू युवक की जान बचाने में डॉक्टरों की मदद की। उसने एक फोन कॉल पर इंसानियत को बचाने के लिए रमजान के कायदे-कानून की परवाह नहीं की।
असम के मंगलदोई के पानुल्लाह अहमद और तापश भगवती फेसबुक पेज 'टीम ह्यूमैनिटी - ब्लड डोनर्स एंड सोशल एक्टिविस्ट इन इंडिया' के सदस्य हैं। दोनों को गुवाहाटी के एक निजी अस्पताल में ट्यूमर का ऑपरेशन करा रहे मरीज के बारे में फोन कॉल आई। उन्हें बताया गया कि असम के धीमाजी के रंजन गोगोई को ब्लड की जरूरत है। इसके बाद पानुल्लाह ने रक्तदान करने के लिए पहले खाना खाकर रोजा तोड़ा। फिर रक्तदान कर रंजन गोगाई की जान बचाने में डॉक्टरों की मदद की।
दरअसल, 8 मई को पानुल्लाह और तापश को पता चला कि रंजन को B+ ग्रुप के ब्लड की दरकार है तो उन्होंने कई डोनर्स से संपर्क किया, लेकिन कोई उपलब्ध नहीं हो पाया। इसके बाद उन्होंने खुद रक्तदान करने का फैसला किया। अहमद और तापश गुवाहाटी में एक निजी अस्पताल में काम करते हैं। दोनों दोस्त रेग्युलर ब्लड डोनर्स हैं।
पानुल्लाह ने बताया कि पहले उन्होंने कई बुजुर्गों और इस्लाम के जानकार लोगों से रोजा रखते हुए रक्तदान करने की इजाजत के बारे में पूछा। इस पर उन्होंने बताया कि वह रक्दान तो कर सकते हैं, लेकिन इससे वह खुद बीमार पड़ सकते हैं। इसके बाद पानुल्लाह अहमद ने रोजा तोड़कर रक्तदान करने का फैसला किया।