5 साल की कड़ी मशक्कत, क्लीन चिट बन बरस रही, चेले चपाटे बरी हुए सब, जनता न्याय बिन तरस रही

Written by sabrang india | Published on: May 10, 2019
साहेब क्यों मुरझाए हो ?

अच्छा खाना खाते हो
प्लेन से रैली में जाते हो
कुर्ता तुम्हारा चमक रहा है
सेंट लगा है गमक रहा है
पर चेहरा क्यों लटकाए हो ?
साहेब क्यों मुरझाए हो ?

नेहरू, राहुल , सोनिया छोड़ो
राजीव को  ललकार दिया।
इतने बड़े मुखवीर हो तुम कि
बातों से कितनों को मार दिया
अब तो अकेले बीर बचे तुम
बहादुर को भी हटवाए हो
साहेब क्यों मुरझाए हो ?

भक्तों के तुम बीर बली हो
छप्पन इंची सीना है
आंखे इतनी सहमी दिखती हैं 
माथे पर क्यों पसीना है
पहले जैसी दहाड़ कहाँ है
क्यों इतना  दुबराये हो
साहेब क्यों मुरझाए हो ?

RBI, CBI, EC तुमसे डरता है
नमो टीवी बैन फिर भी
ऑन एयर वह चलता है।
गोदी मीडिया तुम्हारे हाथ में
फिर क्यों आंसू बहाए हो
साहेब क्यों मुरझाए हो ?

पांच साल की कड़ी मशक्कत
क्लीन चिट बन बरस रही है
चेले चपाटे बरी हुए सब
जनता न्याय बिन तरस रही है
जज अधिकारी तुमसे डरते
फिर क्यों तुम घबराए हो
साहेब क्यों मुरझाए हो ?

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