गुजरात के 800 गांवों से गुजरकर गाजीपुर बॉर्डर पहुंची मिट्टी सत्याग्रह यात्रा, राकेश टिकैत ने किया स्वागत

Written by sabrang india | Published on: April 7, 2021
नई दिल्ली। सितंबर 2020 में केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पारित तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन के समर्थन में मिट्टी सत्याग्रह यात्रा गाजीपुर बॉर्डर पहुंची। खबरों के मुताबिक यह मिट्टी सत्याग्रह यात्रा सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर की अगुवाई निकाली गई। यह यात्रा गुजरात के 33 जिलों के 800 गावों से होकर गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंची है। 



गाजीपुर बार्डर पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने सभी लोगों का स्वागत किया।

इसके अलावा कई अन्य राज्यों से भी मिट्टी सत्याग्रह यात्राएं दिल्ली की विभिन्न बोर्डरों पर जारी आंदोलन स्थल पर पहुंची हैं। इन मिट्टी सत्याग्रह यात्राओं के दौरान शहीद भगत सिंह, सरदार पटेल, चंद्रशेखर आजाद, उधम सिंह और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों के गांवों से लाई गई मिट्टी से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर अस्थाई किसान स्मारक बनाए गए हैं।

दरअसल नमक कानून के विरोध में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा निकाली गई दांडी यात्रा से प्रेरणा लेकर विवादित कृषि कानूनों के विरोध में गुजरात के दांडी से ही 30 मार्च को मिट्टी सत्याग्रह यात्रा शुरू की गई। यह यात्रा गुजरात के कई जिलों से होकर राजस्थान, हरियाणा, पंजाब होते हुए दिल्ली बॉर्डर पहुंची। इस यात्रा के माध्यम से तीनों किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने, सभी कृषि उत्पादों की एमएसपी पर खरीद की कानूनी गारंटी, बिजली संशोधन बिल पर लोगों में जागरूकता पैदा की गई।

इसके अलावा देश भर से 23 राज्यों के 1500 गांव की मिट्टी लेकर किसान संगठनों के साथी भी दिल्ली बॉर्डर पहुंच चुके हैं। जिनमें गुजरात के 33 जिलों की मंडियों, 800 गांव, महाराष्ट्र के 150 गांव, राजस्थान के 200 गांव, आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना के 150 गांव, उत्तर प्रदेश के 75 गांव, बिहार के 30 गांव, हरियाणा के 60 गांव, पंजाब के 78 गांव की मिट्टी, वहीं संबलपुर के शहीद वीर सुरेंद्र साय, लोअर सुकटेल बांध विरोधी आंदोलन के गांव एवं ओडिशा के अन्य 20 जिलों के 20 गांव की मिट्टी पहुंची है। दिल्ली के नागरिक 20 स्थानों की मिट्टी के साथ बॉर्डर पर पहुंचेंगे।

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