राजस्थान से यूपी पहुंचने के लिए प्रवासी मजदूर ने चुराई साइकिल, पत्र लिखकर छोड़ा- 'मुझे माफ कर देना'

Written by sabrang india | Published on: May 18, 2020
जयपुर। देश में जारी लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों का सिलसिला अपने घरों को लौटने की जारी रहा, इस दौरान मजदूरों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। अधिकांश प्रवासी मजदूर पैदल ही सैकड़ों हजारों किलोमीटर दूर अपने घरों की ओर निकल पड़े। ऐसे मजदूरों की कई ऐसी खबरें सामने आईं जिन्होंनने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया।



ऐसी ही खबर राजस्थान से है। दरअसल एक प्रवासी मजदूर ने राजस्थान से यूपी पहुंचने के लिए किसी की साइकिल चुराई और उसके बाद एक पत्र लिखकर छोड़ दिया जिसमें उसने माफी मांगी हुई थी।

सबसे दिल दुखाने वाली बात यह है कि माफी नोट में जो भावना लिखी गई है वह उसे उस काम को करने की हताशा को व्यक्त करता है। साइकिल के मालिक पत्र को कथित तौर पर अपने घरे के बरामदे में झाड़ू लगाते हुए पाया था।

पत्र में लिखा था, 'नमस्ते जी, मैं आपकी साइकिल लेकर जा रहा हूं। हो सके तो मुझे माफ कर देना क्योंकि मेरे पास कोई साधन नहीं है और एक बच्चा है उसके लिए मुझे ऐसा करना पड़ा क्योंकि वह विकलांग है, चल नहीं सकता। हमें बरेली तक जाना है।'

इस पत्र के हिस्से को ट्विटर यूजर अब पोस्ट कर रहे हैं। एक ट्विटर यूजर ने इस पत्र को साझा करते हुए कैप्शन में लिखा, 'दिल को तोड़ने वाला: राजस्थान में गरीब प्रवासी श्रमिक ने बरेली अपने घर जाने के लिए एक साइकिल चुरा ली और एक नोट छोड़ दिया- मुझे माफ कर देना, मुझे अपने बच्चे के लिए ऐसा करना पड़ा जो चल नहीं सकता।



हाल ही में बिहार का एक वीडियो सामने आया था जिसमें रेलवे स्टेशन पर असहायता और हताशा से परेशान प्रवासी मजदूरों का एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह कुछ मजदूरों बिस्किट के पैकेट को लेकर आपस में झगड़ते हुए दिख रहे थे।

इसी तरह सोशल मीडिया पर हाल ही में एक और ओर इसी तरह की खबर सामने आई थी जिसने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था। जिसमें तीन बच्चों की एक मां ने गुजरात के सूरत से मध्यप्रदेश के पन्ना तक के लिए पैदल सफर किया और अपने एक विकलांग बेटे के साथ 1100 किलोमीटर की पैदल यात्रा की।

12 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की और आत्मनिर्भर भारत बनाने की अपील की थी। इसी तरह वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्र सरकार को मजदूरों की स्थिति पर ध्यान देने वाली सरकार बताया था। लेकिन प्रवासी मजदूरों की वर्तमान दशा सरकार की मंशा और उनके द्वारा उठाए गए कदमों पर सवाल उठा रही है।

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