अररिया की घटना पर सुबह से न्यूज़ चैनल अपनी ढपली अपना राग गाए जा रहे थे लेकिन इतने महत्वपूर्ण घटनाक्रम से जुड़े निर्णय की कोई खबर नहीं थी. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के जज लोया की मौत के मामले पर सुनवाई पूरी हो गई ओर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोया की मौत की एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है लेकिन कोई ब्रेकिंग न्यूज़ नही चल रही है, कोई चर्चा तक नही करना चाह रहा है.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच में एनजीओ सीपीआईएल के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट के दो जजों ने अपने बयान में कहा था कि लोया ने अपने सहयोगी की बेटी की शादी में जाते वक्त 1 दिसंबर, 2014 की सुबह सीने में दर्द की शिकायत की थी। ईसीजी और हिस्टोपैथॉलजी रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि उनकी मौत हार्ट अटैक के चलते नहीं हुई थी जिसका अर्थ है कि इसकी वजह जहर भी हो सकता है.
लेकिन किसी अखबार किसी न्यूज़ चैनल ने यह बात बताना जरूरी नही समझा कि जहर भी जज लोया की मौत की वजह हो सकता है.
प्रतिपक्ष के वकील दुष्यंत दवे ने साफ साफ न्यायालय से पूछ लिया कि पीठ, मामले को सामने वाले से ही सवाल पूछ रही है, महाराष्ट्र सरकार से कुछ नहीं पूछ रही जो लापरवाही के लिए जिम्मेदार है ?,.......... आखिर पीठ यह क्यों बता रही है कि जय लोया को अस्पताल ले जाने के लिए चीफ जस्टिस की कार या बांबे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की कार का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया ?
दवे ने न्यायालय पर गंभीर आक्षेप लगाते हुए बोला कि
‘आखिर जज लोया केस में मौत की परिस्थितियों पर संदेह उठाए जाने के बाद पीठ की ओर से सफाई क्यों दी जाती है ?................... इस बात पर न्यायमूर्ति बोले कि 'न्याय हमारी अंतरात्मा में है. हमें इसके लिए किसी (वकील) से प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है.'
वैसे न्यायालय ने इससे पहले द वायर और जय शाह से जुड़े मामले में एक की कि ‘हमारी उम्मीद होती है कि मीडिया को जिम्मेदार, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को और ज्यादा जिम्मेदार होना चाहिए.’
वैसे जज लोया के मामले में जिस तरह से मीडिया खबर नही दिखा कर 'सेल्फ सेंसरशिप' का व्यहवार कर रहा है उम्मीद है कि चीफ जस्टिस बहुत खुश होंगे.
नोट- सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के जज लोया की मौत के मामले पर सुनवाई पूरी हो गई है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोया की मौत की एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. शुक्रवार को कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोने द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर ही सुनवाई हुई. कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोने ने याचिका दायर कर जस्टिस लोया की मौत की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की गुहार लगाई थी.
(ये लेखक के निजी विचार हैं. यह आर्टिकल गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है.)
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच में एनजीओ सीपीआईएल के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि बॉम्बे हाई कोर्ट के दो जजों ने अपने बयान में कहा था कि लोया ने अपने सहयोगी की बेटी की शादी में जाते वक्त 1 दिसंबर, 2014 की सुबह सीने में दर्द की शिकायत की थी। ईसीजी और हिस्टोपैथॉलजी रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि उनकी मौत हार्ट अटैक के चलते नहीं हुई थी जिसका अर्थ है कि इसकी वजह जहर भी हो सकता है.
लेकिन किसी अखबार किसी न्यूज़ चैनल ने यह बात बताना जरूरी नही समझा कि जहर भी जज लोया की मौत की वजह हो सकता है.
प्रतिपक्ष के वकील दुष्यंत दवे ने साफ साफ न्यायालय से पूछ लिया कि पीठ, मामले को सामने वाले से ही सवाल पूछ रही है, महाराष्ट्र सरकार से कुछ नहीं पूछ रही जो लापरवाही के लिए जिम्मेदार है ?,.......... आखिर पीठ यह क्यों बता रही है कि जय लोया को अस्पताल ले जाने के लिए चीफ जस्टिस की कार या बांबे हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की कार का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया ?
दवे ने न्यायालय पर गंभीर आक्षेप लगाते हुए बोला कि
‘आखिर जज लोया केस में मौत की परिस्थितियों पर संदेह उठाए जाने के बाद पीठ की ओर से सफाई क्यों दी जाती है ?................... इस बात पर न्यायमूर्ति बोले कि 'न्याय हमारी अंतरात्मा में है. हमें इसके लिए किसी (वकील) से प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है.'
वैसे न्यायालय ने इससे पहले द वायर और जय शाह से जुड़े मामले में एक की कि ‘हमारी उम्मीद होती है कि मीडिया को जिम्मेदार, जबकि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को और ज्यादा जिम्मेदार होना चाहिए.’
वैसे जज लोया के मामले में जिस तरह से मीडिया खबर नही दिखा कर 'सेल्फ सेंसरशिप' का व्यहवार कर रहा है उम्मीद है कि चीफ जस्टिस बहुत खुश होंगे.
नोट- सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के जज लोया की मौत के मामले पर सुनवाई पूरी हो गई है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोया की मौत की एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. शुक्रवार को कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोने द्वारा दायर की गई याचिकाओं पर ही सुनवाई हुई. कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और महाराष्ट्र के पत्रकार बीएस लोने ने याचिका दायर कर जस्टिस लोया की मौत की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराए जाने की गुहार लगाई थी.
(ये लेखक के निजी विचार हैं. यह आर्टिकल गिरीश मालवीय की फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है.)