मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) नेता वाइको नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। वाइको ने श्रीनगर में 4 अगस्त से नजरबंद फारूक अब्दुल्ला के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण (हैबियस कोर्पस) याचिका लगाई है। सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को इस याचिका को मेंशन कर सकता है। नए नियमों के मुताबिक, याचिका शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होगी।
वाईको ने कहा कि वे चेन्नई में 15 सितंबर को एमडीएमके के संस्थापक अन्ना की 111वीं वर्षगांठ मनाएंगे। इसको लेकर उन्होंने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को निमंत्रण दिया था। फारूक ने कहा था कि वे समारोह में आएंगे लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो रहा है।
अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले पर फारूक ने पिछले महीने कहा था कि यह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा, "यह मोदी सरकार की तानाशाही है। हम कभी भी अलग नहीं होना चाहते थे और न ही हम इस राष्ट्र से अलग होना चाहते हैं। हमारे सम्मान एवं गरिमा को मत छीनो। हम गुलाम नहीं हैं।"
उन्होंने कहा, "यह लोकतांत्रिक प्रणाली न होकर तानाशाही है। मुझे नहीं पता कि कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है। किसी को भी अंदर आने या बाहर जाने की अनुमति नहीं है। हम घर में नजरबंद हैं।" अब्दुल्ला ने कहा कि उनके घर के दरवाजे बंद हो गए हैं और वह बाहर नहीं जा सकते।
गिरफ्तारी के बाद से उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को लोगों से मिलने से मना कर दिया गया है। उमर अब्दुल्ला को हरि निवास में कैद रखा गया है जबकि महबूबा मुफ्ती को चस्मा शाही अतिथिशाला में रखा गया है। उमर के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी गुपकर रोड स्थित अपने घर में नजरबंद हैं। उनको भी लोगों से मिलने की इजाजत नहीं है।
वाईको ने कहा कि वे चेन्नई में 15 सितंबर को एमडीएमके के संस्थापक अन्ना की 111वीं वर्षगांठ मनाएंगे। इसको लेकर उन्होंने जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को निमंत्रण दिया था। फारूक ने कहा था कि वे समारोह में आएंगे लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो रहा है।
अनुच्छेद 370 को रद्द करने के केंद्र सरकार के फैसले पर फारूक ने पिछले महीने कहा था कि यह असंवैधानिक है। उन्होंने कहा, "यह मोदी सरकार की तानाशाही है। हम कभी भी अलग नहीं होना चाहते थे और न ही हम इस राष्ट्र से अलग होना चाहते हैं। हमारे सम्मान एवं गरिमा को मत छीनो। हम गुलाम नहीं हैं।"
उन्होंने कहा, "यह लोकतांत्रिक प्रणाली न होकर तानाशाही है। मुझे नहीं पता कि कितने लोगों को गिरफ्तार किया गया है। किसी को भी अंदर आने या बाहर जाने की अनुमति नहीं है। हम घर में नजरबंद हैं।" अब्दुल्ला ने कहा कि उनके घर के दरवाजे बंद हो गए हैं और वह बाहर नहीं जा सकते।
गिरफ्तारी के बाद से उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को लोगों से मिलने से मना कर दिया गया है। उमर अब्दुल्ला को हरि निवास में कैद रखा गया है जबकि महबूबा मुफ्ती को चस्मा शाही अतिथिशाला में रखा गया है। उमर के पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी गुपकर रोड स्थित अपने घर में नजरबंद हैं। उनको भी लोगों से मिलने की इजाजत नहीं है।