मथुरा की विशेष एससी/एसटी अदालत ने दलित बच्ची के अपहरण, दुष्कर्म और हत्या के दोषी को फांसी की सजा सुनाई। न्यायालय ने इसे 'दुर्लभ से भी दुर्लभ मामला' बताया।

प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : इंडिया टुडे
मथुरा की एक विशेष एससी/एसटी अदालत ने गत मंगलवार को 50 वर्षीय आरोपी को एक दलित बच्ची के अपहरण, बलात्कार और हत्या के जघन्य अपराध में मृत्युदंड की सजा सुनाई। अदालत ने इसे 'दुर्लभतम मामलों' में से एक करार देते हुए कहा कि इस वारदात की निर्ममता मानवता को झकझोर देने वाली है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सोनू चौधरी की रिपोर्ट में बच्ची के गुप्तांगों पर कई धारदार चोटों के निशान मिले। गर्भाशय बुरी तरह क्षतिग्रस्त था और किडनी व लिवर में भी आंतरिक रक्तस्राव हुआ, जिससे उसकी मौत हो गई। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि बच्ची के गले और मलाशय पर चोटें थीं, कंधे पर गहरे दांतों के निशान और शरीर पर कई जगह खरोंचें पाई गईं।
यह दिल दहला देने वाली घटना 26 नवंबर 2020 की है। मथुरा जिले में दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली एक बच्ची गांव की एक महिला के साथ जंगल में लकड़ियां इकट्ठा करने गई थी। जब वह देर शाम तक घर नहीं लौटी, तो उसके पिता ने थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। उसी रात वृंदावन क्षेत्र के जंगल में बच्ची का शव मिला। उसकी हत्या उसी के कपड़ों से गला घोंटकर की गई थी।
घटना के दो दिन बाद, यानी 28 नवंबर को, उसी गांव का एक व्यक्ति आरोपी के तौर पर गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धाराएं 363 (अपहरण), 376 (बलात्कार), 377 (प्राकृतिक न्याय के खिलाफ यौन कृत्य), 302 (हत्या) और 201 (सबूत नष्ट करना) के तहत मामला दर्ज किया। इसके साथ ही, पॉक्सो एक्ट और एससी/एसटी एक्ट के तहत भी आरोप लगाए गए।
25 जनवरी 2021 को चार्जशीट दाखिल की गई और अगले महीने मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई।
पुलिस ने अदालत में नौ गवाहों के बयान, वैज्ञानिक साक्ष्य और पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश की। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि बच्ची के नाखूनों में आरोपी की त्वचा के हिस्से पाए गए थे। साथ ही, गांव की एक महिला गवाह ने बताया कि आरोपी पहले भी लड़कियों के साथ गलत व्यवहार करता था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बृजेश कुमार की अदालत ने आरोपी की दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपना पहला अपराध होने और नरमी बरतने की मांग की थी। अदालत ने अपराध की क्रूरता को देखते हुए फैसला सुनाया कि यह फांसी की सजा के योग्य है।
फैसले में कहा गया कि दोषी को 'फांसी पर तब तक लटकाया जाए जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए।' इसके अलावा, अदालत ने दोषी पर 3 लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
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प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : इंडिया टुडे
मथुरा की एक विशेष एससी/एसटी अदालत ने गत मंगलवार को 50 वर्षीय आरोपी को एक दलित बच्ची के अपहरण, बलात्कार और हत्या के जघन्य अपराध में मृत्युदंड की सजा सुनाई। अदालत ने इसे 'दुर्लभतम मामलों' में से एक करार देते हुए कहा कि इस वारदात की निर्ममता मानवता को झकझोर देने वाली है।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर सोनू चौधरी की रिपोर्ट में बच्ची के गुप्तांगों पर कई धारदार चोटों के निशान मिले। गर्भाशय बुरी तरह क्षतिग्रस्त था और किडनी व लिवर में भी आंतरिक रक्तस्राव हुआ, जिससे उसकी मौत हो गई। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि बच्ची के गले और मलाशय पर चोटें थीं, कंधे पर गहरे दांतों के निशान और शरीर पर कई जगह खरोंचें पाई गईं।
यह दिल दहला देने वाली घटना 26 नवंबर 2020 की है। मथुरा जिले में दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली एक बच्ची गांव की एक महिला के साथ जंगल में लकड़ियां इकट्ठा करने गई थी। जब वह देर शाम तक घर नहीं लौटी, तो उसके पिता ने थाने में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। उसी रात वृंदावन क्षेत्र के जंगल में बच्ची का शव मिला। उसकी हत्या उसी के कपड़ों से गला घोंटकर की गई थी।
घटना के दो दिन बाद, यानी 28 नवंबर को, उसी गांव का एक व्यक्ति आरोपी के तौर पर गिरफ्तार किया गया।
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धाराएं 363 (अपहरण), 376 (बलात्कार), 377 (प्राकृतिक न्याय के खिलाफ यौन कृत्य), 302 (हत्या) और 201 (सबूत नष्ट करना) के तहत मामला दर्ज किया। इसके साथ ही, पॉक्सो एक्ट और एससी/एसटी एक्ट के तहत भी आरोप लगाए गए।
25 जनवरी 2021 को चार्जशीट दाखिल की गई और अगले महीने मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई।
पुलिस ने अदालत में नौ गवाहों के बयान, वैज्ञानिक साक्ष्य और पोस्टमार्टम रिपोर्ट पेश की। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि बच्ची के नाखूनों में आरोपी की त्वचा के हिस्से पाए गए थे। साथ ही, गांव की एक महिला गवाह ने बताया कि आरोपी पहले भी लड़कियों के साथ गलत व्यवहार करता था।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बृजेश कुमार की अदालत ने आरोपी की दलील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने अपना पहला अपराध होने और नरमी बरतने की मांग की थी। अदालत ने अपराध की क्रूरता को देखते हुए फैसला सुनाया कि यह फांसी की सजा के योग्य है।
फैसले में कहा गया कि दोषी को 'फांसी पर तब तक लटकाया जाए जब तक उसकी मृत्यु न हो जाए।' इसके अलावा, अदालत ने दोषी पर 3 लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
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