वफादार, शिक्षित और शहरी: क्या राज्यसभा में सैयद जफर इस्लाम भाजपा के टोकन मुस्लिम चेहरे हैं?

Written by sabrang india | Published on: September 7, 2020
हजारीबाग मूल निवासी और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र डॉ. सैयद जफर इस्लाम ने सोशल मीडिया पर खुद को राष्ट्रीय प्रवक्ता- राजनीतिक और आर्थिक मामले, निदेशक एयर इंडिया, पूर्व निवेश बैंक, पूर्व प्रबंधन निदेशक-ड्यूश बैंक बताया है। अब वह इसमें राज्यसभा सदस्य भी जोड़ सकते हैं क्योंकि उन्हें भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से यूपी से निर्विरोध राज्यसभा सदस्य चुना गया है।



इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव 11 सितंबर को निर्धारित किए गए थे और नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन शुक्रवार 4 सितंबर तक कोई और दावेदार नहीं था। उन्होंने उपचुनाव को निर्विरोध जीता। इसके बाद जफर इस्लाम ने साधारण कार्यकर्ता की तरह इस अवसर को प्रदान करने का सारा श्रेय अपनी पार्टी नेतृत्व को दिया।

उनके अनुसार यह हमारी पार्टी और उनके नेता के विजन को दर्शाता है और जैसा कि स्वभाविक रूप से अपेक्षित है कि सभी पार्टियों के नेता अपने बॉस को टैग करते हैं, उन्होंने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टैग कर 'धन्यवाद सर' लिखा।



जैसा कि स्वभाविक है कि 45 वर्षीय सैयद जफर इस्लाम अभी जीत की खुशी मना रहे हैं, पार्टी में उनकी प्रगति के बाद उनके शुभचिंतकों और सहयोगियों के द्वारा उन्हें मान्यता दी जा रही है। एक ऐसी पार्टी जिसके पास अपने रैंकों में बहुत अधिक प्रतिष्ठित मुस्लिम प्रतिनिधि नहीं हैं, यूपी में एक सांसद की अच्छी राजनीतिक पकड़  है। अमर सिंह समाजवादी पार्टी के टिकट पर उच्च सदन के लिए चुने गए थे, इसका सपा को नुकसान हुआ लेकिन भाजपा को फायदा हुआ है। 

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, निर्विरोध चुने जाने से पहले ज़फ़र इस्लाम को भाजपा के गोविंद नारायण शुक्ला और निर्दलीय महेश चंद्र शर्मा से टोकन प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा था, जिन्होंने अपना नामांकन भी दाखिल किया था। शुक्ला ने अगले दिन अपना नामांकन वापस ले लिया और बुधवार को शर्मा का नामांकन खारिज हो गया क्योंकि उनके पास विधान सभा के 10 सदस्यों का समर्थन नहीं था, जैसा कि चुनाव नियम के तहत आवश्यक था। फिर रिटर्निंग ऑफिसर बृजभूषण दुबे ने घोषणा की कि सईद जफर इस्लाम को निर्वाचित घोषित किया गया है। रिटर्निंग ऑफिसर ने जफर इस्लाम को बताया कि वह 4 जुलाई 2022 तक राज्यसभा में रहेंगे, क्योंकि तभी अमर सिंह का कार्यकाल समाप्त होगा।

वह एक आदर्श फिट, और शिक्षित, पेशेवर, अच्छी तरह से बोलने वाले, नरेंद्र मोदी के प्रशंसक, और उत्तर प्रदेश के सभी मुस्लिमों से ऊपर हैं। उन्होंने कई टीवी ’डिबेट्स’ में अपनी पार्टी का प्रतिनिधित्व और बचाव किया है, और मुख्यधारा के मीडिया में ओपिनियन भी लिखे हैं। पारदर्शिता सफलता की कुंजी है और जफर इस्लाम ने दिखाया है कि यह काम करता है। 

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाए जाने के बाद उन्होंने आजतक के एक शो में कहा था, कश्मीर में जो बदलाव हुए हैं, किसी ने नहीं सोचा था कि ऐसा होगा। 



उन्होंने हमेशा अपनी राय अच्छी तरह से व्यक्त की है। 2017 में उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस में लिखा कि मुसलमानों को बीजेपी को एक अच्छा मौका देना चाहिए और समुदाय ने स्वयंभू धर्मनिरपेक्ष दलों को वोट देकर अपने वोट का नुकसान किया है। 

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा के जीतने के तुरंत बाद यही हुआ। अपनी राय में उन्होंने जिक्र किया कि 'यह शानदार जीत' मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए बिना हासिल की गई थी। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पार्टी और अन्य स्वघोषित धर्मनिरपेक्ष दलों में समुदाय के राजनीतिक नेताओं के द्वारा भय और अनिश्चितता की भावनाओं को शरारती तरीके से फैलाया जा रहा है। उन्हें यह विश्वास दिलाया जा रहा है कि भाजपा सांप्रदायिक और मुस्लिम विरोधी पार्टी है, हालांकि वास्तव में यह विपरीत है।

इस 2017 के ओपिनियन के अनुसार उन्होंने कहा, "बदनाम मौलाना और मौलवी बिना किसी वास्तविक पहुंच के भाजपा और आरएसएस के खिलाफ जहर उगलने के लिए मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।"

तबसे उन्होंने एक लंबा सफर तय किया है और अधिक प्रत्यक्ष हो गए हैं। अप्रैल 2020 के एक ओपिनियन में उन्होंने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की। तब उन्होंने इस फैसले को सफल बताते हुए कहा था कि मोदी का फैसला अच्छी तरह से सोचा समझा था, जो उनके आलोचकों को विपरीत लगता है। उन्होंने कहा था कि हम देशव्यापी लॉकडाउन के मोदी के फैसले को मई 2020 तक देखेंगे। हम कोरोना वायरस के मामलों की अपेक्षाकृत कम संख्या जारी रखेंगे। ऐसी स्थिति को हमारे फ्रंटलाइन वॉरियर्स आसानी से संभाल लेंगे। 

हालांकि अब यह स्पष्ट हो गया है कि जिस स्थिति की भविष्यवाणी मोदी के वफादारों ने की थी, माहौल उसके विपरीत है और भारत में कोविड 19 के मामले दैनिक आधार पर वृद्धि दर्ज कर रहे हैं। 

हालांकि जफर इस्लाम ने कभी भी महामारी का विशेषज्ञ होने का दावा नहीं किया है, सत्तारूढ़ दल के निरंतर बचाव और शायद उनके राजनीतिक धैर्य और नेटवर्किंग कौशल से वह भाजपा में लंबी पारी खेल सकते हैं। जैसा कि अयोध्या के बाद आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने 'काशी मथुरा' का नारा दिया था, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुस्लिम नेता अपने पत्ते कैसे खेलता है।

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