गांधी जयंती पर चम्पारण से शुरू किसान जन जागरण यात्रा का वाराणसी में समापन

Written by Muniza khan | Published on: October 23, 2021
न ज़िंदाबाद होगा न मुर्दाबाद होगा 
जब जागेगी ये जनता तो इंकलाब होगा 



चम्पारण बिहार से 2 अक्तूबर गांधी जयंती के दिन आरंभ की गई किसान जन जागरण यात्रा का बुधवार को शास्त्री घाट, वाराणसी में एक सभा के साथ समापन हुआ। 



प्रशासन द्वारा शास्त्री घाट पर सुबह से ही भारी पुलिस फोर्स का इंतेजाम किया गया था और कुछ किसान नेताओं को पहले से ही हिरासत मे ले लिया गया था। इसके बावजूद भारी संख्या में लोग किसान पदयात्रा में चल रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं के स्वागत में शास्त्री घाट पर उपस्थित थे। उड़ीसा के किसान नेता अक्षय कुमार के नेतृत्व मे 350 किसान पुरुष व महिला इस पद यात्रा में शामिल थे। 



उड़ीसा से आई किसान कामिनी ने अपना अनुभव बताते हुए अपने पैर के छाले दिखाये और कहा कि जब तक तीन कानून वापस नहीं लिए जायेंगे हम चुप नहीं बैठेंगे।
   
संयुक्त किसान मोर्चा के डॉक्टर सुनीलम ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि ये सरकार गांधी का नाम खत्म करना चाहती है और अंबानी -अदानी के नाम देश करना चाहती है। ये सरकार मंडियां खत्म करना चाहती है, संविधान बदलना चाहती है। ये किसान को बचाने और देश को बचाने की लड़ाई है।



सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे ने कहा कि किसान अपनी लड़ाई के साथ साथ सांप्रदायिक सद्भाव की लड़ाई भी लड़ रहा है। आज की सरकार हिन्दू मुस्लिम में बांट रही है, नफरत फैला रही है लेकिन किसान हिन्दू मुस्लिम एकता की बात कर रहा है। 

किसान नेता अक्षय कुमार ने कहा कि अगर सरकार इन तीन काले कानूनों को रद्द नहीं करती तो अगली लड़ाई प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से आरंभ होगी, ये लड़ाई हम ज़रूर जीतेंगे। किसान यात्रा के माध्यम से किसानों ने प्रधानमंत्री से दस सवाल पूछे-

1-    लोकतन्त्र में आलोकतांत्रिक निर्णय क्यों ?
2-    तीनों काले कानून कब वापस होंगे ?
3-    एमएसपी पर कानूनी गारंटी क्यों नहीं ?
4-    नौजवानों के रोजगार पर फैसला कब ?
5-    कमर तोड़ महंगाई से राहत कब ?
6-    विफल स्वास्थ व्यवस्था की ज़िम्मेदारी किसकी ?
7-    पढ़ाई, दवाई, कमाई जैसे ज़रूरी सवाल आपके एजेंडे में क्यों नहीं ?
8-    मज़दूरों के पलायन और अमीरी गरीबी असामानता का जिम्मेदार कौन ?
9-    कॉर्पोरेट के हाथ की कतपुतली सरकार कब तक रहेगी ?
10-    प्रकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध लूट की छूट कब तक ?    

सभा में हिमांशु कुमार, सुनील सहस्त्रबूद्धे, नीति भाई, रामजनम, व अन्य किसान नेताओं ने भी अपनी बात रखी। सभा की अध्यक्षता समाजवादी चिंतक व विचारक विजय नारायण और संचालन पारमिता ने किया। 



सैकड़ों की संख्या में समापन सभा में उपस्थित होकर किसान व नागरिक समाज के लोगो ने अपनी एकजुता दिखाई। मुख्यरूप से उड़ीसा, बिहार, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के विभिन ज़िलों से लोग उपस्थित थे। सभा का समापन नारों और क्रांतिकारी गीतों से हुआ।

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