कृषि कानून: मोदी सरकार पर गरजे टिकैत और केजरीवाल, कहा- इतने जुल्म तो अंग्रेजों ने भी नहीं किए थे

Written by Navnish Kumar | Published on: March 2, 2021
नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ मेरठ में केजरीवाल तो सहारनपुर में टिकैत बरसे। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि देश में लुटेरा घुस आया है जो भूख का व्यापार करना चाहता है। उधर, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये जुल्मी सरकार है। इतने जुल्म तो अंग्रेजों ने भी नहीं किए थे, जितने ये लोग कर रहे हैं, अपने ही किसानों की राह में कीलें ठोक दी हैं।



सहारनपुर के लाखनौर में आयोजित महापंचायत में राकेश टि‍कैत ने कहा कि आंदोलन स्‍थल पर मोदी सरकार ने कीले गाड़ने के साथ, किसान की पगड़ी को उछालने का काम कर रही है। सरकार ने तिरंगे को ठेस पहुंचाया। उन्‍होंने कहा कि देश भाजपा को दोबारा चुनाव में नहीं आने देगा। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि देश में आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है। सरकार जब तक नहीं मानती, तब तक आंदोलन होता रहेगा।

राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को एमएसपी की गारंटी देनी ही होगी। उन्होंने किसानों को आह्वान किया कि याद रहे अभी कानून नहीं बना तो यह कभी नहीं बनेगा। तीनों कानूनों की वापसी तक किसान घर वापसी नहीं करेगा। उन्होंने चेताया कि आंदोलन फेल होगा तो किसान की जमीन नहीं बचेगी। जमीनें कंपनियों के पास चली जाएंगी। रोटी की कीमत कंपनी तय करेगी। इसके लिए किसान व मजदूर को साथ आना होगा। 

राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार 15 दिन से शांत है। उसकी इस खामोशी का मतलब है कि वह कोई नया फंडा तलाश रही है। इसलिए हर वक्त तैयार रहना है। देश में हल क्रांति होगी। 40 लाख ट्रैक्टरों से किसानों का आंदोलन होगा। यह जंग छिड़ चुकी है। कहा वह बंगाल भी जा रहे हैं। जिंदा रहना है और जमीन बचाना है तो आंदोलन करने ही पड़ेंगे। 

टिकैत ने कहा कि व्यापारी को किसी क्षेत्र या शहर से कोई लगाव नहीं होता है। अगर यहां किसी व्यापारी को नुकसान होगा तो वह दिल्ली या चंडीगढ़ में जाकर अपना व्यापार कर लेगा। अगर उस काम में नुकसान होगा तो वह दूसरा काम कर लेगा। लेकिन किसान गांव में खेती करता है अगर उसे 10 साल तक भी नुकसान होगा तो वह ग्यारहवें साल भी खेत में हल लेकर जाएगा। किसान कभी खेती नहीं छोड़ता है।

लाखनौर महापंचायत में सपा व्यापार सभा के प्रदेश अध्यक्ष व सहारनपुर शहर विधायक संजय गर्ग ने कहा कि जिस तरह ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहां 300 साल राज किया है। उस तरह मोदी सरकार अडानी और अंबानी के हाथों में यह देश दे देना चाहते हैं। सरकार को नए कानूनों को लंबित नहीं, पूर्णतया निरस्त कर देना चाहिए और कमेटी बनाकर किसान के सहयोग से नया कानून बनाने का काम करें।

उधर, मेरठ में आयोजित महापंचायत में दिल्‍ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी मोदी व योगी दोनों सरकारों को निशाने पर लिया। कहा दिल्‍ली बार्डर पर बैरियर व मोटी मोटी कीलें लगाई गई हैं। किसान 3 महीनों से सड़क पर ठंड और गर्मी में बैठकर कानून वापस लेने का विरोध कर रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि तीन महीने के अंदर 250 लोग शहीद हो चुके हैं, लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही। उन्‍होंने कहा कि सरकार किसानों को देशद्रोही बता रही है। जबकि उनके ही परिवार के भाई बार्डर पर जाकर देश की रक्षा कर रहे हैं। इस सरकार को किसानों के बारे में कोई चिंता नहीं है। यह सरकार केवल अपना और अपने पूंजीपति मित्रों का ही हित देख रही है। 

सीएम केजरीवाल ने कहा कि 70 साल में सभी पार्टी की सरकारों ने किसानों को धोखा दिया है। कहा कि किसान बस फसल का सही दाम मांग रहा है, लेकिन सरकारें कितनी आईं और गईं किसी ने भी किसानों की बात नहीं सुनी। कहा कि भाजपा ने चुनाव जीतने के बाद सुप्रीम कोर्ट में लिखकर दे दिया कि हम एमएसपी नहीं देंगे। 

केजरीवाल ने दिल्ली लालकिला हिंसा के लिए भी मोदी सरकार को ही ज़िम्मेवार ठहराया। उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार का ही प्‍लान था। भाजपा के समर्थक दिल्‍ली की घटना में शामिल थे। केंद्र सरकार का प्‍लान था किसानों का रुट डायवर्ट कराकर दिल्‍ली में भेजा जाए। ताकि इन पर मुकदमा कर आंदोलन समाप्‍त किया जा सके और हिंसा होते ही किसानों को बदनाम किया। उन्‍होंने कहा कि उस समय अगर किसानों को स्‍टेडियम जाने देते तो ये सभी को जेल में डाल देते। इस कारण हमने किसानों को रोका। 

केजरीवाल ने कहा कि अब भाजपा व केंद्र सरकार के मंत्री घूम घूमकर कह रहे हैं कि एमएसपी था, है और रहेगा लेकिन उप्र की एक मंडी बता दीजिए जहां एमएसपी पर फसल बिक रही है। उन्‍होंने सीएम योगी से पूछा कि आखिर कहां एमएसपी मिल रही है। कहा कि जब मैंने एक भाजपा नेता से पूछा कि एमएसपी क्‍यों नही दी जा सकती तो उसने कहा कि 17 लाख करोड़ का इसमें खर्चा आएगा। कहा उप्र के किसान को गन्ने का भी पैसा नहीं मिलता है, एमएसपी की बात तो रहने ही दीजिए। हजारों करोड़ रुपये केवल उत्‍तर प्रदेश के किसानों के बाकी हैं।

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