कर्नाटक में बढ़ते धार्मिक विभाजन पर उद्योगपति किरण मजूमदार शॉ ने चेताया

Written by Navnish Kumar | Published on: March 31, 2022
कर्नाटक में मंदिर के आस-पास और हिंदू मेलों से मुस्लिम व्यापारियों को दुकानें लगाने पर बैन लगाने के कट्टर हिंदुत्ववादी संगठनों के फैसले आदि से बढ़ते धार्मिक विभाजन पर मशहूर उद्योगपति व आईटी सेक्टर की महत्वपूर्ण शख्सियत किरण मजूमदार शॉ ने चिंता जताई है। किरण मजूमदार शॉ ने ट्वीट कर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को ट्वीट कर इस समस्या को गंभीरता से हल करने का आग्रह किया है। दरअसल कर्नाटक में मुस्लिम व्यापारियों के बढ़ते बहिष्कार ने बिजनेस लीडर्स का भी ध्यान खींचा है जबकि सरकार इसे हिजाब बैन विवाद को लेकर विरोध पर ‘प्रतिक्रिया’ के रूप में ही देख रही है। किरण मजूमदार शॉ कर्नाटक की पहली बिजनेस लीडर हैं जिन्होंने इस मुद्दे पर कुछ कहा है। इसी से पूरा देश किरण की चिंता पर, सरकार के अगले कदम का इंतजार कर रहा है।



ग्लोबल बिजनेस लीडर और देश में बायोटेक्नोलॉजी की प्रणेता बायोकॉन लिमिटेड की कार्यकारी अध्यक्ष किरण मजूमदार शॉ ने बुधवार को ट्वीट करते हुए कहा, ‘कर्नाटक में आर्थिक विकास हमेशा समावेशी रहा है और हमें बिल्कुल भी सांप्रदायिक बहिष्कार को मंजूरी नहीं देनी चाहिए।’ शॉ ने भारत में हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को प्रताड़ित करने के खिलाफ आवाज उठाते हुए इसे भारत की आईटी क्षेत्र में अगुआई के लिए खतरनाक बताया है। कहा- अगर भारत में इंफॉर्मेशन व बायोटेक्नोलॉजी सांप्रदायिक हो गया तो यह हमारे अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व को बर्बाद कर देगा।” इसी ट्वीट में मजूमदार शॉ ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को टैग करते हुए उनसे आग्रह किया है कि इस बढ़ते सांप्रदायिक विभाजन का कुछ हल निकालें। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, "हमारे मुख्यमंत्री बहुत प्रगतिशील नेता हैं। मुझे पूरा यकीन है कि वह इस मुद्दे को जल्दी हल करेंगे।” दरअसल सोशल मीडिया पर कर्नाटक में मंदिर परिसरों के आसपास व हिंदू मेलों में मुसलमान दुकानदारों को दुकानें लगाने से रोकने जैसे कुछ फरमान जारी हुए हैं।



मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुछ दक्षिणपंथी हिंदू संगठन आयोजन समितियों पर मेलों में मुसलमानों को दुकान लगाने की अनुमति न देने का कथित तौर पर दबाव बना रहे हैं। इसके लिए हिंदू संगठनों द्वारा कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम, 1997 के तहत 2002 में बनाए गए नियमों का भी हवाला दिया जा रहा है जिसके तहत मंदिर प्रबंधन से, गैर हिंदुओं को मंदिर परिसर में व्यापार करने की इजाजत न देने की मांग कर रहे हैं। 



बता दें कि, इसके बाद 20 अप्रैल को होने वाले महालिंगेश्वर मंदिर उत्सव के आयोजकों द्वारा नीलामी में मुस्लिमों के हिस्सा लेने पर रोक लगा दी गई है। आयोजकों ने स्पष्ट किया है कि 31 मार्च को बोली में केवल हिंदू ही हिस्सा ले सकेंगे। उडुपी जिले के कौप में होसा मारिगुडी मंदिर ने वार्षिक मेले के लिए 18 मार्च को हुई नीलामी में मुस्लिमों को स्टॉल आवंटित करने से मना कर दिया था। उधर, एक रिपोर्ट के अनुसार हिजाब पर हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ मुसलमानों द्वारा बंद का आह्वान किया गया था। इसी को लेकर स्थानीय मंदिर में पूजा करने वाले लोग खफा हो गए थे। माना जा रहा है कि इसी के बाद मुस्लिमों पर इस प्रकार का प्रतिबंध लगाया जा रहा है।

खास है कि जिन मंदिरों में मुसलमान दुकानदारों को दुकान लगाने से रोका जा रहा है, वहां वे सालों से व्यापार करते आ रहे हैं। इनमें सालाना लगने वाले होजा मारगुड़ी और कोल्लूर मूकाम्बिका मेले शामिल हैं। इसके अलावा दक्षिण कर्नाटक में दुर्गापरमेश्वरी, मंगलदेवी और पुट्टुर महालिंगेश्वर मंदिरों में भी ऐसे बैन लगाए गए हैं। अलग-अलग मंदिरों में मुसलमान दुकानदारों को बैन करने के लिए सोशल मीडिया पर भी मुहिम चलाई गई है। टोंटादरया मुत्त मेले से गैर-हिंदू दुकानदारों को बाहर रखने के लिए सोशल मीडिया कई पोस्टर आदि शेयर किए गए। 

खास यह भी है कि नवंबर से अप्रैल के बीच कर्नाटक में मेलों का मौसम होता है। इस दौरान पूरे राज्य में 40-50 जगह मेले लगते हैं। कोविड के कारण पिछले कई महीनों से ढंग से व्यापार ना कर पाए दुकानदारों को इन मेलों से खासी उम्मीद थी। यही नहीं, अगले महीने उगादी होनी है। कर्नाटक में नए साल के तौर पर उगादी मनाई जाती है जिसके अगले दिन हिंदू समुदाय के लोग मीट बनाते हैं। इस दिन मीट बेचने वालों खासकर मुस्लिम दुकानदारों की भी अच्छी कमाई होती है।

हालांकि कई लोग इस बैन के विरोध में भी सामने आए हैं। मैंगलुरु के बप्पानाडू की दरगाह को सांप्रदायिक सद्भाव की पहचान माना जाता है। दुर्गापरमेश्वरी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि उसे एक मुस्लिम व्यापारी बप्पा के सहयोग से बनवाया गया था। इस मंदिर की प्रबंधन समिति के प्रमुख ने कहा है कि उन्होंने विश्व हिंदू परिषद द्वारा मुस्लिम दुकानदारों को दुकान न लगाने देने की मांग ठुकरा दी है। यही नहीं, बीजेपी के दो नेताओं ने भी इस तरह मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने पर आपत्ति जताते हुए राज्य सरकार से कार्रवाई करने की मांग की है। 

दूसरी ओर, सरकार का रवैया अभी वेट एंड वॉच का ही ज्यादा लग रहा है और वह प्रतिक्रिया देने की जरूरत भी नहीं समझ रही है। जी हां, कर्नाटक की बोम्मई सरकार ने अब तक इस मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की है। बुधवार को बोम्मई ने मीडिया द्वारा सवाल पूछने पर कहा कि इस पर ‘प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं’ है।

गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह के कर्नाटक दौरे को लेकर प्रेस कांफ्रेंस में रिपोर्टर्स को बोम्मई ने बताया, ‘कई संगठन कई चीज़ों पर बैन की मांग कर रहे हैं। हमें पता है कि किस पर प्रतिक्रिया देनी है और किस पर नहीं। हम उस पर ही प्रतिक्रिया देंगे जिस पर जरूरत होगी और जिस पर जरूरत नहीं है उस पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे।’

इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने हलाल प्रोडक्ट्स पर आपत्ति जताई और आर्थिक जिहाद का आरोप लगाया। गुरुवार को मीडिया से बात करते हुए रवि ने कहा, ‘कौन देता है ये हलाल सर्टिफिकेट? सरकार नहीं बल्कि कुछ मुस्लिम धार्मिक संगठन। हलाल का क्या मतलब है? क्या ये इस्लामिक धार्मिक हत्या है। एक धर्मनिरपेक्ष देश में सार्वजनिक दुकानों में इसे क्यों मंजूरी दी गई है? अगर किसी को हलाल मीट का व्यापार करना है तो वो अपने घर में करें।’ रवि ने हिंदुत्व संगठनों की कार्रवाई को भी सही ठहराया जो राज्य भर में निजी प्रतिष्ठानों, होटलों और रेस्तरां का दौरा कर रहे हैं और ग्राहकों को ‘हलाल’ मीट की उपलब्धता के बारे में सूचित करने वाले साइनेज को हटाने की मांग कर रहे हैं। रवि ने कहा, ‘ये साइनबोर्ड अवैध हैं। अगर इन्हें लगाना अवैध है, तो उन्हें हटाना वैध है।'

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