दलित महिला ने मध्य प्रदेश में उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने के बाद आग के हवाले की गई, भाजपा नेता का दावा 'संभावित आत्महत्या का प्रयास'

Written by sabrang india | Published on: October 16, 2024
मध्य प्रदेश के खंडवा के नजदीक एक गांव की 19 वर्षीय दलित महिला को कथित तौर पर उस व्यक्ति के बेटे ने आग के हवाले कर दिया, जिस पर उसने उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह घटना शुक्रवार को हुई जब महिला ने स्थानीय निवासी 48 वर्षीय मंगीलाल के खिलाफ मारपीट करने के प्रयास को लेकर थाना में शिकायत दर्ज कराई थी।



पुलिस के अनुसार, 7 अक्टूबर को महिला ने शिकायत की थी कि मंगीलाल ने उस समय उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की जब वह खेत में अकेली थी। मंगीलाल को उसी दिन गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया, लेकिन अगले दिन 8 अक्टूबर को उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। महिला के परिवार ने दावा किया कि मंगीलाल की रिहाई के बाद उन्हें धमकियां मिलीं।

शुक्रवार को मंगीलाल का बेटा अर्जुन कथित तौर पर महिला के घर आया, उस पर पेट्रोल डाला और उसे आग लगा दी। घायल होने के बावजूद महिला वहां से भागने में सफल रही। उसके परिवार ने उसे अस्पताल पहुंचाया। इंदौर के एक बड़े अस्पताल में ले जाने से पहले उसका स्थानीय जिला अस्पताल में इलाज किया गया। डॉक्टरों ने बताया कि उसके शरीर का 27% हिस्सा जल गया है और उसकी हालत गंभीर है।

अर्जुन को गिरफ्तार कर लिया गया और उस पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 109 के तहत हत्या के प्रयास का आरोप लगाया गया।

खंडवा के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार राय ने कहा, "आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उस पर हत्या के प्रयास का आरोप लगाया गया है। हम गहन जांच कर रहे हैं और महिला का बयान महत्वपूर्ण होगा।"

हालांकि, भाजपा नेता मुकेश तनवे ने कहा कि महिला ने डर के कारण खुद को आग लगा ली होगी। उन्होंने कहा, "हमारे कोतवाली थाने के अंतर्गत आने वाले एक गांव की एक युवती ने आत्महत्या का प्रयास किया। चार दिन पहले, किसी ने उसकी गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोशिश की थी और जब मामला दर्ज किया गया और कार्रवाई की गई, तो आरोपी को जमानत मिल गई। यह स्पष्ट नहीं है कि किस डर से उसने खुद पर केरोसिन डालकर आग लगा ली।"

मध्य प्रदेश समेत देश भर में दलितों के साथ उत्पीड़न का यह कोई नया मामला नहीं है। दलितों के खिलाफ अपराध थम नहीं रहा है। मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है जहां एक दलित व्यक्ति को खुलेआम अपमानित किया गया। उसका चेहरा काला कर दिया गया और उसे गले में जूते-चप्पलों का हार पहनने के लिए मजबूर किया गया।

इसके पीछे कथित तौर पर 29 सितंबर को एक महिला द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत थी जिसमें उस व्यक्ति पर उसका पीछा करने का आरोप लगाया गया था। इस घटना की हर तरफ निंदा की गई। यह मामला भानपुरा पुलिस थाने के अंतर्गत भैसोदामंडी गांव का था।

ज्ञात हो कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) डेटा के अनुसार, मध्य प्रदेश में 2021 में अनुसूचित जाति (एससी) समाज से संबंधित लोगों के खिलाफ अपराध दर सबसे अधिक थी। डेटा से पता चलता है कि राज्य में 2020 में एससी के खिलाफ अपराध दर भी सबसे अधिक थी, और 2019 में दूसरे स्थान पर (राजस्थान के बाद) था। ये संख्याएं बताती हैं कि मध्य प्रदेश में दलितों के खिलाफ बार-बार होने वाले अत्याचार कम होने के बजाए एक पैटर्न को दर्शाते हैं।

हालांकि, जिस दर से आरोप पत्र दायर किए गए वह अधिकांश भारतीय राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में अधिक था।

एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में अनुसूचित जातियों के खिलाफ अत्याचार के सभी मामलों में से लगभग 97.7% मामले 13 राज्यों से दर्ज किए गए, जिनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश में ऐसे अपराधों की सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत नवीनतम सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अत्याचार के अधिकांश मामले भी 13 राज्यों में केंद्रित थे जहां 2022 में सभी मामलों का 98.91% दर्ज किया गया।

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