विस्थापन के 31 साल: कश्मीरी पंडितों ने जम्मू में प्रदर्शन किया

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 21, 2021
नई दिल्ली। कश्मीर घाटी से 31 वर्ष पहले कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के खिलाफ मंगलवार को समुदाय के लोगों ने यहां संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (यूएनएमओजी) के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। 



विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने घाटी में वापसी, पुनर्वास और घाटी में बसने के लिए एक स्थान देने की अपनी मांगों के समर्थन में यह प्रदर्शन किया। उन्होंने यह भी मांग की कि 1990 में उन लोगों को घाटी से बाहर करने के पीछे जिम्मेदार लोगों को दंडित करने के लिए एक ‘नरसंहार आयोग’ का गठन किया जाए। 

‘होलोकास्ट डे’ पर जम्मू शहर के विभिन्न हिस्सों में विस्थापित समुदाय के लोगों ने इस प्रदर्शन समेत अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया। गांधीनगर में यूएनएमओजी कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित एकत्रित हुए, धरने पर बैठे तथा न्याय की मांग को लेकर नारेबाजी की। 

यूथ ऑल इंडिया कश्मीरी समाज के अध्यक्ष आरके भट्ट ने कहा, ‘‘हम यहां इसलिए एकत्रित हुए क्योंकि विश्व बिरादरी ने हमें आज तक निराश ही किया है। हम अपने घरों में सम्मान के साथ वापसी चाहते हैं और वैश्विक निकाय इस नरसंहार को जाने और हमारे बुनियादी अधिकारों को बहाल करे।’’ इस 31वें ‘विस्थापन दिवस’ पर भट्ट ने मुठी स्थित प्रवासियों के शिविर से संरा के कार्यालय तक रैली की अगुवाई की और राजनीतिक नेतृत्व के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा, ‘‘वे चुनाव के समय तो बड़े बड़े वादे करते हैं लेकिन उसके पूरा हो जाने के बाद वे हमें भूल जाते हैं।’’

इस 31वें ‘विस्थापन दिवस’ पर भट्ट ने मुठी स्थित प्रवासियों के शिविर से संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय तक रैली की अगुवाई की और राजनीतिक नेतृत्व के प्रति नाराजगी जताते हुए कहा, ‘वे चुनाव के समय तो बड़े-बड़े वादे करते हैं लेकिन उसके पूरा हो जाने के बाद वे हमें भूल जाते हैं।’

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भट्ट ने कहा, ‘19 जनवरी (1990) की उस काली रात को हमें अपने घरों से भागना पड़ा था। पिछले कई सालों से कश्मीरी पंडितों को घाटी वापसी और पुनर्वास के वादे किए जा रहे हैं, लेकिन अभी तक यह जमीनी स्तर पर लागू नहीं हुआ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार अब तक घाटी में इस समुदाय को वापस बसाने में विफल रही है।’

उन्होंने कहा, ‘हम नारे दे-देकर थक चुके हैं कि कश्मीर, कश्मीरी पंडितों के बिना अधूरा है, लेकिन पंडितों की वापसी और पुनर्वास के लिए ऐसा कुछ भी नहीं किया गया है।’ उन्होंने घाटी में समुदाय की वापसी के लिए विश्व निकाय और सरकार से आग्रह किया।

विभिन्न कश्मीरी पंडितों के संगठनों ने कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया और उनके विस्थापन के लिए जिम्मेदार सभी लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की। अधिकांश संगठन 7 लाख विस्थापित कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास, समुदाय की सुरक्षा तथा सुरक्षा के मद्देनजर कश्मीर में एक ही क्षेत्र में बसाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने मंदिर बोर्ड के अलावा कश्मीरी पंडितों के पलायन और हत्याओं की जांच के लिए एक नरसंहार आयोग का गठन करने की भी मांग की।

 

बाकी ख़बरें