कश्मीर के तुल्लामुल्ला नगर के ‘खीर भवानी मंदिर’ में वार्षिक समारोह के लिए कश्मीरी पंडितों की आवा-जाही शुरू हो गई है। घाटी में अमन-शांति के उद्देश्य से आयोजित इस तीन दिन के मेले में प्रवासी कश्मीरी पंडित बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। वे माता खीर भवानी के दर्शन के साथ-साथ यह भी देखते हैं कि घाटी के मौजूदा हालात कैसे हैं।
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (KPSS) के अध्यक्ष संजय टिक्कू जी ने CJP से इस समारोह और हिन्दू-मुस्लिम समुदायों की नई पीढ़ियों के संबंध के विषय में चर्चा की। समारोह के विषय में KPSS अध्यक्ष ने कहा कि “प्रवासी कश्मीरी पंडितों के लिए 12 साल से इस मेले का आयोजन किया जा रहा है। श्रद्धालु माता खीर भवानी के दर्शन सहित घाटी के जमीनी हालातों का भी मुआयना करते हैं।“ उन्होंने बताया कि कश्मीर में माता खीर भवानी के मंदिर के साथ अन्य सात स्थानों पर इस प्रकार के समारोह का आयोजन किया जाता है।
कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (KPSS) के अध्यक्ष संजय टिक्कू जी ने CJP से इस समारोह और हिन्दू-मुस्लिम समुदायों की नई पीढ़ियों के संबंध के विषय में चर्चा की। समारोह के विषय में KPSS अध्यक्ष ने कहा कि “प्रवासी कश्मीरी पंडितों के लिए 12 साल से इस मेले का आयोजन किया जा रहा है। श्रद्धालु माता खीर भवानी के दर्शन सहित घाटी के जमीनी हालातों का भी मुआयना करते हैं।“ उन्होंने बताया कि कश्मीर में माता खीर भवानी के मंदिर के साथ अन्य सात स्थानों पर इस प्रकार के समारोह का आयोजन किया जाता है।
मुस्लिम समुदाय से अपने ताल्लुक की चर्चा कराते हुए संजय टिक्कू जी ने कहा कि “कश्मीर के मुस्लिमों से हवन के लिए लकड़ियों के साथ अन्य पूजा सामाग्री एकत्रित करने में हमें मदद मिली। दोनों समुदाय की नई पीढ़ियों के बीच वैसा (सद्भावनापूर्ण) संबंध नहीं है जैसा पुरानी पीढ़ी के बीच में था। इन समारोह के जरिए हम नई पीढ़ी के बीच की दूरी कम कर सकते हैं।“
सरकार की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए संजय टिक्कू जी ने कहा कि “मतभेद को कम करने के लिए दोनों समुदाय के लोगों को एक-दूसरे की बात सुनानी चाहिए। इसमें सरकार को थोड़ा भी दखल नहीं देना चाहिए क्योंकि उनके दखल से बात बिगड़ जाती है। तभी इन समुदाय की नई पीढ़ियों के बीच एक मजबूत रिश्ता कायम हो सकेगा।“
सरकार की भूमिका पर टिप्पणी करते हुए संजय टिक्कू जी ने कहा कि “मतभेद को कम करने के लिए दोनों समुदाय के लोगों को एक-दूसरे की बात सुनानी चाहिए। इसमें सरकार को थोड़ा भी दखल नहीं देना चाहिए क्योंकि उनके दखल से बात बिगड़ जाती है। तभी इन समुदाय की नई पीढ़ियों के बीच एक मजबूत रिश्ता कायम हो सकेगा।“
घाटी के मौजूदा स्थिति में कश्मीरी पंडितों के हालत पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि, सब हालात वैसे ही हैं, सरकार से हमें कोई मदद नहीं मिली, अब तक जो भी मदद मिली है वह CJP की तीस्ता सेतलवाड़ जी के द्वारा ही मिली है।
फिलहाल तीन दिन के इस मेले में देश के अलग-अलग स्थानों में बसे कश्मीरी पंडित हिस्सा ले रहे हैं। एक ओर प्रवासी कश्मीरी पंडितों के कश्मीर में वापसी की कमाना की जाती है। वहीं दूसरी ओर हिन्दू-मुस्लिम समुदाय की नई पीढ़ियों के रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश भी की जाती है।
फिलहाल तीन दिन के इस मेले में देश के अलग-अलग स्थानों में बसे कश्मीरी पंडित हिस्सा ले रहे हैं। एक ओर प्रवासी कश्मीरी पंडितों के कश्मीर में वापसी की कमाना की जाती है। वहीं दूसरी ओर हिन्दू-मुस्लिम समुदाय की नई पीढ़ियों के रिश्तों को मजबूत करने की कोशिश भी की जाती है।