इंसाफ के मामले में कर्नाटक टॉप पर, योगी सरकार फिसड्डी: रिपोर्ट

Written by Navnish Kumar | Published on: April 4, 2023
"नागरिकों को इंसाफ दिलाने में योगीराज वाला यूपी एक बार फिर फिसड्डी साबित हुआ है। यह सवाल India Justice Report से सवाल उठा है।



India Justice Report को टाटा ट्रस्ट ने 2019 में शुरू किया था। ये उसका तीसरा एडिशन है। फाउंडेशन के साझीदारों में सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राईट्स इनीशिएटिव, दक्ष, TISS-प्रयास, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी, हाऊ इंडिया लिव्ज, IJR’s डाटा पार्टनर हैं।"

प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी हॉल ही में पिछले हफ्ते प्रदेश की जनता के सामने भाजपा सरकार की छह साल की उपलब्धियों का ब्यौरा पेश किया था। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमने छह साल में प्रदेश को लेकर लोगों की धारणा बदलने का काम किया है। अब यूपी की पहचान उपद्रवियों से नहीं उत्सवों से है। अब प्रदेश माफियाओं के कारण नहीं बल्कि महोत्सव के कारण जाना जाता है। उन्होंने कहा कि हमने नया यूपी बनाया है। छह वर्ष पहले लोग कहते थे कि यूपी में कभी विकास नहीं हो सकता है पर आज पूरा प्रदेश विकास की दौड़ में पहले स्थान पर जगह बना रहा है। लेकिन India Justice Report से सवाल उठा है कि योगीराज में कानून-व्यवस्था को लेकर जो हो-हंगामा है, वह यूं ही तो नहीं है। 

मोदी सरकार की घोषित नीतियों और जमीनी हालात में बड़ा फर्क दिखता है। सरकार यह कहते नहीं थकती कि वह जनहित के काम कर रही है और उसकी नीतियों के मूल में आम लोग ही हैं। लेकिन फिर न्याय के राज की स्थापना के मामले में दावे और हकीकत में अंतर क्यों है? कम से कम, इंडिया जस्टिस रिपोर्ट, 2020 को देखकर तो ऐसा ही लगता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, कर्नाटक को छोड़ दें तो कई विपक्ष शासित राज्य तमिलनाडु, तेलंगाना आंध्र प्रदेश अच्छा काम करने वाले राज्यों में शीर्ष पर हैं जबकि सबसे खराब प्रदर्शन बीजेपी शासित उत्तर प्रदेश का रहा। अब अगर योगीराज में कानून-व्यवस्था पर उंगली उठाई जा रही है, तो वह यूं ही तो नहीं।

इंसाफ देने में एमके स्टालिन का तमिलनाडु का नंबर दूसरा है जबकि KCR का तेलंगाना तीसरे नंबर पर काबिज है। पीएम नरेंद्र मोदी का गृह प्रदेश गुजरात इस फेहरिस्त में चौथे नंबर पर काबिज है।

इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप की खबर के अनुसार, India Justice Report 2022 के मुताबिक इंसाफ देने में उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार सबसे फिसड्डी साबित हुई है। जिन सूबों की आबादी 1 करोड़ से ऊपर है उनकी रैंकिंग में उत्तर प्रदेश 18वें पायदान यानि सबसे नीचे है। 1 करोड़ से ज्यादा आबादी वाले सूबों की फेहरिस्त में कर्नाटक सबसे ऊपर है। जिन पैरामीटर पर सूबों का आकलन किया गया है उनमें पुलिस, जूडिशरी, कारागार और लीगल एड शामिल है।

इंसाफ देने में एमके स्टालिन के तमिलनाडु का नंबर दूसरा है जबकि KCR का तेलंगाना तीसरे नंबर पर काबिज है। पीएम नरेंद्र मोदी का गृह प्रदेश गुजरात इस फेहरिस्त में चौथे नंबर पर काबिज है। 4 अप्रैल को दिल्ली में जारी रिपोर्ट में YSR का आंध्र प्रदेश पांचवे नंबर पर काबिज है।

1 करोड़ से कम आबादी में सिक्किम अव्वल, गोवा सबसे पीछे

1 करोड़ से कम आबादी वाले सात सूबों की बात की जाए तो इंसाफ देने में सिक्किम सबसे ऊपर है। उसके बाद नंबर दो पर अरुणाचल प्रदेश है। त्रिपुरा नंबर तीन पर है। जबकि कैपिटा इनकम में हमेशा अव्वल रहने वाला गोवा इस मामले में यूपी की तरह से फिसड्डी है। वो सातवें नंबर पर है।

टाटा ट्रस्ट की ये तीसरी रिसर्च रिपोर्ट

India Justice Report को टाटा ट्रस्ट ने 2019 में शुरू किया था। ये तीसरा एडिशन है। फाउंडेशन के साझीदारों में सेंटर फॉर सोशल जस्टिस, कॉमन कॉज, कॉमनवेल्थ ह्यूमन राईट्स इनीशिएटिव, दक्ष, TISS-प्रयास, विधि सेंटर फॉर लीगल पॉलिसी, हाऊ इंडिया लिव्ज, IJR’s डाटा पार्टनर हैं। रिपोर्ट तैयार करने के लिए पिछले 24 माह तक लगातार रिसर्च की गई। इसमें देखा गया कि इंसाफ को देने वाला सिस्टम कितना कारगर है।

रिपोर्ट तैयार करने के दौरान पुलिस, जूडिशरी, कारागार और लीगल एड का बजट देखा गया। कौन सा सूबा इन चारों पिलर्स के लिए कितना खर्च कर रहा है। कितने लोग इन चारों पिलर्स में शिद्दत से काम कर रहे हैं। बेंचमार्क क्या है। सूबे के अपने मानकों के हिसाब से ये किस तरह से काम कर रहे हैं। इन सभी की रिसर्च के दौरान देखने को मिला कि बड़े सूबों में उत्तर प्रदेश और छोटे सूबों में गोवा इन सभी मामलों में सबसे ज्यादा पीछे हैं।

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