पीएम मोदी की नोटबंदी ने 60 लाख लोगों खाना छीना- रिपोर्ट

Published on: July 20, 2017
साल 2014 के आमचुनाव से पहले पीएम मोदी चुनावी रैलियों में युवाओं को हर साल दो करोड़ रोजगार देने की बात करते थे। सरकारी आकड़ों पर भरोसा करें तो देश में हर साल करीब 10 लाख तक की श्रमशक्ति को रोजगार की जरूरत होती है। लेकिन पीएम मोदी के शासनकाल में 10 लाख रोजगार मिलना तो दूर की बात बीते एक साल में 15 लाख युवाओं के रोजगार छीन लिए गए हैं।


Table: CMIE


ये रोजगार पीएम मोदी के नोटबंदी वाले फैसले की वजह से छिने हैं। इस बात का खुलासा सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की सर्वेक्षण रिपोर्ट में किया गया है। सीएमआर्इर्इ की रिपोर्ट में कहा गया कि नोटबंदी के बाद भारत में लगभग 15 लाख लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ी हैं। इस हिसाब से अगर एक कमाऊ व्यक्ति पर घर के चार लोग आश्रित हैं, तो पीएम नरेंद्र मोदी के एक फैसले से 60 लाख से ज्यादा लोगों के मुंह से रोटी का निवाला छीन लिया गया। सीएमआईई ने सर्वे में त्रैमासिक वार नौकरियों का आंकड़ा पेश किया है।

सीएमआईई के कंज्यूमर पिरामिड हाउसहोल्ड सर्वे के अनुसार, नोटबंदी के बाद जनवरी से अप्रैल, 2017 के बीच देश में कुल नौकरियों की संख्या घटकर 405 मिलियन रह गयी थीं, जो सितंबर से दिसंबर, 2016 के बीच 406.5 मिलियन थी। इसका मतलब यह कि नोटबंदी के बाद नौकरियों की संख्या में करीब 1.5 मिलियन अर्थात 15 लाख की कमी आयी। देशभर में हुए हाउसहोल्ड सर्वे में जनवरी से अप्रैल, 2016 के बीच युवाओं के रोजगार और बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े जुटाए गये।

इस सर्वे में कुल 1 लाख 61 हजार, एक सौ सड़सठ घरों के कुल 5 लाख 19 हजार, 285 युवकों पर सर्वे किया गया था। सर्वे में कहा गया है कि तब 401 मिलियन यानी 40.1 करोड़ लोगों के पास रोजगार था। यह आंकड़ा मई-अगस्त, 2016 के बीच बढ़कर 403 मिलियन यानी 40.3 करोड़ और सितंबर-दिसंबर, 2016 के बीच 406.5 मिलियन यानी 40.65 करोड़ हो गया। इसके बाद जनवरी से अप्रैल, 2017 के बीच रोजगार के आंकड़े घटकर 405 मिलियन यानी 40.5 करोड़ रह गये। मतलब साफ है कि इस दौरान कुल 15 लाख लोगों की नौकरियां खत्म हो गयीं।

बता दें कि पिछले साल 8 नवंबर की रात पीएम मोदी ने कालधान और भ्रष्टाचार की बात कहकर नोटबंदी की घोषणा कर दी थी। जिसके बाद देश में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। नोटबंदी से सैंकड़ों लोगों की जान चली गई थी। हालांकि किसी तरह लोगों ने मैनेज कर लिया था लेकिन हकीकत यह है कि इन 15 लाख नौकरियों के जरिए 60 लाख लोगों के मुंह से निवाला छीनने का काम किया गया है।

साभार –नेशनल दस्तक

बाकी ख़बरें