प्रसिद्ध इतिहासकार और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व वाईस चांस्लर मुशीरुल हसन का सोमवार सुबह देहांत हो गया. वे 71 वर्ष के थे. प्रोफेसर मुशीरुल हसन जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के कुलपति और भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक रह चुके थे. उन्होंने भारत के विभाजन और दक्षिण-एशिया में इस्लाम के इतिहास पर बड़े पैमाने पर लिखा.
मुशीरुल हसन साल 1992-96 जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उप-कुलपति और बाद में साल 2004-09 तक कुलपति रहे. प्रोफेसर मुशीरुल हसन सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में भी अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं. मुशीरुल हसन के जनाजे की नमाज़ दोपहर 1 बजे जोहर जामिया मस्जिद मे होगी।
मुशीरुल हसन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के उपाध्यक्ष के साथ-साथ ईरान स्थित दूतावास में इंडो-ईरान सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष और 2002 में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके थे. उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था.
मुशीरुल हसन साल 1992-96 जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उप-कुलपति और बाद में साल 2004-09 तक कुलपति रहे. प्रोफेसर मुशीरुल हसन सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में भी अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं. मुशीरुल हसन के जनाजे की नमाज़ दोपहर 1 बजे जोहर जामिया मस्जिद मे होगी।
मुशीरुल हसन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज के उपाध्यक्ष के साथ-साथ ईरान स्थित दूतावास में इंडो-ईरान सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष और 2002 में भारतीय इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके थे. उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था.