मुंबई: मेडिकल कॉलेज में ‘छोटी स्कर्ट’ पहनने पर पाबंदी के खिलाफ छात्राओं का प्रदर्शन

Written by sabrang india | Published on: March 26, 2019
मुंबई। लड़कियां क्या पहनें, किस तरह से रहें,  इसे लेकर तमाम तरह की गाइडलाइंस पहले परिवार फिर समाज द्वारा जारी की जाती हैं। लेकिन आज के दौर में लड़कियां इन पाबंदियों को तोड़कर आगे बढ़ने की ओर अग्रसर हैं। मुंबई के एक मेडिकल कॉलेज में लड़कियों के स्कर्ट पहनने पर रोक लगाई गई तो छात्राएं विरोध में उतर आईं। महाराष्ट्र के सरकारी जेजे हॉस्पिटल्स ग्रांट मेडिकल कॉलेज की छात्राओं ने ‘छोटी स्कर्ट’ न पहनने और कार्यक्रमों के दौरान पुरुष साथियों से अलग बैठने के फरमान के खिलाफ रविवार को प्रदर्शन किया। उन्होंने दावा किया कि इस आदेश के जरिए अधिकारी ‘मोरल पुलिसिंग’ की कोशिश कर रही है।

अधिकारियों ने 21 मार्च को होली के एक कार्यक्रम के बाद ये निर्देश जारी किए। कार्यक्रम में प्रतिष्ठित मेडिकल संस्थान के परिसर में कुछ युवाओं ने हंगामा मचाया और अभद्र व्यवहार किया था। अधिकारियों के सर्कुलर के खिलाफ असहमति जताते हुए छात्राओं ने रविवार को टखने तक (एंकल लेंथ) कपड़े पहनकर और अपना चेहरा ढंककर प्रदर्शन किया।

एक प्रदर्शनकारी छात्रा ने बताया कि कॉलेज प्रशासन ने फेसबुक और छात्रावास में रहने वाली लड़कियों के व्हाट्सएप ग्रुप पर इन निर्देशों को विस्तार से बताने वाले पोस्ट साझा किए।

इस बारे में संस्थान के डीन डॉ अजय चंदनवाले ने कहा ‘छात्राओं से अपेक्षा है कि वे उचित परिधान पहनें। विद्यार्थियों के लिए मेरा यही संदेश है। होली के कार्यक्रम में कुछ हंगामा हुआ इसलिए हमने कड़े कदम उठाने का फैसला किया।’ उन्होंने कहा, ‘अगर (विद्यार्थियों को) कोई आपत्ति है तो हम उनका पक्ष सुनेंगे और उचित कदम उठाए जाएंगे।’

न्यूज़18 की ख़बर के अनुसार इस मुद्दे पर एक छात्रा ने बताया कि यह निर्देश डीन डॉ. अजय चंदनवाले और वार्डन शिल्पा पाटिल ने जारी किए हैं। छात्रा ने बताया कि महिलाओं को छोटी स्कर्ट न पहनने, इवेंट्स में पुरुषों से अलग बैठने और रात 10 बजे से पहले अपने हॉस्टल लौट जाने के निर्देश दिए गए हैं।

छात्रा ने आगे कहा, ‘हम कॉलेज प्रशासन के इस निर्णय की निंदा करते हैं। यह अनावश्यक तरीक़े से हमारी अपनी मर्ज़ी से कपड़े पहनने के अधिकार पर हमला है। कुछ अनियंत्रित छात्रों के कारण सभी को क्यों दंडित किया जाना चाहिए।’

छात्रा ने आगे बताया कि दूसरा निर्देश हाल ही में आयोजित हुए एक वार्षिक कार्यक्रम  ‘अस्तित्व’ से संबंधित है। उस कार्यक्रम के दौरान पुरुष और महिला छात्रों को अलग-अलग बैठने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा कि हम इस फैसले के पीछे के तर्क को समझ नहीं पा रहें हैं क्योंकि बहुत से पुरुष और महिला छात्र हैं, जो अच्छे दोस्त हैं और एक साथ बैठना चाहते हैं। अधिकारियों द्वारा इस तरह के निर्देश जारी करना हास्यास्पद है।

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