Bulli Bai ऐप पर PM की चुप्पी पर जावेद अख्तर ने उठाए सवाल, मुख्य आरोपी महिला सहित दो गिरफ्तार

Written by Navnish Kumar | Published on: January 4, 2022
सुल्ली डील्स और अब बुल्ली बाई ऐप दोनों के पीछे मुस्लिम महिलाओं को अपमानित और प्रताड़ित करने की सुनियोजित और संगठित साज़िश है जो घिनौनी और शर्मनाक ही नहीं, सांप्रदायिक विद्वेष के बढ़ते दायरे को भी दर्शाती है। लेकिन मुस्लिम महिलाओं को टारगेट कर ऑनलाइन बदनाम करने की इन कोशिशों पर इन सबसे भी हैरान और परेशान करने वाली कोई बात है तो वो है सरकार की चुप्पी। गीतकार जावेद अख्तर ने पूरे मामले को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए पूछा है कि क्या यही है आपका सब का साथ? 



दरअसल, कई बार किसी अपराध की प्रकृति ऐसी होती है, कि उसके जिम्मेदार लोगों को तो कानून के कटघरे लाया जा सकता है, लेकिन उससे सामाजिकता की व्यापक छवि को जो नुकसान पहुंचता है, उसकी भरपाई आसान नहीं होती। हरिद्वार धर्म संसद हो या ताजा बुल्ली बाई ऐप दोनों ऐसे ही मामले हैं। एक होस्टिंग सेवा ‘गिटहब’ पर बनाए गए ‘बुल्ली बाई’ नामक विवादास्पद ऐप के जरिए मुसलिम महिलाओं की तस्वीरों का जैसा बेजा और आपत्तिजनक इस्तेमाल किया, उससे यह साफ है कि इस तरह की गतिविधियों के पीछे कुछ सिरफिरे लोगों की अराजकता नहीं है, बल्कि यह बदनामी और भय पैदा करने की सुनियोजित और संगठित कोशिश है। लेकिन इससे भी बड़ी विडंबना यह है कि जिस दौर में साइबर अपराधों से निपटने में पुलिस महकमा अक्सर बढ़ चढ़कर दावे करता है, उस दौरान एक साल के भीतर एक तरह की यह दूसरी घटना है। पिछले साल ‘गिटहब’ पर ही ‘सुल्ली डील्स’ नाम से ऐप बनाकर मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें डाल कर उनकी खरीद-बिक्री की बात की गई थी। तब पुलिस ने शिकायत भी दर्ज की थी, लेकिन कार्रवाई के मामले में बरती गई उदासीनता का नतीजा है कि अब बुल्ली बाई ऐप के जरिये, असामाजिक तत्त्वों ने फिर से मुस्लिम महिलाओं को अपमानित और प्रताड़ित करने की कोशिश की है। इस बार मामले के तूल पकड़ने के बाद पुलिस ने थोड़ी सक्रियता बरती है और ‘गिटहब’ ने ऐप को हटा दिया है, मगर इस तरह के औपचारिक उपायों से शायद ही ऐसी हरकतों पर रोक लगाई जा सके। 

यह समझना मुश्किल नहीं है कि समुदाय विशेष की महिलाओं को निशाना बनाकर उन्हें अपमानित करने और उनका भयादोहन करने के पीछे मुख्य रूप से सांप्रदायिक नफरत की भावना काम करती है। इससे एक पूरे समुदाय और खासकर महिलाओं के भीतर अपनी स्थिति को लेकर कैसी भावना पैदा होती होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसी हरकतों से चौतरफा नुकसान के सिवा और क्या हासिल होगा! सच यह है कि इस तरह का अपराध करने वाले लोग न्यूनतम मानवीय संवेदनाओं से भी दूर होते हैं। प्रथम दृष्टया इनके निशाने पर किसी खास समुदाय की महिलाएं हो सकती हैं, लेकिन आखिरकार ये सभी महिलाओं के खिलाफ कुंठा से भरे होते हैं। साइबर क्रांति के दौर में ऐसे अपराधियों की गतिविधियों पर तत्काल लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाले वक्त में डिजिटल दुनिया को लेकर एक खास तरह का असुरक्षा बोध जोर पकड़ेगा।

अब मुस्लिम महिलाओं की नीलामी हो या फिर धर्म संसद में नरसंहार की बात, सरकार की चुप्पी हैरान करने वाली है। गीतकार जावेद अख्तर ने धर्म संसद और सौ मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी के बारे में ट्वीट कर सरकार की चुप्पी पर निशाना साधा है। गीतकार जावेद अख्तर ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए पीएम मोदी से सवाल किया है कि सौ महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी हो रही है, तथाकथित धर्म संसद सेना और पुलिस को लगभग 20 करोड़ भारतीयों के नरसंहार की सलाह दे रही है। मैं हर एक की चुप्पी, खास तौर पर प्रधानमंत्री की चुप्पी से हैरान हूं। क्या यही है सब का साथ?

हालांकि मुंबई साइबर पुलिस ने ‘बुल्ली बाई' ऐप मामले में मुख्य आरोपी एक महिला और सह आरोपी इंजीनियरिंग स्टूडेंट को गिरफ्तार किया है। एनडीटीवी के अनुसार, इंजीनियरिंग छात्र को कल बेंगलुरु से मुंबई लाने के बाद उससे लगातार पूछताछ की जा रही थी। यह मामला ऐप पर 'नीलामी' के लिए मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अपलोड करने से जुड़ा है। गिरफ्तार आरोपी का नाम विशाल झा है। पुलिस ने कहा कि बुल्ली ऐप का सिखों से कोई संबंध नहीं है। आरोपियों ने जानबूझकर ऐप को सिख लुक दिया था। उन्होंने आगे बताया कि गिरफ्तार युवक सह आरोपी है, जो मुख्य आरोपी के संपर्क में था। 

वहीं, मंगलवार को उत्तराखंड से मुख्य आरोपी महिला को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। मुख्य आरोपी महिला पर आरोप है कि इसने ऐप पर मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरें अपलोड की थीं और उनकी बोली लगाई थी। महिला को जांच के लिए मुंबई लाया जा रहा है। उसे ट्रांजिट रिमांड के लिए उत्तराखंड कोर्ट में पेश किया जाएगा। इससे पहले सोमवार को बेंगलुरु से 21 वर्षीय इंजीनियरिंग छात्र विशाल झा को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। दोनों मामले में सह-आरोपी हैं और एक-दूसरे को जानते हैं। पुलिस के मुताबिक, वे फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दोस्त हैं। इसलिए एक-दूसरे से संपर्क में रहते थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मुंबई पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी महिला ‘बुल्ली बाई’ ऐप से जुड़े तीन अकाउंट हैंडल कर रही थी। सह आरोपी विशाल कुमार ने खालसा सुप्रीमिस्ट के नाम से खाता खोला। 31 दिसंबर को उसने अन्य खातों के नाम बदलकर सिख नामों से मिलते जुलते कर दिए। खास है कि मुंबई पुलिस की साइबर सेल को मिली शिकायत के बाद से ही साइबर सेल इस मामले की जांच कर रही थी। एफआईआर के मुताबिक बुल्ली बाई एक ऐसा एप्लिकेशन है जहां पर नामचीन मुस्लिम महिलाओं की तस्वीर पोस्ट कर उनकी बोली लगाई जाती थी। खास है कि मामले पर कई लोगों ने सवाल उठाए थे और शिकायतें की थी, जिसके बाद मुंबई पुलिस साइबर सेल ने अज्ञात लोगों के खिलाफ IPC की धारा 354D, 509, 500, 153A, 295A, 153B, IT की धारा 67 की सबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था और जांच शुरू कर दी थी।

अब देखें तो सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की अनुमति के बिना उनकी तस्वीरों से छेड़छाड़ कर उन्हें ‘बुल्ली बाई' ऐप पर ‘नीलामी' के लिए सूचीबद्ध किया गया। एक साल से भी कम समय में दूसरी बार ऐसा हुआ है। यह ऐप ‘सुल्ली डील्स' की ही तरह है, जिसके कारण पिछले साल इसी तरह का विवाद पैदा हुआ था। बुल्ली बाई ऐप और सुल्ली डील्स दोनों में कोई अंतर नहीं है। दोनों का मकसद एक ही है मुस्लिम महिलाओं का मानसिक और शारीरिक शोषण करना। दोनों ऐप के नाम मुसलमानों के लिए इस्‍तेमाल किए जाने वाले आपत्तिजनक शब्‍द हैं। दोनों पर ही मुस्लिम महिलाओं की तस्‍वीरें और डीटेल्‍स अपलोड की गईं। महिलाओं के ट्विटर/इंस्‍टाग्राम/फेसबुक से जानकारियां और पर्सनल फोटो चोरी कर डाली गईं और फिर उनकी 'बोली' लगाई गई। मामला सामने आने के बाद, केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने कहा कि ऐप बनाने वाले यूजर को ‘गिटहब' पर ब्‍लॉक कर दिया गया है। आगे कार्रवाई पर बात चल रही है। अब दो आरोपी भी गिरफ्तार कर लिए गए हैं मगर सवाल अभी भी यही है कि इंटरनेट पर इस तरह मुस्लिम महिलाओं की 'बोली' लगवा कौन रहा है? सरकार के साथ हम सभी को चुप्पी तोड़नी होगी।

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