22 मार्च को दिल्ली में रामनाथ गोएंका अवॉर्ड्स समारोह के दौरान चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और इंडियन एक्सप्रेस के प्रधान संपादक राज कमल झा की स्पीच सुर्खियों में रही।

राज कमल झा ने कहा,

राज कमल झा ने कहा,
"ये हमारा सौभाग्य है कि हमारे साथ माननीय चीफ़ जस्टिस मौजूद हैं, और सीलबंद लिफ़ाफ़े में कुछ भी नहीं है। डेरेक ओ ब्रायन, आपका यहां होना सुखद है। ये वोट ऑफ़ थैंक्स है, लेकिन हम जिस समय में रह रहे हैं, मैं कहना चाहता हूं कि कोई वोट नहीं होगा। यहां सिर्फ थैंक्स होगा।"
यहां सीलबंद लिफ़ाफ़े वाली टिप्पणी का इशारा सीजेआई के हालिया बयान पर था। हाल ही में सीजेआई चंद्रचूड़ अदालत में दिए जाने वाले सीलबंद लिफ़ाफ़े के इस्तेमाल पर भड़क गए थे। वन रेंक वन पेंशन मामले में अटॉर्नी जनरल ने उन्हें सीलबंद लिफ़ाफ़ा दिया, तो उन्होंने लेने से इनकार कर दिया था।
उन्होंने आगे कहा,
"साल दर साल, केस दर केस, सुप्रीम कोर्ट की रोशनी ने पत्रकारों और पत्रकारिता के लिए राह रोशन की है। इसलिए जब रोशनी कम हो जाती है। जब एक रिपोर्टर को आतंकवादियों के लिए बने क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया जाता है, जब दूसरे पत्रकार को सवाल पूछने के लिए गिरफ़्तार किया जाता है, जब एक विश्वविद्यालय के शिक्षक को कार्टून शेयर करने के लिए उठा लिया जाता है, एक कॉलेज के छात्र को एक भाषण देने के लिए, एक फ़िल्म स्टार को अपनी टिप्पणी के लिए या जब एक स्टोरी के बदले पुलिस FIR आती है- हम इसके रोशनी के लिए वापस इसी नॉर्थ स्टार (ध्रुव तारा) की ओर मुड़ते हैं।"
बता दें कि अपनी स्पीच में राज कमल झा ने सुप्रीम कोर्ट की अहमियत की बात की। पत्रकारों की आज़ादी की बात की और, पत्रकारों की आज़ादी से लोकतंत्र पर क्या असर पड़ता है, उसकी बात की। भाषण के दौरान सुनने वालों में सूचना और दूरसंचार मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा के वरिष्ठ नेता रवि शंकर प्रसाद भी बैठे थे। विपक्ष के नेता भी थे. AAP सांसद संजय सिंह, TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन समेत कांग्रेस के नेता भी मौजूद थे।
राज कमल झा इससे पहले भी सत्ता के सामने झुकने वाले पत्रकारों को व्यंग्यात्मक रूप में कटाक्ष करते रहे हैं। 2014 में जब बीजेपी केंद्र की सत्ता में आई थी तब भी उनकी इसी अवॉर्ड समारोह की स्पीच काफी चर्चित हुई थी। उस वक्त पत्रकारों में पीएम मोदी के साथ सेल्फी लेने की होड़ मची थी, इसी को लेकर उन्होंने पत्रकारों पर अपने चिर परिचित अंदाज में व्यंग्य बाण चलाए थे।
राज कमल झा की वायरल स्पीच यहां सुन सकते हैं।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने लोकतांत्रिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिया था मीडिया की स्वतंत्रता पर जोर
इसी कार्यक्रम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि देश को लोकतांत्रिक बने रहने के लिए प्रेस को स्वतंत्र रहना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मीडिया राज्य की अवधारणा में चौथा स्तंभ है। लोकतंत्र का अभिन्न अंग है। एक स्वस्थ लोकतंत्र को एक ऐसी संस्था के रूप में पत्रकारिता के विकास को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वह प्रतिष्ठान से सवाल कर सके या जैसा आम तौर पर कहा जाता है कि सत्ता से सवाल कर सके। अगर प्रेस को सच बोलने से रोका जाता है तो लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता होता है। किसी देश में लोकतंत्र बना रहे, इसके लिए प्रेस को आजाद होना चाहिए।
सीजेआई की पूरी स्पीच यहां पढ़ सकते हैं।
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