डॉक्टरों को लड़की सप्लाई... बयान पर IMA ने PM से कहा- सबूत दो या माफी मांगो

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 16, 2020
देश में डॉक्टरों के सबसे बड़े संगठन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री के उस कथित बयान पर सफाई मांगी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि दवा कंपनियां डॉक्टरों को रिश्वत के रूप में लड़कियां सप्लाई करती हैं।



इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक कथित बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। डॉक्टरों के इस संगठन ने मांग की है कि प्रधानमंत्री या तो अपने बयान के समर्थन में तथ्य पेश करें या माफी मांगें। 

आईएमए ने एक बयान में कहा है, ''मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान में कहा है कि बड़ी दवा कंपनियों ने डॉक्टरों को रिश्वत की रूप में लड़कियां उपलब्ध कराई हैं। अगर प्रधानमंत्री ने ऐसा कहा है तो आईएमए इस पर कड़ी आपत्ति जताता है।''

इस महीने के शुरू में दवा कंपनियों के साथ हुई बैठक में प्रधानमंत्री ने कथित तौर पर एथिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस का उल्लेख किया था।

आईएमए का बयान
आईएमए ने अपना बयान मंगलवार को जारी किया। इसमें कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी उन आरोपों को साबित करें या माफी मांगें, जिसमें उन्होंने कहा था कि शीर्ष दवा कंपनियों ने डॉक्टरों को रिश्वत के तौर पर लड़कियां उपलब्ध कराईं। आईएमए ने कहा है कि अगर प्रधानमंत्री अपनी बात साबित नहीं कर पाते हैं, तो उन्हें माफी मांगनी चाहिए।

आईएमए ने प्रधानमंत्री कार्यालय से यह भी जानना चाहा है कि इस तरह की कोई बैठक हुई भी या नहीं।

आईएमए देश में काम कर रहे डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था है, साढ़े तीन लाख डॉक्टर इसके सदस्य हैं। इस बयान को लेकर 'एशियाविल हिंदी' ने जब आईएमए की बेवसाइट पर दिए नंबर xxxx0009, +91-xxxx116375 पर संपर्क किया तो उधर से इस बयान पर प्रतिक्रिया देने के लिए कोई उपलब्ध नहीं हुआ।

कंपनियों को नैतिकता की नसीहत

मीडिया में आई खबरों में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा था कि शीर्ष दवा कंपनियां नैतिक मापदंडों का पालन करें और डॉक्टरों को रिश्वत के रूप में न लड़कियां उपलब्ध कराएं न विदेशी दौरे करवाएं न गैजेट्स दें।

खबरों के मुताबिक बैठक में जाइडस कैडिला, टॉरेंट फार्मास्यूटिकल्स और वुकहार्ड्ट जैसी कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। यह बैठक 2 जनवरी को नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। 

आईएमए ने हालांकि अपने बयान में इन आरोपों पर तो कुछ नहीं कहा है कि दवा कंपनियां डॉक्टरों को घूस के रूप में उन्हें विदेशी दौरों पर भेजती हैं, महंगे स्मार्टफोन देती हैं और अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में भाग लेने के लिए भेजती हैं। लेकिन आईएमए ने उन कंपनियों का ब्योरा मांगा है, जो डॉक्टरों को लड़कियां सप्लाई करती हैं।  

आईएमए ने बयान में कहा है, ''इसके अलावा यह भी जरूरी है कि दोषी पाए गए डॉक्टरों के नाम भी जारी किए जाएं। अगर डॉक्टरों को नैतिक रूप से दोषी ठहराया गया है तो, राज्यों के चिकित्सा परिषदों को उचित कार्रवाई शुरू करनी चाहिए।"



एनजीओ की रिपोर्ट
खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री की दवा कपंनियों के साथ हुई बैठक में सपोर्ट फार एडवोकेशी एंड ट्रेनिंग टू हेल्थ (SATHI) नाम के एक गैर सरकारी संगठन (NGO) की एक रिपोर्ट पेश की गई। इसमें कहा गया है कि मेडिकल रिप्रजेंटेटिव डॉक्टरों को विदेश यात्रा, महंगे स्मार्टफोन, अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में जाने की व्यवस्था करते हैं, यहां तक की वे लड़कियों की भी व्यवस्था करते हैं।

खबरों के मुताबिक इस तरह की यह दूसरी बैठक थी, जिसमें सरकार ने दवा कंपनियों को डॉक्टरों को प्रलोभन देने को लेकर चेताया। इस तरह की पहली बैठक बीते साल 23 दिसंबर को हुई थी। इसकी अध्यक्षता औषधि विभाग के सचिव पीडी वाघेला ने की थी। इस बैठक में सरकार ने दवा कंपनियों को हिदायत दी थी कि वो दवाओं और मेडिकल उपकरणों की मार्केटिंग के नियमों का सख्ती से पालन करें।

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