किसान आंदोलन के बीच खाद की कीमतों में 58% तक इजाफा, IFFCO ने दिया झटका

Written by sabrang india | Published on: April 9, 2021
नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार की ओर से पारित तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ बीते 130 से ज्यादा दिनों से आंदोलन जारी है। लेकिन इस बीच अन्नदाताओं को एक बड़ा झटका लगने की खबर भी सामने आ रही है। खबरों के मुताबिक देश के सबसे बड़े खाद विक्रेता इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव (IFFCO) ने उर्वरकों की कीमतों में बड़ा इजाफा कर दिया है। 



खबरों के मुताबिक डाई-अमोनियम फासफेट (डीएपी) का 50 किलो वाले बैग की कीमत में 58 फीसदी की वृद्धि की गई है। पहले यह 1200 रुपए में मिलता था तो किसानों को अब 1900 रुपए चुकाने होंगे। देश में यूरिया के बाद किसान सबसे अधिक डाई-अमोनियम फासफेट का ही इस्तेमाल करते हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, IFFCO ने उर्वरकों के विभिन्न मिश्रण NPKS (नाइट्रोजन, फासफोरस, पोटाश और सल्फर) की एमआरपी में भी इजाफा कर दिया है। 10:26:26 की कीमत 1,175 रुपए से बढ़ाकर 1,775 रुपए कर दी गई है तो 12:32:16 के लिए अब 1,185 की बजाय 1,800 रुपए देने होंगे। वहीं, 20:20:0:13 के मिश्रण वाले 50 किलो के बैग के लिए अब 925 की जगह 1350 रुपए खर्च करने होंगे। नई कीमतें 1 अप्रैल से लागू हो गई हैं। 

इफको (IFFCO)के एक प्रवक्ता ने कहा कि गैर-यूरिया उर्वरकों की कीमतें पहले से ही नियंत्रण मुक्त हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोऑपरेटिव के फैसले का किसी राजनीतिक दल या सरकार से लेनादेना नहीं है। उन्होंने बताया कि कीमतों में यह तेजी मुख्य तौर पर अंतरराष्ट्रीय बाजार की वजह से है। पिछले 5-6 महीनों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनकी कीमतें तेजी से बढ़ी हैं।

अक्टूबर में जहां डीएपी के आयात के लिए प्रति टन 29,845 रुपए खर्च करने पड़ते थे वहीं अब उसकी कीमत बढ़कर 40,290 प्रति टन हो गई है। इसी तरह अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमोनिया की कीमत प्रति टन 20891 रुपए से बढ़कर 37,306 रुपए हो गई है। सल्फर की कीमत 6,342 रुपए प्रति टन से बढ़कर 16,414 रुपए प्रति टन हो गई है। इस दौरान यूरिया और पोटाश की कीमतें भी काफी बढ़ गई हैं। प्रति टन यूरिया की कीमत 20,518 रुपए से बढ़कर 28352 रुपए हो गई है।  

पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस की कीमतों में तेजी के बीच खाद की कीमतों में इजाफे का राजनीतिक और आर्थिक असर हो सकता है। खाद की कीमतों में वृद्धि ऐसे समय पर की गई है जब पश्चिम बंगाल में चुनाव चल रहे हैं और केंद्र की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी यहां किसानों को अपने पाले में करने में जुटी है। दूसरी तरफ दिल्ली की सीमाओं पर किसान लंबे समय से विरोध प्रदर्शन में जुटे हैं। किसान केंद्र सरकार के 3 कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं।

कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि खाद की कीमतों में वृद्धि का असर सिर्फ किसानों पर नहीं होगा, बल्कि खेती में लागत बढ़ने से अनाज और सब्जियों की कीमतें भी बढ़ेंगी। खाद की कीमतें बढ़ने से मोदी सरकार पर अनाजों की एमएसपी बढ़ाने का दबाव भी बढ़ेगा। 
 

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