187 दिन से प्रदर्शन कर रहे दलित समाज के सैकड़ों लोगों ने किया धर्म परिवर्तन

Written by Sabrangindia Staff | Published on: August 16, 2018
बुधवार को जब देश आजादी की 72वीं वर्षगांठ मना रहा था तभी हरियाणा की खट्टर सरकार से नाराज चल रहे दलितों ने हिंदू धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया. हरियाणा के जींद में उपायुक्त के आवास से कुछ ही दूरी पर सैकड़ों दलितों ने धर्म परिवर्तन किया. इन लोगों ने बौद्ध भिक्षुओं से दीक्षा लेकर सामूहिक रूप से बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन किया.



दलित नेता दिनेश खापड़ का कहना है कि विभिन्न मांगों को लेकर दलित समाज के लोग करीब 6 महीने से धरने पर बैठे हैं, लेकिन सरकार उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रही. खापड़ का कहना है कि वे सरकार से कोई नई मांग नहीं मांग रहे, बल्कि, वे उन्हें पूरा करने की मांग कर रहे हैं, जिनके बारे में सरकार पहले ही पूरा करने की घोषणा कर चुकी है.

उन्होने कहा कि सरकार करीब 30 फीसदी छोटी-छोटी मांगों को तो मान चुकी है, लेकिन जो बड़ी-बड़ी मांगें हैं, वे अभी भी अधर में लटकी पड़ी हैं. प्रदेश में कई दलित परिवार की लड़कियों-महिलाओं के साथ हुए गैंगरेप मामलों में सीबीआई जांच कार्रवाई जानी बाकी है, उनके परिवारों को नौकरी दी जानी बाकी हैं, उनके परिवारों को सुरक्षा दी जानी बाकी हैं. कई दलित शहीदों के स्मारक बनाने, शहीदों के घरवालों को नौकरी देने की मांग बाकी है.

खापड़ का कहना है कि इन सब मांगों को लेकर कईं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया जा चुका है लेकिन सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है. दो माह पहले भी जब सरकार ने मांगे नहीं मानीं तो 120 दलितों को मजबूर होकर दिल्ली के लद्दाख बुद्ध भवन में जाकर बौद्ध धर्म अपनाना पड़ा था. अब एक बार फिर दलित बौद्ध धर्म अपनाने पर मजबूर हैं.

खापड़ का कहना है कि सरकार को कई दिन पहले ही यह चेतावनी दे दी गई कि अगर 15 अगस्त से पहले पहले सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो एक हजार से ज्यादा दलित 15 अगस्त को आजादी के दिन हिन्दू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने पर मजबूर होंगे. खापड़ का कहना है कि अभी तक सरकार की तरफ से कोई संदेश उन्हें नहीं मिला है. ऐसे में धर्म परिवर्तन किया गया है.

इस मामले पर प्रदेश के कृषि मंत्री ओपी धनखड़ ने कहा कि धर्म जीवन से बड़ा होता है और मांगों के लिए कभी भी धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहिए. उन्होंने कहा कि दलित समाज की क्या मांगें है, उनके संज्ञान में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मांगों के लिए धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहिए. क्योंकि मांगें तो बदलती रहती हैं.

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