Hate Watch: क्या विहिप प्रमुख ने भारतीय मुसलमानों को "चौथे चरण का कैंसर" कहा?

Written by Sabrangindia Staff | Published on: December 14, 2021
रवींद्र नारायण सिंह ने कहा कि विभाजन एक 'कैंसर' था अब अपने 'चौथे चरण' में है, यहां 'गंगा-जमुनी तहज़ीब जैसी कोई चीज़ नहीं थी'


 
हेट स्पीच एक 'शिक्षित राय' लग सकती है क्योंकि विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अध्यक्ष रवींद्र नारायण सिंह जो कि एक आर्थोपेडिक सर्जन हैं उन्होंने कहा कि विभाजन एक कैंसर था जो अब अपने चौथे चरण में है। इस पर मीडिया द्वारा स्पष्ट रूप से पूछे जाने पर कि क्या वह भारत में मुसलमानों को कैंसर बता रहे थे तो उन्होंने तुरंत इसकी 'व्याख्या' करते हुए कहा, "मैं एक डॉक्टर हूं। तो मैं आपको सिर्फ एक उदाहरण दे रहा था। इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने उन्हें कैंसर कहा।"
 
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने दावा किया कि वह भारत के विभाजन और पाकिस्तान के निर्माण को लेकर बोल रहे थे जिसमें उन्होंने इस "कैंसर" को हटाने के लिए एक सर्जरी की आवश्यकता बताया। हालांकि, विभाजन के बाद किसने या किस समुदाय ने भारत में रहना पसंद किया, इसका निहितार्थ सभी के लिए स्पष्ट है। सिंह के अनुसार, यह "कैंसर" स्वतंत्र भारत में "चौथे चरण" में पहुंच गया है और अब "कीमोथेरेपी" की आवश्यकता है।
 
स्पष्ट है कि उनके लिए मुसलमान = "कैंसर"!
 
सिंह महाराष्ट्र के नागपुर में नए विहिप भवन की नींव रखने के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। सिंह के अनुसार, “जब धर्म के आधार पर भारत का विभाजन हुआ, तो हमने मुसलमानों के लिए एक अलग भूमि दी थी। ये समझिए कि हम अपने देश से कैंसर को निकलना चाहते थे। लेकिन, दुर्भाग्य से, यह सफल नहीं हुआ। कुछ मुस्लिम भाई भारत में ही रह गए। हमने उन्हें 'वसुधैव कुटुम्बकम' और 'अतिथि देवो भव' की हिंदू परंपरा के अनुसार उदारता के साथ स्वीकार किया।
 
हालांकि, यह कहना एक एहसान प्रतीत होता है कि भारतीय मुसलमानों को अपने देश में रहने की 'अनुमति' दी गई। सिंह ने यह भी संकेत दिया कि भारतीय मुसलमानों को भारत के समरूप विचार के साथ यहां 'विलय' होना चाहिए, और जो नहीं करेंगे उन्हें 'समरूप नदी' में 'विघटित' किया जाएगा। उन्होंने कहा, 'इसका मतलब यह नहीं है कि हमें 20 करोड़ मुसलमानों से छुटकारा मिल जाए। आप उन्हें देश छोड़ने के लिए नहीं कह सकते। मैं बस इतना कह रहा हूं कि मुसलमानों को हमारे साथ रहना चाहिए, जैसे कई नदियां गंगा में विलीन हो जाती हैं और फिर एक साथ गंगा के रूप में बहती हैं। गंगा-जमुनी तहजीब जैसी कोई चीज नहीं है। मैं यह नहीं कहूंगा कि हमसे जो टकराएगा वो चूर हो जाएगा। मैं कहूंगा कि जो हमसे टकराएगा, वो हम में विलीन हो जाएगा।
 
'शरीर' को बचाने और इस 'कैंसर/बीमारी' को खत्म करने के लिए इलाज जरूरी
IE के अनुसार, उन्होंने कहा कि यह 'कैंसर' आजादी के बाद से सात दशकों में बढ़ा है, "हम इस बात को भूल गए कि कैंसर धीरे-धीरे बढ़ता है। आज 70 साल में वो चौथे चरण में आ कर हमारे पूरे शरीर में फैल चुका है। क्या कैंसर को हटाने के लिए अब हमारे पास बहुत ज्यादा विकल्प नहीं है। अब इसे मिटाने के लिए हमें कीमोथेरेपी की व्यवस्था करनी है। ऐसा ट्रीट करना है कि जिससे शरीर भी बचा रहे और बीमार भी खतम हो। 
 
सिंह ने कहा, 'मुस्लिम आबादी बढ़ रही है' और "हिंदू कमजोर हो रहे हैं" और कहा, "इस उपचार के लिए, हमें मजबूत बनना होगा। हमने देखा है कि पिछले 50 वर्षों में हिंदू दो मुख्य कारणों से कमजोर हुए हैं। जनसंख्या नियंत्रण की कमी के कारण हिंदुओं और मुसलमानों की आबादी के बीच असमानता बढ़ी है। अगर आपके पास 40 लाख रुपये की इमारत है, तो उनके पास 40 वोट हैं और उसके कारण समीकरण बदल जाते हैं। इससे हमारी राजनीतिक स्थिति भी कमजोर होती है।"
 
इस्लामोफोबिक ड्राइव 
सिंह ने मुसलमानों पर "उम्माह में विश्वास करने का आरोप लगाया, जहां उनके पास एक राष्ट्र की अवधारणा नहीं है और इसलिए उनके पास राष्ट्रवाद की अवधारणा नहीं है। उनका मानना ​​है कि पूरी दुनिया एक धर्म की होनी चाहिए।"
 
उन्होंने कहा कि यह खुद को बचाने के लिए है, कि "इसका मतलब यह नहीं है कि हमें 20 करोड़ मुसलमानों से छुटकारा मिल जाए। आप उन्हें देश छोड़ने के लिए नहीं कह सकते। मैं बस इतना कह रहा हूं कि मुसलमानों को हमारे साथ रहना चाहिए, जैसे कई नदियां गंगा में विलीन हो जाती हैं और फिर एक साथ गंगा के रूप में बहती हैं।”

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