हटाई गई एससी-एसटी छात्रों के लिए बायोमैट्रिक अटेंडेस की व्यवस्था

Written by महेंद्र नारायण सिंह यादव | Published on: September 8, 2016
पंजाब के जगराँव में अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था लागू करने वाले कॉलेज लाला लाजपत राय डीएवी कॉलेज ने छात्रों के विरोध-प्रदर्शन के बाद ये व्यवस्था हटा ली है।


Students speak to the media in Yamunanagar on Wednesday. Image: Tribune
अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्र-छात्राओं का कहना है कि इस भेदभाव वाली व्यवस्था लागू करने के लिए प्राचार्य के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई होनी चाहिए।

लाला लाजपत राय डीएवी कॉलेज ने एससी और एसटी के छात्र-छात्राओं के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था लागू करते समय तर्क दिया था कि ऐसा उन्हें उपस्थिति के आधार पर छात्रवृत्ति देने के लिए किया गया है। प्राचार्य का कहना है कि राज्य उच्च शिक्षा विभाग से मिले पत्र के आधार पर ही ये व्यवस्था लागू की गई थी जिसे विरोध के बाद हटा लिया गया है।

उधर नाराज छात्र-छात्राओं का कहना है कि केवल एससी और एसटी के छात्र-छात्राओं के लिए बायोमेट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था लागू करना न केवल भेदभावकारी है, बल्कि अपमानजनक भी है।

छात्रवृत्ति सहायक निदेशक सरिता चोपड़ा ने भी कहा है कि हमने केवल एससी-एसटी छात्रों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस के लिए अलग से कोई आदेश जारी नहीं किया है।

प्राचार्य डॉ करण शर्मा ने इस बारे में डायरेक्टरेट ऑफ पब्लिक इंस्ट्रक्शंस को पत्र लिखा है और बायो-मेट्रिक सिस्टम के बारे में स्पष्ट निर्देश देने का अनुरोध किय है।
 
पंजाब छात्र संघ के राज्य सचिव करमजीत सिंह ने भी कहा है कि आदेश में कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि बायोमैट्रिक मशीन अनुसूचित जाति और जनजाति लोगों के लिए है, तो फिर ये मशीनें सिर्फ दलित छात्रों के लिए ही क्यों लगाई गई हैं? उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के जरिए तीन सालों में एक रूपया भी नहीं मिला है, फिर भी अब 90 प्रतिशत अटेंडेंस नियम लागू कर दिया गया।

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