नई किताबें हो रहीं रद्दी, पुरानी किताबें पढ़ रहे छात्र

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: October 24, 2018
विधानसभा चुनाव वाले राज्य छत्तीसगढ़ में सरकार अब चुनाव प्रचार में व्यस्त है और छात्र-छात्राओं की परवाह करने वाला अब कोई नहीं बचा है।

Books

हालात ये हो गए हैं कि कवर्धा के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के छात्रों को नए सिलेबस की किताबें तक नहीं मिल पा रही हैं।

लाइब्रेरी है तो ज़रूर और उसमें हर साल लाखों रुपए की किताबें खरीदी जाती हैं, लेकिन बदइंतजामी ऐसी है कि ये खरीदी गई किताबें रद्दी होती जा रही हैं और छात्र-छात्राओं को पुराने सिलेबस की किताबें पढ़कर इस साल की तैयारी करनी पड़ रही है।

इस पीजी कॉलेज में एक बड़े भवन में सेंट्रल लाइब्रेरी है, लेकिन फिर भी किताबें रखने की जगह नहीं है। किताबों की संख्या ज्यादा होने के कारण अलमारियों की कमी पड़ रही है। किताबें ऐसे ही जमीन पर रख दी जाती हैं, जिससे वो जल्द ही खराब होने लगती हैं।

सही तरतीब से न रखे होने के कारण इनका वितरण भी नहीं हो पाता है और छात्रों को लगातार पुरानी किताबें ही थमा दी जाती हैं, जो कि अब सिलेबस से बाहर हो चुकी हैं।

ये सब बदइंतजामी तब है जबकि छात्रों से लाइब्रेरी फीस भी ली जाती है लेकिन छात्रों को उनक जरूरत की किताबें नहीं मिल पाती हैं।

पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, खुद प्राचार्य का मानना है कि जगह की कमी के कारण किताबों की छंटनी नहीं हो पाती है, और इसी कारण से वो छात्र-छात्राओं को उपलब्ध भी नहीं कराई जाती हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं की मजबूरी है कि वे बाजार से प्रश्नोत्तरी किताबें पढ़कर ही परीक्षा दें।

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