काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह का सोना छह महीने में पीतल हो गया: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा आरोप

Written by विजय विनीत | Published on: July 26, 2024
उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर से सोने की चोरी का मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि ज्योतिर्मय मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने काशी  विश्वनाथ मंदिर में सोना घोटाले का सवाल उठाकर डबल इंजन की सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। शंकराचार्य ने सवाल उठाया है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में कैसा सोना लगाया गया, जो फकत छह महीने में ही पीतल हो गया। अविमुक्तेश्वरानंद जी के बयान से सियासत एक बार फिर गरमा गई है।


काशी विश्वनाथ मंदिर, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, तस्वीर साभार- Rashtrabaan

ज्योतिर्मय मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने दिल्ली में एक निजी मीडिया हाउस से बात करते हुए कहा, "सिर्फ बाबा केदारनाथ धाम में ही नहीं, बाबा विश्वनाथ के मंदिर में भी सोना घोटाला हुआ है। इन मंदिरों के अलावा कई और धार्मिक स्थलों पर सोने का गोलमाल किया गया है। काशी विश्वनाथ के गर्भगृह में आखिर कैसा सोना लगाया गया तो कुछ ही दिनों में पीतल हो गया। भगवान के साथ अगर छल हुआ है, तो यह रहस्य सामने आना चाहिए।"
 
मंदिरों में लगा नकली सोना
  
करीब 11 दिन पहले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज ने उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर से करीब 228 किलो सोना चोरी होने का दावा किया था। वह अभी भी अपने दावे पर कायम हैं। शंकराचार्य कहते  हैं, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में अभी एक शब्द भी नहीं बोला है,  लेकिन एक वक्त आएगा, जब उन्हें बोलना ही पड़ेगा। बात सिर्फ केदारनाथ मंदिर की नहीं,  हमारा सवाल काशी विश्वनाथ मंदिर से भी जुड़ा है। इस मंदिर में सोना मढ़ने के नाम पर बड़े पैमाने पर घपला किया गया है। नकली सोना लगाया गया है। और भी कई मंदिरों में इस तरह से सोना लगाया गया है। अब तो बात बहुत आगे बढ़ गई है।"


काशी विश्वनाथ मंदिर में पीएम मोदी

काशी को शिव की नगरी के रूप में जाना जाता है। बनारस मौजूदा समय में उत्‍तर प्रदेश राज्‍य का एक जिला है, जिसका आधिकारिक नाम वाराणसी है। यह एशिया का सबसे प्राचीन शहर है। यह दुनिया में इकलौता शहर है जहां सर्वाधिक शिव मंदिर हैं। यहां शिव की स्‍तुति और पूजा-अर्चना के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर सबसे प्रसिद्ध देवालय है। यह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख स्थान रखता है। यहां बाबा विश्वनाथ का भव्‍य विशाल मंदिर है, जिसे ‘काशी विश्वनाथ मंदिर’ के नाम से पहचाना जाता है।

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कहते हैं, "यह मंदिरों के साथ कैसा मजाक हो रहा है कि कोई व्यक्ति अचानक सामने आता है और वो सभी मंदिरों में जाकर सोना मढ़ देता है। हमारे राजा रणजीत सिंह ने काशी विश्वनाथ मंदिर शिखर के ऊपर सोना मढ़वाया था। न जाने कितने साल हो गए? धूप लग रही है, ताप लग रही है लेकिन उस सोने की चमक कम नहीं हो रही है। छह महीने पहले गर्भगृह में लगे सोने की चमक आखिर कैसे गायब हो गई? हम इसकी जांच की मांग कर रहे हैं तो हमें ही आरोपी बनाकर बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। भगवान के साथ अगर कहीं छल हुआ है, तो उसे सामने आना चाहिए। शासन-प्रशासन का ध्यान आकृष्ट  करने के बावजूद किसी सरकारी एजेंसी को जांच नहीं सौंपी जा रही है।"


विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोने की सीट लगने के बाद रुद्राभिषेक करने पहुंचे पीएम मोदी
 
सोने की चमक पहले जैसी

 
काशी विश्वनाथ धाम मंदिर के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी विश्वभूषण मिश्रा ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के सवालों को सिरे से खारिज कर दिया है। वह कहते हैं, "स्वामी जी, हाल के दिनों में मंदिर नहीं आए हैं। वह सनातन धर्म के श्रेष्ठ गुरु हैं। हो सकता है कि उनको दिव्य दृष्टि से पता चला हो। पांचों वक्त की आरती में इन दीवारों पर कालिख भी लगती है। साफ करने पर पहले की तरह सोना चमकने लगता है। सोने की चादरों में कोई क्षरण नहीं आया है। अभी तक कोई शिकायत भी नहीं आई है। ये पहली बार है, जब कोई ऐसा कह रहा है।"

मार्च 2022 में बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोना मढ़ा गया था। यह सोना एक श्रद्धालु ने दान में दिया था, जिसका नाम आज तक उजागर नहीं किया गया। साथ ही उस कंपनी का नाम भी नहीं बताया गया जिसने गर्भगृह में सोना मढ़ने का ठेका लिया था। सोना मढ़ने वाले ठेकेदार को कोई गुजराती बता रहा तो कोई दिल्ली की कंपनी बता रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट ने आज तक इस राज को नहीं खोला है। इतना जरूर है कि मंदिर की दीवारों को सोने से मढ़े जाने के बाद सबसे पहले पीएम मोदी काशी विश्वनाथ मंदिर में अभिषेक के लिए पहुंचे थे।


काशी विश्वनाथ परिसर में रात का नजारा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर करीब 37 किलो सोना लगाया गया है। करीब 30 घंटे तक काम करने के बाद दीवारों पर सोने की परत चढ़ा दी गई थी। इस काम के लिए 10 सदस्यीय कारीगरों की टीम तैयार की गई थी। बताया जा रहा है कि ज्वैलरी बनाने वाली दिल्ली की एक संस्था ने सुरक्षा घेरे के बीच सोने की प्लेटों को ट्रक से मंदिर पहुंचाया था।

मंदिर प्रशासन के मुताबिक काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह की भीतरी दीवारों को स्वर्ण मंडित करने में 37 किलो सोना लगाया गया। काशी विश्‍वनाथ मंदिर की बाहरी और भीतरी दीवारों पर अब तक 60 किलो सोने की परत चढ़ाई जा चुकी है। जमीन से आठ फीट की ऊंचाई तक सोना लगाया गया है। गर्भगृह के अंदर की स्‍वर्णजडि़त दीवारों पर पारदर्शी फाइबर भी लगा दिया गया है। ऐसा इसे गंदगी और धुआं से बचाने के लिए किया गया है। इस फाइबर शीट को हटाया भी जा सकता है।

उल्लेखनीय है कि साल 1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने मंदिर का निर्माण कराया था। बाद में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने शाह शुजाउद्दौला से युद्ध में जीते गए सोने के एक तिहाई भाग को बाबा के दरबार में अर्पित किया था। उसी समय काशी विश्वनाथ के दो शिखर स्वर्ण मंडित किए गए थे।
 
कथित घोटाले से गरमाई सियासत
 
बनारस के काशी विश्वनाथ मंदिर में सोना मढ़ने के नाम पर हुए कथित घोटाले से सियासत गरमा गई है। विपक्ष के नेताओं ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए इस कथित घपले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग उठाई है। सबरंग इंडिया ने काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत राजेंद्र तिवारी से बात की तो उन्होंने शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के दावे को सौ फीसदी सच बताया। बोले, "विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में सोना शीट लगाने पर सबसे पहले हमने सवाल खड़ा किया था। हमने तो पहले ही बता दिया था कि वो सोना नहीं था। गर्भगृह में जो शीट लगाई गई है वो सोने की नहीं, बल्कि तांबे पर सोने की पॉलिस की गई है। दक्षिण भारत के रेड्डी परिवार ने गर्भगृह में सोना लगाने के लिए दान दिया था। ठेका गुजरात मूल की एक कंपनी को दिया गया था, जिसका दफ्तर दिल्ली में है। उसी कंपनी ने तांबे की प्लेट पर सोने का पानी चढ़ा दिया। जब यात्रियों के घर्षण से नकली सोने की कलई खुलने लगी तो उस पर चौतरफा प्लास्टिक की प्लेट लगा दी गई।"


मंदिर की फोटो लेते श्रद्धालु

"शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने गर्भगृह में सोना घोटाले का मामला उठाया तो सत्ता से जुड़े तमाम अंधभक्त और नकली बाबा ठेकेदार के बचाव में जुट गए। मंदिर में सोने की शीट लगाने में घपले की जांच के साथ उन बाबाओं की जांच भी होनी चाहिए जो ठेकेदार को बचाने के लिए उनकी पैरवी कर रहे हैं। विश्वनाथ मंदिर में अरबों रुपये के सोने का घपला हुआ है। विश्वनाथ मंदिर में पहले कॉरिडोर के निर्माण में घपला हुआ और अब गर्भगृह में सोने की शीट लगाने में गोलमाल सामने आया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने तो पहले ही कह दिया था कि मुगल शासक औरंगजेब के बाद सबसे ज्यादा देव विग्रहों को तोड़ने का काम मोदी सरकार ने किया है। चाहे वो बनारस हो या फिर अयोध्या।"

पूर्व महंत राजेंद्र यह भी कहते हैं, "सत्ता में बैठे कुछ लोगों के लिए मंदिर अब इनका धार्मिक व्यवसाय है, आस्था नहीं। देश की आस्था का ये बाजारीकरण कर रहे हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर को इन्होंने मॉल बना दिया है। बाबा को धन कमाने का जरिया बना दिया है। बनारस में लूट का नग्न तांडव चल रहा है। वीआईपी के चलते पूरा बनारस जाम झेल रहा है। काशी विश्वनाथ मंदिर अब सरकारी दफ्तर में तब्दील हो गया है। वहां पीआरओ की नियुक्ति में भी घपले दर घपले किए गए हैं। जजों, नेताओं और अफसरों को दर्शन कराने के लिए अलग-अलग पीआरओ की तैनाती की गई है। इससे शर्मनाक बात और क्या होगी? मंदिरों में घोटाला, आस्था के बाजारीकरण का नतीजा है।"


विश्वनाथ मंदिर में सालों पहले चढ़े सोने की चमक आज तक बरकरार है
 
केदारनाथ में भी करोड़ों का घपला
 
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी ने कुछ रोज पहले एक बयान जारी कर कहा था कि केदारनाथ मंदिर बड़े पैमाने पर सोने की चोरी की गई है और इस चोरी का पर्दाफाश होना जरूरी है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा था, "केदारनाथ मंदिर से सोना कहां चला गया, इसका अभी तक पता नहीं चल पाया है?  हमारे धर्म स्थानों पर नेताओं का प्रभुत्व बढ़ता जा रहा है। केदारनाथ धाम से 228 किलो सोना गायब कर दिया गया और आज तक जांच नहीं हुई। आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार है? अब वहां घोटाला कर लिया तो वो अब दिल्ली में मंदिर बनाएंगे? वहां दूसरा घोटाला करेंगे? हम यह बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं।"

शंकराचार्य के इस बयान पर केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को संत के रूप में बने रहने की नसीहत दी। साथ ही यह भी कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद कांग्रेस के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। अगर वह खुद को संत कहते हैं तो उस पद की गरिमा बनाए रखें। यदि उन्हें किसी तरह का संशय है तो वह न्यायालय में जाकर जांच की मांग करें। उन्हें जनता को गुमराह करने के लिए भ्रम फैलाने की जरूरत नहीं है। स्वामी जी को नेताओं की तरह बयानबाजी करने के बजाय जनकल्याण के लिए काम करना चाहिए।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के बयान के बाद दूसरे शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती सरकार के बचाव में उतर आए। केदारनाथ मंदिर से 228 किलो सोना गायब होने के मामले को झूठा करार देते हुए उन्होंने कहा कि भ्रम फैलाया जा रहा है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती पर इशारों में निशाना साधते हुए कहा, "केदारनाथ मंदिर में इतना सोना कभी नहीं था। केदारनाथ मंदिर ट्रस्ट ने भी बता दिया है कि गर्भगृह में तांबे की प्लेट पर सोने की परत चढ़ाई गई है। यह सोना भी दान में मिला था। जो लोग बिना सोचे-समझे और बगैर तथ्यों को जाने बोल रहे हैं, उन्हें इसका सबूत भी देना चाहिए।"

इस बीच, सत्तारूढ़ दल की पैरोकारी करने वाले एक संत गोविंदानंद ने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पर सवाल उठाते हुए कहा है कि वो कैसे संन्यासी हैं जो शादियों में शामिल हो रहे हैं। वह कहते हैं, "अक्टूबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ताजपोशी पर रोक लगा दी थी। यह आदेश तब पारित किया गया जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि पुरी में गोवर्धन मठ के शंकराचार्य ने हलफनामा दायर कर कहा था कि ज्योतिषपीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति का समर्थन नहीं किया गया है। सच यह है कि सोना प्रकरण में कांग्रेस खेल खेल रही है और अविमुक्तेश्वरानंद सिर्फ खिलौना हैं।"

16 जुलाई 2024 को बनारस में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राधिका मर्चेंट और अनंत अंबानी की भव्य शादी में शामिल होने के बारे में मीडिया से पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि उस शादी में मांसाहारी व्यंजन और शराब नहीं परोसी गई। यह शादी संस्कृति और परंपरा का पालन करते हुए आयोजित की गई थी, इसलिए हमने अपना आशीर्वाद देने का फैसला किया था।"
 
घोटाले का इतिहास पुराना
 
काशी विश्वनाथ मंदिर में घपले और घोटालों का बड़ा इतिहास रहा है। मंदिर के कई पुजारी और कर्मचारी धन्नासेठ बन गए हैं। साल 2015 में यह मामला जोर-शोर से उछला था कि काशी विश्वनाथ मंदिर में सोने-चांदी के अलावा नगदी चढ़ावा, भोग, आरती और निर्माण के मद में लूटखसोट से पुजारियों, लिपिकों और सेवादारों ने अरबों रुपये की संपत्ति जुटाई है। मंदिर प्रबंधन से जुड़े तमाम कर्मचारियों की इस कदर तूती बोलती है कि उनको कोई मनचाही जगह से हटा नहीं सकता है। उनमें से कई तो अफसरों की ट्रांसफार, पोस्टिंग की ताकत रखते हैं। सावन में भोग-प्रसाद, आरती की व्यवस्था तो इनके लिए कमाने का खास मौसम होता है। श्रद्धालुओं के दान और चढ़ावे में बंदरबांट का सिलसिला पुराना है।

साल 1983 में विश्वनाथ मंदिर से सोना चोरी हुआ था। उसके बाद मंदिर की सारी व्यवस्था सरकार के नियंत्रण में आ गई थी। देश के तमाम प्रसिद्ध मंदिरों में तो व्यवस्थाएं सुधार ली गईं, लेकिन विश्वनाथ मंदिर की हुंडियों की गिनती में हेराफेरी का सिलसिला थमा नहीं है। 09 फरवरी 2015 को न्यास परिषद की बैठक में दान-चढ़ावा रजिस्टर बनाने का प्रस्ताव पहली बार लाया गया, लेकिन उस पर आज तक अमल नहीं किया गया। मामूली मानदेय पाने वाले मंदिर के कर्मचारियों के पास करोड़ों की संपत्ति कहां से आई, यह सवाल अक्सर उठता रहा है? इसकी शिकायत मिलने पर एक कर्मचारी की संपत्ति की जांच सतर्कता आयोग से कराई गई, जिसमें चौंकाने वाली कई जानकारियां सामने आईं। फिर भी किसी के खिलाफ कोई एक्शन नहीं हो सका।

सूत्र बताते हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर में ऐसे कर्मचारियों और पुजारियों की एक बड़ी फेहरिश्त है जो कुछ ही सालों में धन्नासेठ बन गए हैं। इन्होंने अवैध तरीके से अकूत संपत्ति जुटाई है। मंदिर में दैनिक वेतनभोगी के रूप में बेल पत्ती फेंकने के लिए लगाए गए कर्मचारी ने भी करोड़ों रुपये की जमीन और मकान खरीद लिए हैं। ऐसे कई कर्मचारियों के खिलाफ पूर्व में कराई गई जांच रिपोर्ट जुलाई 2005 में ही निदेशक सर्तकता सीबी राय ने प्रमुख सचिव को भेजी थी, लेकिन यह पत्रावली ही गायब करा दी गई। इसके बाद कई बार मंदिर के उन अर्चकों और कर्मचारियों की संपत्ति की जांच की मांग उठाई गई, लेकिन यह मामला हर बार फाइलों से बाहर निकला ही नहीं।

काशी विश्वनाथ मंदिर के नियमित दर्शनार्थी पंडित वैभव त्रिपाठी कहते हैं, "ज्योतिर्मय मठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद जी महाराज को लगता है कि काशी विश्वनाथ मंदिर में सोना घोटाला हुआ है तो उसकी जांच कराने में हर्ज क्या है?  यह सिर्फ शंकराचार्य का सवाल नहीं, काशी की समूची जनता का सवाल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस के सांसद हैं और उन्हें चाहिए कि वो इस घपले-घोटाले की सीबीआई जांच कराएं। यह करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से जुड़ा सवाल है। कितनी शर्मनाक बात है कि धर्म की आड़ लेकर सियासत करने वाले ही मंदिरों का सोना लूट रहे हैं और कई फर्जी संत इस लूट पर पर्दा डालने के लिए ऊल-जूल बयान दे रहे हैं। इस बात की जांच तो होनी ही चाहिए कि काशी विश्वनाथ मंदिर का सोना पीतल कैसे हो गया? इसी  के साथ काशी विश्वनाथ मंदिर के सभी कर्मचारियों, पुजारियों और सेवादारों की संपत्ति भी जांची जानी चाहिए।"
 
(विजय विनीत बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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