लाल किले की प्राचीर से मोदी की तक़रीर और हकीकत

Written by Girish Malviya | Published on: August 16, 2018
कल 15 अगस्त को मोदी जी ने जो लाल किले की प्राचीर से जो तक़रीर दी है, उसके हिसाब से तो देश प्रगति पथ पर अग्रसर नजर आता है लेकिन वास्तविकता क्या है यह आप आर्थिक जगत से आती खबरों से आप समझ सकते हैं.



रुपया की लगातार गिरती कीमतें

15 अगस्त को जब मोदी जी भारत की अर्थव्यवस्था को दौड़ता हाथी बताने में लगे थे उसके ठीक एक दिन पहले रुपया मे ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई और यह डॉलर के मुकाबले 70.10 के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया. ( कुछ याद आया ' जैसे जैसे रुपये की कीमत गिरती है देश के प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा गिरती हैं - सुषमा स्वराज जी 2013 मे )

व्यापार घाटा 5 साल के शीर्ष पर

लेकिन रुपये का गिरना सिर्फ एक कारक है अन्य कारक भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं देश का व्यापार घाटा 5 वर्षों के उच्चतम बिंदु पर पुहंच गया है वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को जो आंकड़े जारी किए है उससे पता चलता हैं कि व्यापार घाटा कुल 18.02 अरब डॉलर हो गया है, मई 2013 के 11.45 अरब डॉलर के बाद इस महीने में हुआ व्यापार घाटा , सबसे अधिक व्यापार घाटा है.

विदेशी मुद्रा भंडार का कम होना

रुपये में तेज गिरावट पर सरकार ने कहा है कि चिंता की कोई बात नहीं हैं हम अपना फॉरेन रिजर्व बेचकर इसकी पूर्ति कर लेंगे लेकिन यह काम बहुत पहले से ही किया जा रहा है. इसी कारण विदेशी मुद्रा भंडार अप्रैल के 426 अरब डॉलर के रेकॉर्ड उच्च स्तर से लुढ़ककर अगस्त के शुरुआती हफ्ते में 403 अरब डॉलर पर पहुंच गया है अब यदि विदेशी मुद्रा भंडार में से ओर पैसा निकाला गया तो यह अर्थव्यवस्था के लिए खतरनाक माना जाएगा.

बचत खातों मे हर साल कम होती सेविंग्स

इंडिया रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि घरेलू बचत दर वित्त वर्ष 2012 से 2017 के दौरान 23.6 प्रतिशत से गिरकर 16.3 प्रतिशत पर आ गई है ओर ऐसा नोटबंदी और GST के कारण हुआ है विशेषज्ञों का मानना है कि यदि घरेलू बचत दर में तेज गिरावट जारी रहती है तो यह देश की आर्थिक वृद्धि और वृहद आर्थिक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर सकती है.

चालू खाते का घाटा 6 वर्षों में उच्चतम पुहचने  का अनुमान

भारत का करेंट अकाउंट घाटा (सीएडी) साल 2018 की दूसरी तिमाही तक 13.5 बिलियन पहुंच गया है. जो इसी अवधि में पिछले साल के घाटे से 87 फीसदी तक ज्यादा है. बाजार के जानकारों का मानना है कि इस वित्तीय वर्ष में ये घाटा छह सालों के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंचने वाला है 7 महीनों में पहली बार जुलाई में सोने का आयात बढ़ा है, इससे भी राजकोषीय घाटे की स्थिति खराब हुई है.

एविएशन सेक्टर अपने सबसे बुरे दौर में

देश की दो सबसे बड़ी एयरलाइंस कम्पनियां अपना कामकाज बन्द करने की स्थिति में पुहंच चुकी हैं एयर इंडिया की हालत तो यह है कि वह अपने 11 हजार एंप्लॉयीज की सैलरी भी ठीक से बांट नही पा रही है खबर है कि उसने अपनी कर्मचारियों को सैलरी देने में लगातार चौथे महीने देरी की है, एयर इंडिया के करीब एक चौथाई एयरक्राफ्ट बेकार खड़े हैं, क्योंकि उनके स्पेयर पार्ट्स नहीं हैं.

जेट एयरवेज किसी भी दिन अपने आपको दीवालिया घोषित कर सकती है उसके पास सैलरी ओर अन्य खर्चो को मात्र 2 महीना चलाने के लिये पूँजी नही है.

बढ़ता NPA बेहद खतरनाक स्तर पर

यह खबर आर्थिक जगत की सबसे बड़ी खबर है कि कल रिजर्व बैंक ने 200 बड़े कर्ज खातों की निगरानी शुरू कर दी है। बैंक ने इन कर्जों के एवज में संबंधित बैंक द्वारा किए गए प्रावधानों और उनके दबाव के स्तर का आकलन के वास्ते इनकी जांच शुरू की है। इनमें विडियोकॉन, जिंदल स्टील ऐंड पावर समेत कुछ अन्य बड़े खाते शामिल है दरअसल बैंकिंग क्षेत्र का सकल एनपीए बढ़कर 10.3 लाख करोड़ यानी सकल कर्ज का 11.2 प्रतिशत हो गया है पिछले साल 31 मार्च 2017 को यह आंकड़ा 8 लाख करोड़ यानी 9.5 प्रतिशत था.

यह भी कहा जा रहा है कि 3 लाख करोड़ ऐसा है जिसे बैंको ने अब तक NPA नही दर्शाया है यह रकम जब सामने आएगी तो बैंकिंग व्यवस्था के ढहने का संकट और गहरा हो जाएगा.

यह हालत है अर्थव्यवस्था की, जिसे दौड़ता हाथी बताया जा रहा है सच बात तो यह है कि अर्थव्यवस्था के हाथी को मंदी के मगरमच्छ ने पकड़ रखा है.

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