कल रात अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ मुलाकात के दौरान एक ऐसा बयान दिया कि कूटनीति के विशेषज्ञों की रातों की नींद उड़ गयी।
ट्रम्प ने कल कहा कि दो हफ्ते पहले ( G20 देशो के सम्मेलन में ) मैं मोदी से मिला था, उन्होंने पूछा था कि आप कश्मीर पर मध्यस्थता करना चाहेंगे?। ट्रम्प का अगला वाक्य था। 'मुझे लगता है कि भारत मसला सुलझाना चाहता है और आप भी, मुझे मध्यस्थता में खुशी होगी'
अमेरिकी राष्ट्रपति का यह एक ऐसा बयान था जो देश विदेश में फैले करोड़ो भारतीयों को गहरा ज़ख्म दे गया क्योंकि अभी तक भारत पाकिस्तान संबंधों में खासतौर पर कश्मीर विवाद को लेकर हमारा रुख यह है कि इस विवाद को हम आपस में बैठकर सुलझाएंगे किसी तीसरे पक्ष की इसमे कोई भूमिका नही होगी यह बात शिमला समझौते के तहत पाकिस्तान भी स्वीकार कर चुका है।
1974 के बाद पहली बार किसी बड़ी महाशक्ति के प्रमुख ने सार्वजनिक मंच से इतनी बड़ी बात कही है और यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि ट्रम्प ने यह कहा है कि किसी तीसरे पक्ष को शामिल करने की बात मैंने नही कही बल्कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने उनसे अनुरोध किया कि आप कृपा करके इस बातचीत में शामिल हो जाए।
रातोरात विदेश मंत्रालय ने इस बयान का खंडन जारी किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी कोई बात ट्रम्प से नही कही लेकिन यह कोई किसी जिले या छोटे मोटे राज्य की पॉलिटिक्स नही है यह अंतराष्ट्रीय कूटनीति है यहाँ जो भी बाते होती है वह इतनी आसानी से दब नही जाती, एक एक बात का, यहाँ तक कि बॉडी लैंग्वेज तक का गहरा मतलब निकाला जाता है।
भारत के विदेश मंत्रालय के खण्डन किये जाने के बाद आप यह सोच रहे हैं कि ट्रंप आसानी से अपनी बात से पलट जाएंगे ओर बोलेंगे की 'हे हे है मैं तो मजाक कर रहा था' तो माफ कीजिएगा आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं।
पिछली कुछ घटनाओं पर गौर करे तो आप पाएंगे कि ट्रम्प के बड़बोलेपन को बढ़ावा हमने स्वयं दिया है हमने ही उसे सिर पर चढ़ाया है जिसका परिणाम यह है कि वो आज कान में मूतने की गुस्ताखी कर रहा है।
खासतौर से आप याद कीजिए पुलवामा के बाद का घटनाक्रम भारत द्वारा एयर स्ट्राइक करने से ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहते हैं कि इस हमले में करीब 50 जवानों को खोने के बाद 'भारत कुछ बड़ा करने की सोच रहा है' इसके बाद ही भारत ने एयर स्ट्राइक की थी आप क्या सोचते है कि कुछ 'बड़ा करने'की बात का ट्रम्प को इतना सटीक अंदाजा कैसे लग गया होगा।
उस वक्त यह भी खबर आई थी कि अजित डोभाल ने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो से बात की है।
उसके ठीक बाद जब भारतीय पायलट अभिनंदन को पाकिस्तान ने कैद कर लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प उस वक्त उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ वियतनाम में शिखर वार्ता में भाग ले रहे थे वही से उन्होंने बयान जारी कर के कहा कि 'भारत-पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष को लेकर जल्द ही अच्छी खबर आने वाली है' ट्रंप के इस बयान के तुरंत बाद ही पाकिस्तान ने भारतीय पायलट अभिनंदन को रिहा करने का ऐलान कर दिया।
इसी दौरान ट्रम्प ने एक ओर बयान दिया था जिस पर भारत को उसी वक्त आपत्ति लेनी चाहिए थी जिसका दुष्परिणाम आज सामने आया है। ट्रम्प ने उस वक्त ही साफ कर दिया था कि कि इस 'सब में वह मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है'। यह उसका ऑफिशियल बयान था जाहिर है कल रात दिए गए बयान की भूमिका पूरी तरह से पहले ही तैयार कर ली गयी थी ओर हो सकता है कि ट्रम्प ने उस वक्त इमरान खान को तभी कश्मीर पर मध्यस्थता का आश्वासन दे दिया हो।
हमें यह भी ध्यान देना होगा कि ट्रम्प का रुख इस वक्त पाकिस्तान के पक्ष में नजर आ रहा है अफगानिस्तान में तालिबान के साथ चल रहे 17 वर्षो से अधिक संघर्ष को समाप्त करने की कोशिशों में पाकिस्तान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पाकिस्तान ने पिछली बार ही भारत पाक तनाव के मद्देनजर अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका को चेतावनी दे दी थी। उसने कहा कि अगर तनाव बना रहता है तो इस्लामाबाद अफगान शांति वार्ता का समर्थन करने में असमर्थ होगा। यही नहीं पाकिस्तान ने तालिबान के साथ मध्यस्थता नहीं करने की भी धमकी दी थी।
अमेरिका की ट्रम्प सरकार अफगानिस्तान में युद्ध भरा माहौल को समाप्त करने के लिए उत्सुक है। एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 45 बिलियन डॉलर सालाना इसमें खर्च होता है, और वहां तैनात 14,000 अमेरिकी सैनिकों में से अधिकांश या सभी को वो वापस बुलाना चाहता है और अगर पाकिस्तान इसमें अमेरिका का साथ देता है तो ये उसके पक्ष में जा सकता हैं। यानी अमेरिका की भी गोटी वहाँ दबी हुई है।
चीन पहले ही पाकिस्तान का मित्र बना हुआ है ऐसे माहौल में अमेरिका द्वारा कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष के बयान देना भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक असफलता है ।।पता नही! हम कब समझेंगे कि कोई डंका नही बज रहा है बल्कि हम ही अंतराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर पड़ते जा रहे है।
ट्रम्प ने कल कहा कि दो हफ्ते पहले ( G20 देशो के सम्मेलन में ) मैं मोदी से मिला था, उन्होंने पूछा था कि आप कश्मीर पर मध्यस्थता करना चाहेंगे?। ट्रम्प का अगला वाक्य था। 'मुझे लगता है कि भारत मसला सुलझाना चाहता है और आप भी, मुझे मध्यस्थता में खुशी होगी'
अमेरिकी राष्ट्रपति का यह एक ऐसा बयान था जो देश विदेश में फैले करोड़ो भारतीयों को गहरा ज़ख्म दे गया क्योंकि अभी तक भारत पाकिस्तान संबंधों में खासतौर पर कश्मीर विवाद को लेकर हमारा रुख यह है कि इस विवाद को हम आपस में बैठकर सुलझाएंगे किसी तीसरे पक्ष की इसमे कोई भूमिका नही होगी यह बात शिमला समझौते के तहत पाकिस्तान भी स्वीकार कर चुका है।
1974 के बाद पहली बार किसी बड़ी महाशक्ति के प्रमुख ने सार्वजनिक मंच से इतनी बड़ी बात कही है और यह बात इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि ट्रम्प ने यह कहा है कि किसी तीसरे पक्ष को शामिल करने की बात मैंने नही कही बल्कि हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी ने उनसे अनुरोध किया कि आप कृपा करके इस बातचीत में शामिल हो जाए।
रातोरात विदेश मंत्रालय ने इस बयान का खंडन जारी किया कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसी कोई बात ट्रम्प से नही कही लेकिन यह कोई किसी जिले या छोटे मोटे राज्य की पॉलिटिक्स नही है यह अंतराष्ट्रीय कूटनीति है यहाँ जो भी बाते होती है वह इतनी आसानी से दब नही जाती, एक एक बात का, यहाँ तक कि बॉडी लैंग्वेज तक का गहरा मतलब निकाला जाता है।
भारत के विदेश मंत्रालय के खण्डन किये जाने के बाद आप यह सोच रहे हैं कि ट्रंप आसानी से अपनी बात से पलट जाएंगे ओर बोलेंगे की 'हे हे है मैं तो मजाक कर रहा था' तो माफ कीजिएगा आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं।
पिछली कुछ घटनाओं पर गौर करे तो आप पाएंगे कि ट्रम्प के बड़बोलेपन को बढ़ावा हमने स्वयं दिया है हमने ही उसे सिर पर चढ़ाया है जिसका परिणाम यह है कि वो आज कान में मूतने की गुस्ताखी कर रहा है।
खासतौर से आप याद कीजिए पुलवामा के बाद का घटनाक्रम भारत द्वारा एयर स्ट्राइक करने से ठीक पहले अमेरिकी राष्ट्रपति प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहते हैं कि इस हमले में करीब 50 जवानों को खोने के बाद 'भारत कुछ बड़ा करने की सोच रहा है' इसके बाद ही भारत ने एयर स्ट्राइक की थी आप क्या सोचते है कि कुछ 'बड़ा करने'की बात का ट्रम्प को इतना सटीक अंदाजा कैसे लग गया होगा।
उस वक्त यह भी खबर आई थी कि अजित डोभाल ने अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो से बात की है।
उसके ठीक बाद जब भारतीय पायलट अभिनंदन को पाकिस्तान ने कैद कर लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प उस वक्त उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ वियतनाम में शिखर वार्ता में भाग ले रहे थे वही से उन्होंने बयान जारी कर के कहा कि 'भारत-पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष को लेकर जल्द ही अच्छी खबर आने वाली है' ट्रंप के इस बयान के तुरंत बाद ही पाकिस्तान ने भारतीय पायलट अभिनंदन को रिहा करने का ऐलान कर दिया।
इसी दौरान ट्रम्प ने एक ओर बयान दिया था जिस पर भारत को उसी वक्त आपत्ति लेनी चाहिए थी जिसका दुष्परिणाम आज सामने आया है। ट्रम्प ने उस वक्त ही साफ कर दिया था कि कि इस 'सब में वह मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है'। यह उसका ऑफिशियल बयान था जाहिर है कल रात दिए गए बयान की भूमिका पूरी तरह से पहले ही तैयार कर ली गयी थी ओर हो सकता है कि ट्रम्प ने उस वक्त इमरान खान को तभी कश्मीर पर मध्यस्थता का आश्वासन दे दिया हो।
हमें यह भी ध्यान देना होगा कि ट्रम्प का रुख इस वक्त पाकिस्तान के पक्ष में नजर आ रहा है अफगानिस्तान में तालिबान के साथ चल रहे 17 वर्षो से अधिक संघर्ष को समाप्त करने की कोशिशों में पाकिस्तान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। पाकिस्तान ने पिछली बार ही भारत पाक तनाव के मद्देनजर अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका को चेतावनी दे दी थी। उसने कहा कि अगर तनाव बना रहता है तो इस्लामाबाद अफगान शांति वार्ता का समर्थन करने में असमर्थ होगा। यही नहीं पाकिस्तान ने तालिबान के साथ मध्यस्थता नहीं करने की भी धमकी दी थी।
अमेरिका की ट्रम्प सरकार अफगानिस्तान में युद्ध भरा माहौल को समाप्त करने के लिए उत्सुक है। एक रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 45 बिलियन डॉलर सालाना इसमें खर्च होता है, और वहां तैनात 14,000 अमेरिकी सैनिकों में से अधिकांश या सभी को वो वापस बुलाना चाहता है और अगर पाकिस्तान इसमें अमेरिका का साथ देता है तो ये उसके पक्ष में जा सकता हैं। यानी अमेरिका की भी गोटी वहाँ दबी हुई है।
चीन पहले ही पाकिस्तान का मित्र बना हुआ है ऐसे माहौल में अमेरिका द्वारा कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के पक्ष के बयान देना भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक असफलता है ।।पता नही! हम कब समझेंगे कि कोई डंका नही बज रहा है बल्कि हम ही अंतराष्ट्रीय स्तर पर कमजोर पड़ते जा रहे है।