डॉलर के मुकाबले रुपये के बदतर होते हालात मोदी सरकार की बदइंतजामी की गवाही देती है

Written by Girish Malviya | Published on: October 5, 2018
डॉलर के मुकाबले रुपये के बदतर होते हालात, बढ़ती क्रूड ऑयल की कीमतों, ओर दो दिनों में लाखो करोड़ गवाने वाले निवेशकों के अलावा आर्थिक जगत से सम्बंध रखने वाले कुछ ऐसी भी खबरे आयी है जो मोदी सरकार की बदइंतजामी की गवाही देती है.



कल खबर आयी है कि पिछले चार सालों में 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के तीन बड़े बैंकों ने बचत खातों में मिनिमम बैलेंस न रख पाने वाले कस्टमर्स से कुल 11,500 करोड़ रुपये की कमाई की है आखिरकार माल्या ओर नीरव मोदी के घोटालों से डूबी रकम की भरपाई जो करनी है.

दूसरी बड़ी खबर जिसका कही कोई चर्चा नहीं है वह यह है कि इस साल अभी तक सरकार ने रोजगार के तिमाही आंकड़ों को आंकड़ों को जारी नहीं किया हैं, द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, रोजगार के तिमाही आंकड़ों की दो रिपोर्ट अभी तक लंबित हैं। ये रिपोर्ट हर तीसरे महीने प्रकाशित की जाताी है, हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने की बात करने वाली सरकार रोजगार पर खुद अपनी ही रिपोर्ट प्रकाशित करने से डर रही है.

एक खबर ओर है, आपको याद होगा कि 2016 में मोदी सरकार ने काला धन रखने वालों को एक ओर मौका देते हुए एक स्कीम लांच की थी जिसे इनकम डिक्लेरेशन स्कीम (आईडीएस) कहा गया था, दो साल पहले लगाई गई RTI से आज पता चला है कि इस स्कीम में मात्र 65,250 करोड़ रु का काला धन घोषित किया था ओर सरकार को इस स्कीम में लगभग 30 हजार करोड़ ही मिल पाया है.

सबसे बड़ी बात यह है कि देश के इतने सारे राज्यों में से सिर्फ 1 राज्य गुजरात मे इस योजना का 29 प्रतिशत काला धन डिक्लेयर किया गया है गुजराती उद्योगपति ओर व्यापारियों ने वर्ष 2016 में 4 महीने के दौरान 18,000 करोड़ रुपये का कालाधन घोषित किया है, ये वाकई आश्चर्य जनक है कि सिर्फ 1 राज्य गुजरात में ही इतने काले धन वाले छुपे हुए थे.

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