ऑपरेशन कमल: आखिरकार केंद्र की मोदी सरकार किस दिन काम आएंगी

Written by गिरीश मालवीय | Published on: May 19, 2018
येदियुरप्पा का हल्का करके का आँकना गलत होगा वह पहले भी ऐसी ही परिस्थितियों में अपना बहुमत साबित कर चुके हैं आखिर वह इस खेल के पुराने और सबसे अनुभवी खिलाड़ी हैं.



कर्नाटक में 2008 के विधानसभा चुनावों के बाद भी ऐसा ही बंटा हुआ जनादेश हासिल हुआ था तब बीजेपी ने 'ऑपरेशन कमल' के जरिये विधानसभा में बहुमत साबित किया था। वह फिर से वही फॉर्मूला दोहरा सकती है.

'ऑपरेशन कमल' बीजेपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा की एक कुख्यात रणनीति थी. 'ऑपरेशन कमल' के तहत येदियुरप्पा ने विपक्षी पार्टी के विधायकों को पैसे और ताकत के बल पर खरीद लिया था। बीजेपी ने जेडी(एस) और कांग्रेस के 20 विधायकों को तोड़ लिया था, जिसके बाद उन्होंने अपनी विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था और फिर 2008 और 2013 के बीच उपचुनाव में दोबारा चुनाव लड़ा.

अब भी वह साम दाम दंड भेद से यह रास्ता अपना सकते है 2018 की विधानसभा में बीजेपी को सिर्फ 104 सीटें मिली हैं. बीजेपी को तकनीकी रूप से यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कम से कम 5-6 विधायक इस्तीफा दे दें, जिससे बहुमत का जादुई आंकड़ा 106-108 हो जाए और यह सुनिश्चित कर दे कि बीजेपी उम्मीदवार उपचुनाव जीत जाएं,

हालांकि इस बार यह करने के लिए समय बहुत कम है लेकिन एक बात और हैं कि ऐसा जरूरी भी नही है कि कल तक ही यह खेल खेला जाए बाद में आराम से भी इस रणनीति पर काम किया जा सकता है, आखिरकार केंद्र की मोदी सरकार किस दिन काम आएंगी.

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)

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