'यह शर्मनाक हादसा हमारे साथ ही होना था' ?

Written by Girish Malviya | Published on: September 11, 2019
हमे तभी समझ जाना चाहिए था कि कोई गलत व्यक्ति वित्तमंत्री की कुर्सी पर बैठ गया है जब यह महिला लाल साड़ी पहनकर लाल थैली में लाया हुआ बजट पेश करने गयी थी। कल उन्होंने कहा कि ऑटो सेक्टर में मंदी इसलिए आयी है कि लोग आजकल मेट्रो में सफर करना या ओला-ऊबर का उपयोग करना पसंद करते हैं।



यह कमाल का बयान है यह ज्ञान हार्वर्ड बनाम हार्डवर्क से भी उच्चतम है यह सरल सोच का चरम बिंदु है। शायद आपने ध्यान दिया हो टीवी पर एक विज्ञापन आता था किसी बड़ी कम्पनी की AGM चल रही हैं और चेयरमैन बड़ी शान से शान से भाषण दे रहे हैं भाषण खत्म होने के बाद जब क्वेश्चन आवर शुरू होता है तो चेयरमैन एक सरदारजी की तरफ इशारा करते हैं कि तुम पूछो, उनका आशय यह रहता है कि यह क्या पूछेगा! लेकिन सरदारजी उस भरी सभा मे इतनी टेक्निकल डिटेल वाला सवाल पूछते हैं कि बेचारे चेयरमैन के पसीने छूट जाते हैं।

ठीक यही बात है हम उम्मीद कर रहे थे कि वित्तमंत्री मंदी को लेकर कोई ऐसा तगड़ा तर्क सामने रखेगी कि सामने वालो की सिट्टी पिट्टी गुम हो जाएगी। लेकिन वह इतना बोदा तर्क सामने रखेगी इस की उम्मीद किसी को भी नही थी यह ऐसा ही तर्क है जैसा व्हाट्सएप पर आता है।

अब मैं कंफ्यूज़ हूँ सरकार के लोग आईटी सेल चला रहे हैं या आईटी सेल वाले ही सरकार चला रहे हैं। क्या ऑटो सेक्टर में केवल कारो की ही गिनती होती है ?.....नही भाई !......ऑटो सेक्टर एक वृहद अवधारणा है। इसमे कार ही नही अन्य पैसेंजर व्हीकल जैसे टूव्हीलर ओर थ्री व्हीलर भी शामिल हैं ऑटो सेक्टर में कमर्शियल व्हीकल्स भी शामिल हैं

पिछले दिनों अशोक लेलैंड ने भी कम मांग को देखते हुए अपने 5 प्लांट्स में नो वर्क डेज का ऐलान कर दिया सितंबर में अशोक लीलेण्ड ने अपने प्लांट्स में 5 से 18 दिन तक कामकाज बंद रखने की घोषणा की है, वित्त मंत्री से पूछिए कि अशोक लीलैंड कौन सी कार बनाती है?

हीरो मोटोकॉर्प ने भी पिछले महीने 15 अगस्त से 18 अगस्त तक चार दिनों के लिए मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बंद कर दिए थे. हीरो मोटोकॉर्प कौनसी कार बनाती है मैडम ? आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि हीरो मोटोकॉर्प देश की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी है।

टू व्हीलर की बिक्री लगातार घटती जा रही है सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल्स मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक टू-व्हीलर्स की बिक्री की बात करें तो अप्रैल से अगस्त 2019 में अप्रैल-अगस्त 2018 के मुकाबले 14.85 फीसद की गिरावट आयी है टू-व्हीलर सेगमेंट में, स्कूटर्स की बिक्री में 17.01 फीसद की गिरावट, मोटरसाइकिल्स में 13.42 फीसद की गिरावट और मोपेड्स में 20.39 की गिरावट दर्ज की है।

थ्री व्हीलर्स की बिक्री की बात करें तो अप्रैल से अगस्त 2019 में 7.32 फीसद की गिरावट आई है। थ्री व्हीलर्स में, पैसेंजर कैरियर्स की बिक्री में 7.25 फीसद की गिरावट और गुड्स कैरियर में 7.64 फीसद की गिरावट आई है।

अब टूव्हीलर से चलने वाला ओर थ्री व्हीलर चलाने वाला ओला उबर बुलाकर तो कही जाता नही होगा न? ऑटो सेक्टर में सबसे बुरी हालत है कमर्शियल व्हीकल्स निर्माताओं की .....टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड, वोल्वो आयशर और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के कमर्शियल वाहनों की कुल बिक्री पिछले साल अगस्त की तुलना में इस साल अगस्त में 40 से 60 फीसदी तक घट गई है।

बाजार मे मंदी के कारण डिमाण्ड ही पैदा नही हो रही है और इसका सीधा असर सप्लाई चेन की सबसे अहम कड़ी ट्रांसपोर्टर पर पड़ा है कई ट्रांसपोर्टर संगठनों ने अगले छह महीने तक नए ट्रक न खरीदने का आव्हान किया है ट्रांसपोर्टर अपने पास मौजूद वाहनों के पूरे काफिले का ही इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए वे नए वाहनों की खरीद टाल रहे हैं। ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि बाजार में मंदी की वजह से उनका कारोबारा मंदा है, ऐसे में नए ट्रक के लिए लोन लेने के बाद किश्त के लिए पैसे भी नहीं निकाल पा रहे हैं.कमजोर मांग के कारण मालवहन की उपलब्धता कम है और माल भाड़ा भी कम हुआ है, नवंबर 2018 के बाद से ट्रक रेंटल में 15% की गिरावट आ चुकी है।

जिस ओला उबर का यह हवाला दे रही है उसकी ग्रोथ घट गयीं है 2018 में ग्रोथ 20 पर्सेंट रह गयी हैं जबकि 2017 में 57 पर्सेंट और 2016 में करीब 90 पर्सेंट की थी। इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले छह महीनों में डेली राइड्स केवल 4 पर्सेंट ही बढ़ी है यात्री सबसे ज्यादा परेशान है उन्हें अब कैब के लिए औसत 12-15 मिनट का इंतजार करना पड़ रहा है, जो दो वर्ष पहले 2-4 मिनट का था। इसके साथ ही बड़े शहरों में नॉन-पीक आवर्स में किराए भी 15-20 पर्सेंट बढ़ गए हैं।

महाराष्ट्र में 2017-18 में ओला और उबर इंडिया के लिए कार्य करने वाली 66,683 टूरिस्ट कैब रजिस्टर्ड हुई थी, लेकिन यह संख्या 2018-19 में घटकर 24,386 पर आ गई। पिछले एक वर्ष में ड्राइवर इंसेंटिव लगभग 40 पर्सेंट घटे हैं देश के विभिन्न भागो में ओला उबर के ड्राइवर हड़ताल कर रहे हैं क्योंकि उनकी मांग है कि पहले की तरह उनको मासिक कम से कम 1.25 लाख रुपए कारोबार मिले लेकिन नही मिल रहा है उनकी आमदनी में लगातार कम हो रही है।

यह है ओला उबर के व्यापार की असलियत लेकिन वित्तमंत्री से इन सब फैक्ट के साथ काउंटर क्वेश्चन करे कौन? मीडिया तो सुबह शाम पाकिस्तान पुराण लेकर बैठ जाता है। यह बात सत्ताधारी दल को अच्छी तरह से मालूम पड़ गयी है कि जब व्हाट्सएप का ज्ञान ही लोगो को पसंद है तो अब ऑफिशियल रूप से व्हाट्सएप ही सरकारी मंत्री परोस रहे हैं। दुख इस बात का है 'यह शर्मनाक हादसा हमारे साथ ही होना था' ?

बाकी ख़बरें