मोदी सरकार कोई डिफेंस डील करे और उसमे अडानी अंबानी का कोई हिस्सा बांटा न हो ऐसा कभी हो सकता है क्या ?

Written by Girish Malviya | Published on: October 7, 2018
भारत यात्रा पर आए रूस के राष्ट्रपति पुतिन ओर मोदी जी के बीच 40 हजार करोड़ का एंटी मिसाइल सिस्टम S-400 सौदा की बातचीत लगभग फाइनल है लेकिन इसमें एक खास बात बताना तो आपको मोदी जी भूल ही गए कि भारत-रूस के बीच हुई इस डील में रिलायंस डिफेंस भी ऑफसेट के तौर पर शामिल हैं.



S- 400 को बनाने वाली अल्माज-एंटी ,रोसोबोरोनक्सपोर्ट की सहायक कंपनी हैं और रोसोबोरोनक्सपोर्ट रूस की रक्षा निर्यात एजेंसी है, यह वह कम्पनी है जो रूस की तरफ से रूसी निर्यात सौदों पर बातचीत करती हैं ओर यह रिलायंस डिफेंस ओर अल्माज-एंटी की डील आज की नही है साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मास्को यात्रा के दौरान अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस डिफेंस ने रूस के अल्माज-एंटी के साथ 6 अरब डॉलर के संभावित विनिर्माण और रख-रखाव सौदे पर हस्ताक्षर किए थे. इस डील के होने के बाद इस खबर को आधिकारिक रूप से प्रकाशित किया था जिसमें लिखा था कि 'रिलायंस और अलमाजआंते की साझेदारी से सहयोग गहरी उन्नयन आधुनिकीकरण, मरम्मत, ऑफसेट के निष्पादन, पुर्जों की आपूर्ति के साथ-साथ अनुसंधान और विकास परियोजनाओं का विस्तार होगा'.

24 दिसंबर 2015 को रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने अपनी एक प्रेस रिलीज में इसका जिक्र किया था. इसमें लिखा था कि डीएसी ने एस-400 वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम के अधिग्रहण को मंजूरी देकर 6 अरब डॉलर के व्यापार का मौका दिया है तारीख पर विशेष रूप से गौर कीजिएगा क्योंकि मोदी जी 23 और 24 दिसंबर 2015 को ही रूस की आधिकारिक यात्रा पर थे.

ओर एक खास बात यह हैं कि अनिल अम्बानी को 12 बड़े ही महत्वपूर्ण इंडस्ट्रियल लाइसेंस एक झटके मे 3 दिसंबर 2015 को दे दिए गए थे ओर बाद में रक्षा इस्तेमाल के लिए सभी तरह का निर्माण करने में सक्षम होने के 27 तरह के लाइसेंस उसे दिए गए.

अनिल अंबानी को अपना कारखाने लगाने के लिए ताबड़तोड़ ढंग से मोदी सरकार ने जमीन अलॉट करवाई थी जिसका प्रमाण खुद अनिल अंबानी का ट्वीट है जो उन्होंने सरकार का धन्यवाद देते हुए लिखा था “There will be a long journey for development of Nagpur and Vidharba region. We started on June 16, 2015 with first presentation and in less than 10 weeks we got the land. This is a record,”

रॉफेल डील में तो मोदी सरकार यह कह बचाव कर रही थीं कि यह दो कंपनियों डसाल्ट ओर रिलायंस डिफेंस की डील थी लेकिन इस डील में तो मोदी सरकार और रूस की सरकार सीधे शामिल हैं , लेकिन गोदी मीडिया को इस विषय मे साँप सूंघ गया है.

दरअसल 2015 में डिफेंस के क्षेत्र में मोदी जी रक्षा उत्पादों के सम्बंध में मेक इन इंडिया की पॉलिसी लाए ही इसलिए थे कि अडानी अंबानी जैसे कर्ज में डूबे उद्योगपतियों को उबारा जा सके और 2019 के चुनाव में जमकर चन्दा कूटा जा सके,

S-400 वैसे कोई लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से नही बने हैं इसका इस्तेमाल रुस ने पहली बार 1990 मे किया था चीन ब्रिटेन और यूरेशिया के कुछ देशों को रूस यह टेक्नोलॉजी पहले ही बेच चुका है, लेकिन भारतीय पत्रकारिता में यह ताकत नही बची है कि वो इन सौदों की जांच पड़ताल कर सके, चीन और ब्रिटेन को यह सौदा कितने में पड़ा था यह खोजना पत्रकारों का ही काम है लेकिन यहाँ तो अब ऐसे दलाल पत्रकारों का बोलबाला है जिन्हें मोदी सरकार को क्लीन चिट देने की जल्दी पड़ी रहती हैं.

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