आज सुबह शुरुआती कारोबार में इंफोसिस के शेयर 10 फीसदी की तेज गिरावट दर्ज की गयी है।
देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी इन्फोसिस जो फोर्ब्स की ताज़ा लिस्ट में विश्व की 250 कंपनियों में से तीसरी सबसे सम्मानित कंपनी है उस कम्पनी पर उसी के कर्मचारियों के एक समूह ने, जो व्हिसिलब्लोअर की भूमिका में है; कंपनी के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की है। इस शिकायत में कंपनी के सीईओ सलिल पारेख और सीएफओ निलंजन रॉय पर व्यापार में मुनाफा दिखाने के लिए अनुचित तरीके अपनाने की बात कही है।
कर्मचारियों ने कहा है कि इन दोनों ने कंपनी का मुनाफा ज्यादा दिखाने के लिए उन्होंने निवेश नीति और एकाउंटिंग में छेड़छाड़ किया है और ऑडिटर को अंधेरे में रखा है। इस समूह का कहना है कि उसके पास अपने आरोपों के प्रमाण में ई-मेल और वायस रिकॉर्डिंग भी है।
स्वयं को एथिकल एंप्लॉई कहने वाले इन कर्मचारियों ने कंपनी के बोर्ड को पत्र लिखकर कहा कि इन्फोसिस के सीईओ सलिल पारेख ने बड़े सौदों की समीक्षा रिपोर्ट को नजरअंदाज किया और ऑडिटर तथा कंपनी बोर्ड से मिली सूचनाओं को छिपाया। लेटर में कहा गया है कि 'सलिल पारेख ने उनसे कहा कि मार्जिन दिखाने के लिए गलत अनुमान पेश करें और उन्होंने हमें बड़े सौदों के मसले पर बोर्ड में प्रजेंटेशन पेश करने से रोका।'
इन्फोसिस के सीएफओ नीलांजन रॉय पर यह आरोप भी लगाया गया है कि उन्होंने बोर्ड और ऑडिटर की जरूरी मंजूरी लिए बिना 'निवेश नीति और एकाउंटिंग' में बदलाव किए ताकि शॉर्ट टर्म में इन्फोसिस का मुनाफा ज्यादा दिखे।
वैसे भी इंफोसिस में पिछले दो तीन सालो से कई विवाद सामने आ रहे हैं। इंफोसिस के सीईओ विशाल सिक्का के वेतन को लेकर कंपनी में बड़ा विवाद पैदा हुआ था उसके अलावा पिछले साल अगस्त महीने में, एम डी रंगनाथ ने कंपनी के सीएफओ पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस कदम को काफी चौकाने वाला माना गया और इससे कंपनी की स्टेबिलिटी पर सवाल उठने लगे थे। उसके बाद भारती एयरटेल के पूर्व कार्यकारी नीलांजन रॉय को इंफोसिस ने अपना मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) नियुक्त किया गया था इनका नाम भी इस विवाद में सामने आ रहा है।
पिछले हफ्ते इंफोसिस ने अपने तिमाही नतीजों का ऐलान किया थ जिसमे पता चला कि मौजूदा वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आईटी कंपनी इंफोसिस का मुनाफा 5.8 फीसदी बढ़कर 4019 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं, इस दौरान कंपनी की आमदनी 7 फीसदी बढ़कर 23,255 करोड़ रुपये हो गई है। लेकिन अब इस पत्र से पता चला है कि पिछले 6 महीने से यानी अप्रैल 2019 से सितंबर 2019 तिमाही तक इंफोसिस की बैलेंसशीट्स में अकाउंटिंग से जुड़ी गड़बड़ियां की गई हैं। यानी प्रॉफिट के आंकड़े भी फेक हैं।
अगर आपको सत्यम घोटाला याद हो तो उसमे भी कुछ ऐसा ही किया गया था सत्यम घोटाले को देश का अब तक का सबसे बड़ा ऑडिट फ्रॉड माना जाता है, जो 7 जनवरी 2009 को सामने आया था। इस कंपनी के संस्थापक और तत्कालीन चेयरमैन बी. रामलिंगा राजू ने खुद माना उन्होंने काफी समय तक कंपनी के खातों में हेरा-फेरी की थी और वर्षों तक मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया था। सत्यम में कुल 40 हजार कर्मचारी काम करते थे। सत्यम का कारोबार 66 देशों में फैला हुआ था। कंपनी ने इन्हीं कर्मचारियों की संख्या को 53 हजार बताया हुआ था। राजू इन तेरह हजार कर्मचारियों के वेतन के रूप में हर महीने 20 करोड़ रुपये विद ड्रॉ कर रहे थे। 6 करोड़ निवेशकों को सत्यम के कर्ता-धर्ताओं ने करीब 7800 करोड़ रुपये को चूना लगाया था। घोटाले के सामने आने से पहले सत्यम भारत की आईटी कंपनियों में चौथे स्थान पर थी। घोटाले के सामने आने के बाद सत्यम भारत की सबसे कम वैल्यूबल आईटी कंपनी बन गई।
इंफोसिस की देश की आईटी इंडस्ट्री की सर्वाधिक सम्मानित कंपनी मानी जाती है। यदि इस पत्र में लिखी बाते सच साबित होती है तो आईटी सेक्टर बड़े संकट में आ जाएगा और इससे सीधा फर्क हजारों लाखों आईटी इंजीनियर्स के रोजगार पर पड़ेगा।
(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं।)
देश की दूसरी सबसे बड़ी आइटी कंपनी इन्फोसिस जो फोर्ब्स की ताज़ा लिस्ट में विश्व की 250 कंपनियों में से तीसरी सबसे सम्मानित कंपनी है उस कम्पनी पर उसी के कर्मचारियों के एक समूह ने, जो व्हिसिलब्लोअर की भूमिका में है; कंपनी के शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की है। इस शिकायत में कंपनी के सीईओ सलिल पारेख और सीएफओ निलंजन रॉय पर व्यापार में मुनाफा दिखाने के लिए अनुचित तरीके अपनाने की बात कही है।
कर्मचारियों ने कहा है कि इन दोनों ने कंपनी का मुनाफा ज्यादा दिखाने के लिए उन्होंने निवेश नीति और एकाउंटिंग में छेड़छाड़ किया है और ऑडिटर को अंधेरे में रखा है। इस समूह का कहना है कि उसके पास अपने आरोपों के प्रमाण में ई-मेल और वायस रिकॉर्डिंग भी है।
स्वयं को एथिकल एंप्लॉई कहने वाले इन कर्मचारियों ने कंपनी के बोर्ड को पत्र लिखकर कहा कि इन्फोसिस के सीईओ सलिल पारेख ने बड़े सौदों की समीक्षा रिपोर्ट को नजरअंदाज किया और ऑडिटर तथा कंपनी बोर्ड से मिली सूचनाओं को छिपाया। लेटर में कहा गया है कि 'सलिल पारेख ने उनसे कहा कि मार्जिन दिखाने के लिए गलत अनुमान पेश करें और उन्होंने हमें बड़े सौदों के मसले पर बोर्ड में प्रजेंटेशन पेश करने से रोका।'
इन्फोसिस के सीएफओ नीलांजन रॉय पर यह आरोप भी लगाया गया है कि उन्होंने बोर्ड और ऑडिटर की जरूरी मंजूरी लिए बिना 'निवेश नीति और एकाउंटिंग' में बदलाव किए ताकि शॉर्ट टर्म में इन्फोसिस का मुनाफा ज्यादा दिखे।
वैसे भी इंफोसिस में पिछले दो तीन सालो से कई विवाद सामने आ रहे हैं। इंफोसिस के सीईओ विशाल सिक्का के वेतन को लेकर कंपनी में बड़ा विवाद पैदा हुआ था उसके अलावा पिछले साल अगस्त महीने में, एम डी रंगनाथ ने कंपनी के सीएफओ पद से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस कदम को काफी चौकाने वाला माना गया और इससे कंपनी की स्टेबिलिटी पर सवाल उठने लगे थे। उसके बाद भारती एयरटेल के पूर्व कार्यकारी नीलांजन रॉय को इंफोसिस ने अपना मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) नियुक्त किया गया था इनका नाम भी इस विवाद में सामने आ रहा है।
पिछले हफ्ते इंफोसिस ने अपने तिमाही नतीजों का ऐलान किया थ जिसमे पता चला कि मौजूदा वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में आईटी कंपनी इंफोसिस का मुनाफा 5.8 फीसदी बढ़कर 4019 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। वहीं, इस दौरान कंपनी की आमदनी 7 फीसदी बढ़कर 23,255 करोड़ रुपये हो गई है। लेकिन अब इस पत्र से पता चला है कि पिछले 6 महीने से यानी अप्रैल 2019 से सितंबर 2019 तिमाही तक इंफोसिस की बैलेंसशीट्स में अकाउंटिंग से जुड़ी गड़बड़ियां की गई हैं। यानी प्रॉफिट के आंकड़े भी फेक हैं।
अगर आपको सत्यम घोटाला याद हो तो उसमे भी कुछ ऐसा ही किया गया था सत्यम घोटाले को देश का अब तक का सबसे बड़ा ऑडिट फ्रॉड माना जाता है, जो 7 जनवरी 2009 को सामने आया था। इस कंपनी के संस्थापक और तत्कालीन चेयरमैन बी. रामलिंगा राजू ने खुद माना उन्होंने काफी समय तक कंपनी के खातों में हेरा-फेरी की थी और वर्षों तक मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया था। सत्यम में कुल 40 हजार कर्मचारी काम करते थे। सत्यम का कारोबार 66 देशों में फैला हुआ था। कंपनी ने इन्हीं कर्मचारियों की संख्या को 53 हजार बताया हुआ था। राजू इन तेरह हजार कर्मचारियों के वेतन के रूप में हर महीने 20 करोड़ रुपये विद ड्रॉ कर रहे थे। 6 करोड़ निवेशकों को सत्यम के कर्ता-धर्ताओं ने करीब 7800 करोड़ रुपये को चूना लगाया था। घोटाले के सामने आने से पहले सत्यम भारत की आईटी कंपनियों में चौथे स्थान पर थी। घोटाले के सामने आने के बाद सत्यम भारत की सबसे कम वैल्यूबल आईटी कंपनी बन गई।
इंफोसिस की देश की आईटी इंडस्ट्री की सर्वाधिक सम्मानित कंपनी मानी जाती है। यदि इस पत्र में लिखी बाते सच साबित होती है तो आईटी सेक्टर बड़े संकट में आ जाएगा और इससे सीधा फर्क हजारों लाखों आईटी इंजीनियर्स के रोजगार पर पड़ेगा।
(लेखक आर्थिक मामलों के जानकार हैं।)